ग्रीन हाइड्रोजन की राह में अड़चनें भी नहीं कम, US और यूरोप का मुकाबले करने के लिए खोलना पड़ेगा सरकारी खजाना
भारत सरकार कई देशों के साथ ग्रीन हाइड्रोजन की तकनीक व उत्पादन को स्थापित करने के लिए बात कर रही है। केंद्र सरकार ने 04 जनवरी 2023 को 19744 करोड़ रुपये की ग्रीन हाइड्रोजन मिशन को भी मंजूरी दे दी है। उसके बाद इओसी एनटीपीसी रिलायंस अदाणी जैसे देश की सरकारी व गैर-सरकारी कंपनियों की तरफ से भी ग्रीन हाइड्रोजन को लेकर भारी-भरकम घोषणाएं की जा चुकी हैं।
By Jagran NewsEdited By: Mohd FaisalUpdated: Mon, 26 Jun 2023 08:38 PM (IST)
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। भारत सरकार कई देशों के साथ ग्रीन हाइड्रोजन की तकनीक व उत्पादन को स्थापित करने के लिए बात कर रही है। केंद्र सरकार ने 04 जनवरी, 2023 को 19,744 करोड़ रुपये की ग्रीन हाइड्रोजन मिशन को भी मंजूरी दे दी है।
उसके बाद इओसी, एनटीपीसी, रिलायंस, अदाणी जैसे देश की सरकारी व गैर-सरकारी कंपनियों की तरफ से भी ग्रीन हाइड्रोजन को लेकर भारी-भरकम घोषणाएं की जा चुकी हैं। इसके बावजूद देश में ग्रीन हाइड्रोजन अपनाने की राह बहुत आसान नजर नहीं आ रही है।
अमेरिका और यूरोप के कई देश दे रहे ज्यादा सब्सिडी
एक तो ग्रीन हाइड्रोजन को लेकर तकनीक के स्तर पर अभी बहुत ज्यादा प्रगति नहीं हुई है और इसकी लागत अभी ईंधन के दूसरे विकल्पों के मुकाबले छह गुणा तक ज्यादा है। वहीं, ग्रीन हाइड्रोजन को अमेरिका और यूरोप के विकसित देशों ने इतनी ज्यादा सब्सिडी देनी शुरू कर दी है कि उनके मुकाबला करने के लिए भारत सरकार को भी अपने खजाने का मुंह खोलना पड़ेगा। इस तथ्य को सरकार भी अब समझ रही है।ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिसिएटिव ने जारी की रिपोर्ट
ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिसिएटिव (जीटीआरआइ) नाम की भारतीय शोध एजेंसी ने सोमवार को एक रिपोर्ट जारी कि है जिसमें उसका दावा है कि दुनिया भर में ग्रीन हाइड्रोजन की मौजूदा स्थिति, उनकी तकनीक व तमाम दूसरे पहलुओं को अध्ययन करने के बाद तैयार किया गया है। इसके मुताबिक, भारत में ग्रीन हाइड्रोजन के इस्तेमाल की राह में कई बड़ी अड़चनों की तरफ सरकार का ध्यान आकर्षित करवाया गया है।
इंधन के मुकाबले छह से आठ गुणा महंगा ग्रीन हाइड्रोजन
मसलन, भारत में मौजूदा दूसरे किसी भी इंधन के मुकाबले ग्रीन हाइड्रोजन आज छह से आठ गुणा महंगा है। उदाहरण के तौर पर भारत में प्राकृतिक गैस से उत्पादित बिजली की कीमत दो से पांच सेंट्स प्रति किलोवाट घंटा, कोयला से उत्पादित बिजली 05 से 10 पैसे सेंट्स प्रति किलोवाट, ग्रे हाइड्रोजन के लिए चार सेंट्स, पवन ऊर्जा से उत्पादित बिजली के लिए दो से चार सेंट, सौर ऊर्जा से चार से छह सेंट्स है।जबकि सौर या पवन ऊर्जा से अगर ग्रीन हाइड्रोजन का निर्माण किया जाता है तो उसकी लागत 22.5 सेंट्स प्रति किलोवाट होगी। यह इसलिए है कि ग्रीन हाइड्रोजन के इलेक्ट्रोलाजर्स, ट्रांसपोर्टेशन और स्टोरेज की लागत दूसरे अन्य विकल्पों के मुकाबले ज्यादा है।