राजस्थान के स्कूलों में दादी-नानी सुनाएंगी कहानी, होंगे संतों के प्रवचन
राजस्थान में बच्चों को संस्कारित करने के लिए दादी-नानी को बुलाया स्कूल में बुलाया जाएगा और संतों के प्रवचन कराए जाएंगे।
By Arti YadavEdited By: Updated: Sun, 10 Jun 2018 03:32 PM (IST)
जयपुर (ब्यूरो)। राजस्थान के स्कूलों में बच्चों को संस्कारित करने के लिए अब हर महीने बच्चों की दादी-नानी को बुलाया जाएगा और संतों के प्रवचन कराए जाएंगे। यह व्यवस्था जुलाई से शुरू हो रहे नए सत्र से लागू की जाएगी। राजस्थान का माध्यमिक शिक्षा निदेशालय हर वर्ष शिक्षा सत्र शुरू होने से पहले सत्र के दौरान की जाने वाली गतिविधियों का कैलेंडर जारी करता है। शिविरा पंचांग नामक इस कैलेंडर में स्कूलों में हर माह की जाने वाली गतिविधियों का पूरा विवरण होता है। इसी पंचांग में कहा गया है कि हर महीने के पहले शनिवार को किसी महापुरुष के जीवन का प्रेरक प्रसंग बताया जाएगा।
दूसरे शनिवार को शिक्षाप्रद प्रेरक कहानियों का वाचन व संस्कार सभा होगी। इस संस्कार सभा में बच्चों की दादी-नानी को बुलाया जाएगा और वे बच्चों को परंपरागत कहानियां सुनाएंगी। इसके बाद तीसरे शनिवार को स्कूलों में किसी समसामायिक विषयों की समीक्षा और किसी महापुरुष या स्थानीय संतों के प्रवचन कराए जाएंगे। चौथे शनिवार को महाकाव्यों पर प्रश्नोत्तरी कार्यक्रम होगा। पांचवें और अंतिम शनिवार को प्रेरक नाटक का मंचन व विद्यार्थियों की ओर से राष्ट्रभक्ति गीत गायन होगा। इसके साथ ही महीने के अंतिम शनिवार को सभी सरकारी स्कूलों के छात्र व शिक्षक स्वैच्छिक श्रमदान करेंगे।
सभी स्कूलों पर होगा लागू
कार्यक्रम की बाध्यता प्रदेश के सभी सरकारी, गैर सरकारी, सीबीएसई से संबद्ध स्कूलों, अनाथ बच्चों के लिए संचालित आवासीय विद्यालयों, विशेषष प्रशिक्षण शिविरों और शिक्षक प्रशिक्षण विद्यालयों के लिए भी लागू की गई है।
विवाद होना तय
राजस्थान में शिक्षा विभाग पहले ही पाठ्यक्रम में बदलाव, सूर्य नमस्कार की अनिवार्यता और अन्य मामलों को लेकर भगवाकरण के आरोप झेल चुका है। अब इस नए आदेश को लेकर भी विवाद होना तय माना जा रहा है। शिक्षा विभाग के अधिकारी इसे बच्चों में संस्कारित करने का प्रयास बता रहे हैं, वहीं विपक्ष को सरकार पर आरोप लगाने का एक और मौका मिल गया है। कांग्रेस की उपाध्यक्ष अर्चना शर्मा ने कहा है कि सरकार पहले ही पाठ्यक्रम में बदलाव कर शिक्षा के भगवाकरण का प्रयास कर चुकी है। अब संतों के प्रवचन द्वारा यह एक और नया प्रयास है।