ग्रीन हाइड्रोजन: स्वावलंबन की नई 'हरित क्रांति' की ओर भारत, 50 लाख टन प्रतिवर्ष उत्पादन का लक्ष्य
नीदरलैंड के जलवायु दूत प्रिंस जेमी डि बर्बन डि पार्मे ने बीते दिनों कहा कि भारत और नीदरलैंड में ग्रीन हाइड्रोजन व्यापार को समृद्ध करने की क्षमता और अवसर हैं। भारत ने ग्रीन हाइड्रोजन का निर्यातक बनने का लक्ष्य रखा है और हम यूरोप में इसके आयातक बन सकते हैं।
By Sanjay PokhriyalEdited By: Updated: Fri, 29 Apr 2022 12:13 PM (IST)
नेशनल डेस्क, नई दिल्ली। बीते दिन की दो खबरें विश्व में ईंधन के नए स्रोत की तरफ ध्यान केंद्रित करती हैं। पहली रूस द्वारा यूरोपीय देशों पोलैंड और बुल्गारिया को प्राकृतिक गैस की आपूर्ति बंद करने के बारे में है। दूसरी खबर है रायसीना डायलाग से जुड़ी है जहां केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव ने कहा कि कार्बन उत्सर्जन की विकराल समस्या के समाधान में भारत अग्रणी भूमिका निभाएगा। इन दोनों की खबरों के संदर्भ में हरित ईंधन यानी ग्रीन हाइड्रोजन का उल्लेख स्वाभाविक हो जाता है क्योंकि यह विश्व के लिए नया ऊर्जा स्रोत बन रही है और भारत इस दिशा में तेजी से बढ़ रहा है। योजनाएं बनी हैं, अमल भी शुरू हो चुका है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बीते वर्ष स्वतंत्रता दिवस पर राष्ट्रीय हाइड्रोजन मिशन की घोषणा के साथ भारत को 2047 तक ऊर्जा के क्षेत्र में पूरी तरह से स्वावलंबी बनाने का लक्ष्य रखा। इसी माह के आरंभ में यूरोपीय देश नीदरलैंड ने यूरोप में ग्रीन हाइड्रोडन के निर्यात के लिए भारत का करीबी सहयोगी बनने की बात कही। इन सभी बिंदुओं को ध्यान में रखते हुए ग्रीन हाइड्रोजन की आवश्यकता, उत्पादन की वास्तविकता और चुनौतियों के साथ निर्यात की संभावनाओं को टटोलती विशेष रिपोर्ट:
यूरोप में ग्रीन हाइड्रोजन निर्यात हब बनने का अवसर
- ग्रीन हाइड्रोजन का उत्पादन और प्रयोग अभी पूरे विश्व में शैशवकाल में है। भारत भी इससे अछूता नहीं है, लेकिन जिस तरह से यूक्रेन युद्ध ने पूरे यूरोप में ऊर्जा संकट बढ़ाया है, उससे भारत के लिए एक बड़ी संभावना बनी है।
- इस संबंध में नीदरलैंड का प्रस्ताव काबिलेगौर है जिसमें ऊर्जा के विकल्प तलाश रहे यूरोपीय देशों के लिए भारत को ग्रीन हाइड्रोजन निर्यात का हब बनने की संभावना प्रबल की गई है।
- जेमी ने कहा कि भारत चाहे तो नीदरलैंड उसके लिए यूरोप में ग्रीन हाइड्रोजन के निर्यात का सहायक बन सकता है।
इसलिए यूरोप में नीदरलैंड है अहम
- यदि भारत ग्रीन हाइड्रोजन का निर्यात करे तो यूरोप में उसके लिए नीदरलैंड बेहतर साझीदार बन सकता है और इसकी वजह है वहां का बुनियादी ढांचा और यूरोप में आपूर्ति के लिए आदर्श भौगोलिक स्थिति।
- नीदरलैंड में यूरोप का सबसे बड़ा रोटरडम पोर्ट है जहां से जर्मनी और बेल्जियम जैसे उत्तरी यूरोपीय देशों से आसानी से संपर्क किया जा सकता है।
- हालांकि बड़ा प्रश्न यह भी है कि ग्रीन हाइड्रोजन का निर्यात कैसे होगा, अमोनिया के रूप में या जमी हुई गैस के रूप में। फिलहाल सिंगापुर और जापान ही इस क्षेत्र में आगे हैं जो ग्रीन हाइड्रोजन का आयात कर रहे हैं।
- ग्रीन हाइड्रोजन और इसकी तकनीक के निर्यात में अंतरराष्ट्रीय हब बनने की दिशा में भारत ने पहला कदम बढ़ा दिया है।
- ओहमियम इंटरनेशनल ने अपने भारतीय उपक्रम के माध्यम से अमेरिका के इलेक्ट्रोलाइजर निर्यात किया है जो कि अब तक का पहला ऐसा मामला है।
- यह इलेक्ट्रोलाइजर ओहमियम के बेंगलुरू संयंत्र में बनाया गया था जो भारत की पहली ग्रीन हाइड्रोजन इलेक्ट्रोलाइजर गीगाफैक्ट्री है।
- भारत ने ग्रीन हाइड्रोजन की दिशा में विश्व में तेजी से पहल की है। अभी कीमत काफी है, लेकिन उत्पादन और मांग बढऩे के साथ यह कम होगी और मेक इन इंडिया के साथ मिलकर ग्रीन हाइड्रोजन मिशन वैश्विक स्तर पर प्रमुख भूमिका निभा सकता है।
सरकारी और निजी कंपनियों ने कसी कमर
- बीते नवंबर में ग्लासगो में हुए कांफ्रेंस आफ पार्टीज यानी काप-26 जलवायु सम्मेलन में पीएम मोदी ने आगे बढ़कर ग्लोबल वार्मिंग की वैश्विक चुनौती से निपटने में भारत की प्रतिबद्धता जाहिर की। इसके लिए एक रोडमैप में सरकारी और निजी क्षेत्र की कंपनियां भूमिका निभाएंगी।
- देश के प्रमुख उद्योगपति मुकेश अंबानी और गौतम अदाणी की कारपोरेट कंपनियां हों या नेशनल थर्मल पावर कारपोरेशन (एनटीपीसी) और अन्य सकारी प्रतिष्ठान, सभी ने ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन की महात्वाकांक्षी योजनाएं बना ली हैं।
- रिलायंस इंडस्ट्रीज गुजरात के जामनगर में 600 अरब रुपये से 5,000 एकड़ में एक ग्रीन प्लांट स्थापित कर रही है जिसमें ग्रीन हाइड्रोजन का उत्पादन भी होगा। रिलायंस परिवहन ईंधन के स्थान पर हाइड्रोजन का उपयोग शुरू करेगी।
- अदाणी समूह भी सक्रिय है और मायर टेक्निमोंट के साथ भारत में ग्रीन हाइड्रोजन परियोजना शुरू करने के लिए समझौता किया है।
- एसीएमई समूह ने राजस्थान में ग्रीन हाइड्रोजन व अमोनिया प्रोजेक्ट लगाने की दिशा में पहला कदम बढ़ा दिया है।
- लार्सन एंड टुर्बो ने भी ग्रीन ईंधन पर करीब 15 अरब रुपये के निवेश की बात कही है। वह इलेक्ट्रोलाइजर के उत्पादन में भी आगे बढ़ेगी और अपने हजीरा संयंत्र में ग्रीन हाइड्रोजन प्लांट लगा रही है।
- देश की सबसे बड़ी सरकारी तेल कंपनी इंडियन आयल कारपोरेशन (आइओसी) मथुरा में अपनी रिफाइनरी में 1,60,000 बैरल प्रतिदिन क्षमता वाली ग्रीन हाइड्रोजन प्लांट लगाने पर काम कर रही है। लक्ष्य 2024 तक कम से कम 10 प्रतिशत ईंधन उपयोग को ग्रीन ईंधन में बदलना है। कंपनी कोच्चि अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट पर सौर ऊर्जा संयत्र से ग्रीन हाइड्रोजन बनाने पर भी काम करेगी।
- आइओसी के चेयरमैन श्रीकांत माधव वैद्य ने बीते माह कहा था कि इंडियन आयल का राजस्थान में एक पवन उर्जा प्रोजेक्ट है। हम अब मथुरा में इलेक्ट्रोलिसिस के माध्यम से पूरी तरह से ग्रीन हाइड्रोजन बनाने की दिशा में काम कर रहे हैं। आइओसी ने 15 हाइड्रोजन फ्यूल सेल काम मंगाने के लिए निविदा जारी की है।
- गैस अथारिटी आफ इंडिया लिमिटेड यानी गेल 10 मेगावाट का ग्रीन हाइड्रोजन प्लांट लगाने की तैयारी में है। इसके लिए वह इलेक्ट्रोलाइजर खरीदने जा रही है।
- एनटीपीसी कच्छ में 4.75 गीगावाट का बड़ा ग्रीन हाइड्रोजन प्लांट लगाएगी। कंपनी ने पांच मेगावाट के एक और प्लांट की घोषणा भी की है। एनटीपीसी अपनी विंध्याचल इकाई में इस संबंध में एक पायलट परियोजना भी संचालित कर रही है।
- एनटीपीसी लेह-लद्दाख में ग्रीन हाइड्रोजन पंप भी लगाएगी और पांच हाइड्रोजन बस भी चलाएगी। कंपनी ने दस हाइड्रोजन बसों और कारों के लिए एक्सप्रेशन आफ इंट्रेस्ट भी जारी किए हैं।
- भारत पेट्रोलियम कारपोरेशन भी ग्रीन हाइड्रोजन पर निवेश करेगा। सौर ऊर्जा निगम लिमिटेड देश में नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों से ग्रीन हाइड्रोजन बनाने के संयंत्रों की स्थापना के लिए निविदा आमंत्रित करने जा रहा है।
- केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय ने वर्ष 2030 तक प्रतिवर्ष 50 लाख टन ग्रीन हाइड्रोजन के उत्पादन का लक्ष्य रखा है। सरकार का उद्देश्य घरेलू ईंधन जरूरत को पूरा करने के साथ ग्रीन हाइड्रोजन का निर्यात हब बनना भी है।
- सौर और पवन स्रोतों से प्राप्त जल को हाइड्रोडन और आक्सीजन में विभाजित कर ग्रीन हाइड्रोजन प्राप्त की जाती है। इसी कारण यह पूरी तरह से कार्बन मुक्त होती है।
- भारत अलग-अलग ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन जोन बनाएगा, अंतरराज्यीय ऊर्जा स्थानांतरण शुल्क को 25 ïवर्ष के लिए माफ करेगा और ग्रीन हाइड्रोजन व अमोनिया उत्पादकों को प्राथमिकता पर पावर ग्रिड से जोडऩे की पहल करेगा।
- ऊर्जा विशेषज्ञ सरकार की प्रोत्साहन योजना को अच्छा मान रहे हैैं। रिन्यू पावर के मुख्य वाणिज्य अधिकारी मयंक बंसल का कहना है कि सरकार के रियायत देने के कदमों से देश में ग्रीन हाइड्रोजन की उत्पादन लागत को कम करने में मदद मिलेगी।
- 50 लाख टन प्रतिवर्ष ग्रीन हाइड्रोजन का मतलब होगा कि यह यूरोपीय संघ के लक्ष्य से करीब आधा है।
- यूरोपीय संघ से तीन गुना अधिक जनसंख्या वाले भारत में प्रति व्यक्ति ऊर्जा खपत यूरोप के मुकाबले काफी कम है। हालांकि हम विश्व के उन देशों में हैैं जहां ऊर्जा की मांग बहुत तेजी से बढ़ रही है।
- भारत में अभी ग्रीन हाइड्रोजन की उत्पादन लागत काफी महंगी है। इसी कारण सरकार ने राज्यों के बीच ऊर्जा स्थानांतरण के शुल्क को माफ करने का अहम निर्णय किया है।
- ग्रीन हाइड्रोजन निर्माता उपयोग नहीं की जा सकी बिजली ग्रिड को वापस दे सकेंगे।
- भारत में इलेक्ट्रोलाइजर को केंद्रीय वित्तीय सहायता दिए जाने की भी योजना है क्योंकि सरकार रिफाइनरी और खाद कारखानों में ग्रीन हाइड्रोजन का प्रयोग अनिवार्य करने की तैयारी में है।
- ऊर्जा एवं संसाधन संस्थान (टेरी) की एक रिपोर्ट कहती है कि 2020 में भारत की हाइड्रोजन मांग 60 लाख टन प्रतिवर्ष थी। कई अध्ययनों में इस क्षेत्र में अपार संभावना जताई गई है।
- अनुमान है कि 2030 तक हाइड्रोजन की कीमत करीब आधी हो जाएगी। 2050 तक देश में हाइड्रोजन की मांग करीब पांच गुना बढ़कर 2.8 करोड़ टन प्रतिवर्ष हो सकती है।
- रिफाइनरी और खाद कारखानों में ग्रीन हाइड्रोजन का प्रयोग धीरे-धीरे बढ़ाया जाएगा। पहले 10 प्रतिशत और अगले तीन-चार वर्ष में इसे 25 प्रतिशत तक ले जाने की योजना है।
- नेट जीरो उत्सर्जन की दिशा में ग्रीन हाइड्रोजन को सबसे अहम माना जा रहा है। इसके ग्रीन कहलाने का कारण है इसके उत्पादन में बिल्कुल भी कार्बन उत्सर्जन न होना।
- इसके उत्पादन के लिए पानी, इलेक्ट्रोलाइजर और ऊर्जा चाहिए। इलेक्ट्रोलाइजर पानी से हाइड्रोजन को अलग कर देता है और बाई प्रोडक्ट के रूप में केवल आक्सीजन निकलती है।
- इस प्रक्रिया में कार्बन उत्सर्जन नहीं होता है और यदि ऊर्जा स्रोत नवीकरणीय (सौर या पवन) है तो यह हाइड्रोजन पूरी तरह से कार्बन मुक्त होती है।
- हाइड्रोजन का ईंधन के तौर पर कई तरह से प्रयोग किया जा सकता है। इसे कार चलाने में, घरेलू उपयोग में, पोर्टेबल पावर सोर्स के तौर पर और कई अन्य कामों में प्रयोग किया जा सकता है।
- उद्योगों में केमिकल, आयरन व स्टील तथा हीटिंग व ऊर्जा क्षेत्रों में इसके उपयोग से प्रदूषण कम हो सकता है।