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Gujarat: गोधरा ट्रेन कांड के 11 दोषियों के लिए करेंगे मौत की सजा की मांग, SC में बोली गुजरात सरकार

Gujarat गुजरात सरकार ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट से कहा कि वह 2002 में हुए गोधरा ट्रेन अग्निकांड मामले के उन 11 दोषियों को मौत की सजा देने पर जोर देगी। जिनकी सजा को राज्य के हाई कोर्ट ने आजीवन कारावास में बदल दिया था।

By AgencyEdited By: Mohd FaisalUpdated: Mon, 20 Feb 2023 02:51 PM (IST)
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Gujarat: गोधरा ट्रेन कांड के 11 दोषियों के लिए करेंगे मौत की सजा की मांग- गुजरात सरकार (फाइल फोटो)
नई दिल्ली, एजेंसी। 2002 के गोधरा ट्रेन आगजनी मामले में गुजरात हाई कोर्ट ने 11 दोषियों की सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया था। अब राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से सोमवार को कहा कि वह उन दोषियों को मौत की सजा देने के लिए दबाव बनाएगी।

सुप्रीम कोर्ट ने तीन सप्ताह के बाद की तारीख की तय

मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा और जेबी पारदीवाला की पीठ ने मामले के कई आरोपियों की जमानत याचिकाओं पर सुनवाई के लिए तीन सप्ताह बाद की तारीख तय की है। अदालत ने दोनों पक्षों के वकील से एक समेकित चार्ट दाखिल करने को कहा है, जिसमें उन्हें दिए गए वास्तविक सजा और अब तक जेल में बिताए गए समय का विवरण दिया गया है।

मृत्युदंड देने के लिए गंभीरता से दबाव डालेंगे- तुषार मेहता

गुजरात सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पीठ को बताया कि हम उन दोषियों को मृत्युदंड देने के लिए गंभीरता से दबाव डालेंगे, जिनकी मृत्युदंड की सजा को गुजरात हाई कोर्ट ने आजीवन कारावास में बदल दिया गया था। यह सबसे दुर्लभ मामलों में से एक है, जहां महिलाओं और बच्चों सहित 59 लोगों को जिंदा जला दिया गया था।

बोगी को बाहर से बंद करके लगाई थी आग

सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि यह बात हर कोई जानता है कि बोगी को बाहर से बंद कर दिया गया था। जिसमें महिलाओं और बच्चों सहित 59 लोगों की मौत हो गई थी। उन्होंने कहा 11 दोषियों को निचली अदालत ने मौत की सजा सुनाई थी और 20 अन्य को मामले में आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी। कुछ लोग कह रहे हैं कि उनकी भूमिका सिर्फ पथराव तक ही सीमित थी। मगर, जब आप किसी डिब्बे को बाहर से बंद करते हैं, उसमें आग लगाते हैं और फिर पथराव करते हैं, तो यह सिर्फ पथराव नहीं है।

मामले में दो दोषियों को मिल चुकी है जमानत

मेहता ने कहा कि उच्च न्यायालय ने मामले में कुल 31 सजाओं को बरकरार रखा और 11 दोषियों की मौत की सजा को उम्रकैद में बदल दिया। शीर्ष अदालत इस मामले में अब तक दो दोषियों को जमानत दे चुकी है। मामले में सात अन्य जमानत याचिकाएं लंबित हैं। बताते चलें कि 27 फरवरी 2002 को गुजरात के गोधरा में ट्रेन के एस-6 कोच में आग लगा दी थी। इस कांड के बाद राज्य में दंगे भड़क गए थे।

जमानत याचिका पर गुजरात सरकार से मांगा था जवाब

सुप्रीम कोर्ट ने 30 जनवरी को इस मामले में उम्रकैद की सजा पाए कुछ दोषियों की जमानत याचिकाओं पर गुजरात सरकार से जवाब मांगा था। अब्दुल रहमान धंतिया उर्फ कंकत्तो, अब्दुल सत्तार इब्राहिम गद्दी असला और अन्य की जमानत याचिका पर कोर्ट ने राज्य सरकार को नोटिस जारी किया। बताते चलें कि शीर्ष अदालत ने पिछले साल 15 दिसंबर को मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहे फारूक को जमानत दे दी थी और कहा था कि वह 17 साल से जेल में है। फारुक समेत कई अन्य को साबरमती एक्सप्रेस के एक डिब्बे पर पथराव करने का दोषी ठहराया गया था।

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