Move to Jagran APP

Gujarat Bridge Collapse: युवकों के कूदने और तारों को खींचने से टूटा पुल! प्रत्यक्षदर्शियों ने बताई आपबीती

प्रत्यक्षदर्शियों और इंटरनेट मीडिया में प्रसारित वीडियो के मुताबिक हादसे की वजह पुल पर कूदना और तारों को खींचना बना। दीपावली की छुट्टियों और रविवार होने की वजह से पुल पर उमड़ी थी अत्यधिक भीड़ 90 लोगों की जा चुकी जान।

By AgencyEdited By: Mahen KhannaUpdated: Mon, 31 Oct 2022 03:24 AM (IST)
Hero Image
गुजरात के मोरबी में मच्छू नदी पर बने केबल पुल पर हादसा।
मोरबी, एजेंसी। दीपावली की छुट्टियां और रविवार होने की वजह से महिलाओं और बच्चों समेत बड़ी संख्या में लोग चार दिन पहले फिर खोले गए गुजरात के मोरबी में मच्छू नदी पर बने केबल पुल को देखने आए थे। प्रत्यक्षदर्शियों और इंटरनेट मीडिया पर प्रसारित वीडियो के मुताबिक पुल इतने लोगों का वजन नहीं सह सका और टूट गया। लेकिन कुछ के मुताबिक कि पुल पर कुछ लोग अन्य लोगों को डराने के लिए कूद रहे थे और उसे हिलाने के लिए पुल के बड़े-बड़े तारों को खींच रहे थे जो हादसे की वजह बना। बता दें कि हादसे में 90 लोगों की जान चली गई है।

ड्यूटी कर्मचारियों की लापरवाही आई सामने

अहमदाबाद निवासी विजय गोस्वामी ने घर वापस पहुंचने पर पत्रकारों को बताया कि वह दीपावली की छुट्टी का आनंद लेने के लिए परिवार के साथ मोरबी गए थे। उन्होंने कहा, पुल पर भारी भीड़ थी। मैं और मेरा परिवार पुल पर थे जब कुछ युवकों ने जानबूझकर इसे हिलाना शुरू कर दिया। लोगों के लिए बिना किसी सहारे के खड़ा होना असंभव था। चूंकि मुझे लग रहा था कि यह खतरनाक साबित हो सकता है, मेरे परिवार और मैं पुल पर कुछ दूरी तय करके वापस आ गए। वहां से निकलने से पहले मैंने लोगों को पुल को हिलाने से रोकने के लिए आन-ड्यूटी कर्मचारियों को सतर्क किया था। हालांकि, उनकी रुचि केवल टिकट बेचने में थी और उन्होंने हमें बताया कि भीड़ को नियंत्रित करने की कोई व्यवस्था नहीं है। हमारे जाने के कुछ घंटे बाद ही हमारा डर सच हो गया क्योंकि पुल अंतत: ढह गया। इंटरनेट मीडिया पर वायरल एक वीडियो में भी कुछ युवाओं को अन्य पर्यटकों को डराने के लिए पुल की रस्सियों को लात मारते और हिलाते हुए देखा जा सकता है।

मैं बच गया क्योंकि एक रस्सी को पकड़ लिया था..

घटनास्थल पर मौजूद कई बच्चों ने संवाददाताओं को बताया कि पुल गिरने के बाद उनके परिवार के सदस्य या माता-पिता लापता हो गए। 10 साल के एक लड़के ने कहा, 'पुल अचानक गिर जाने पर भारी भीड़ थी। मैं बच गया क्योंकि मैंने एक लटकी हुई रस्सी को पकड़ लिया और धीरे-धीरे ऊपर चढ़ गया। लेकिन मेरे पिता और मां अभी भी लापता हैं।' हादसे में जीवित बचे लोगों में शामिल मेहुल रावल ने कहा कि पुल के गिरने के समय उस पर करीब 300 लोग मौजूद थे। मोरबी के सिविल अस्पताल में भर्ती रावल ने कहा, 'जब हम उस पर थे तो पुल अचानक गिर गया। सभी लोग नीचे गिर गए। कई लोगों की मौत हो गई, जबकि कई घायल हो गए। पुल मुख्य रूप से भीड़भाड़ के कारण ढह गया।' एक स्थानीय निवासी ने कहा, 'पीड़ितों में से अधिकांश बच्चे थे क्योंकि वे यहां दीपावली की छुट्टियों का आनंद लेने आए थे। स्थानीय लोग तुरंत मौके पर पहुंचे और कई लोगों को जीवित निकाल लिया।'

1979 की घटना के घाव हरे कर दिए

एक अन्य निवासी ने कहा कि इस घटना ने 1979 की मच्छू बांध त्रासदी के घावों को हरा कर दिया, जब बाढ़ के कारण हजारों स्थानीय निवासियों की मौत हो गई थी। 1979 की बांध टूटने की घटना के बाद मोरबी के लिए यह पहली ब़़डी दुर्घटना है। भीड़भाड़ के कारण यह पुल ढह गया। शाम को कम रोशनी के कारण बचाव में बाधा उत्पन्न हुई।

1979 के हादसे में मारे गए थे एक हजार लोग

11 अगस्त, 1979 की दोपहर करीब सवा तीन बजे मच्छू बांध टूट गया था। इसके चलते 15 मिनट में ही पूरा शहर पानी में डूब गया था। दो घंटे के अंदर मकान और इमारतें ढहने लगी थीं और देखते ही देखते हजारों पशु व लोग काल कवलित हो गये थे। सरकारी आंक़़डों के मुताबिक इसमें एक हजार लोग मारे गये थे, जबकि विपक्षी दलों का आरोप था कि 25 हजार लोग मारे गए।

वाघजी ठाकोर ने बनवाया था केबल पुल

केबल पुल का निर्माण सर वाघजी ठाकोर ने करवाया था। उन्होंने 1922 तक मोरबी पर शासन किया था और वह औपनिवेशिक प्रभाव से प्रेरित थे। उन्होंने उस समय दरबारगढ़ पैलेस को नजरबाग पैलेस ([तत्कालीन राजसी निवास)] से जोड़ने के लिए उक्त पुल का निर्माण कराया था।

यह भी पढ़ें- Gujarat के मोरबी में पुल गिरने से 90 लोगों की मौत, पीएम और सीएम ने किया मृतकों और घायलों के लिए मुआवजे का एलान

Gujarat Suspension Bridge Collapse: आजादी से भी पहले बना था गुजरात में ढहा पुल, पांच दिन पहले ही हुई थी मरम्मत