Gyanvapi Case: ASI सर्वे से खुलेंगे ज्ञानवापी के सारे राज? राम मंदिर मामले में भी निभाई थी महत्वपूर्ण भूमिका
ASI Survey of Gyanvapi Masjid सुप्रीम कोर्ट ने वाराणसी के काशी विश्वनाथ मंदिर के पास स्थित ज्ञानवापी मस्जिद के एएसआई सर्वे पर 26 जुलाई तक रोक लगा दी है लेकिन क्या आपको पता है कि एएसआई के सर्वे ने अयोध्या विवाद पर नौ नवंबर 2019 को आए सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले में भी निर्णायक भूमिका निभाई थी। पढ़ें पूरी रिपोर्ट...
अयोध्या विवाद पर सुप्रीम कोर्ट ने लिया ASI की रिपोर्ट का सहारा
ASI ने सबसे पहले कब की राम जन्मभूमि स्थल की खुदाई?
ASI की टीम में कौन-कौन लोग शामिल थे?
ASI की इस टीम में पांच पुरातत्वविद् प्रोफेसर बीबी लाल, डॉ. केपी नौटियाल, एसके श्रीवास्तव, आरके चतुर्वेदी, केएम अस्थाना जीवाजी विश्वविद्यालय से थे, जबकि अन्य तीन महदावा एन कट्टी, एलएम वहल और एमएस मणि एएसआई से थे। इस समूह में एक सदस्य हेम राज ने पुरातत्व विभाग, यूपी सरकार का प्रतिनिधित्व किया था। उनके अलावा, पुरातत्व स्कूल के 12 छात्र भी अभ्यास का हिस्सा थे। इस परियोजना में एकमात्र मुस्लिम चेहरा केके मुहम्मद थे, जो उस समय एक छात्र थे और बाद में एएसआई में उत्तरी क्षेत्र के क्षेत्रीय निदेशक बने।- भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के पूर्व निदेशक (उत्तर) केके मुहम्मद, 1976-77 में पूर्व एएसआई महानिदेशक बीबी लाल के तहत आयोजित पहले उत्खनन अभियान का हिस्सा थे। उन्होंने दावा किया कि सबूतों से स्पष्ट संकेत मिलता है कि उस स्थान पर कभी एक भव्य मंदिर था।
- एएसआई अधिकारी ने कहा कि उन्हें मस्जिद के 12 खंभे मिले, जो एक मंदिर के अवशेषों से बने थे। अवशेषों में मिले घड़े से संकेत मिलता है कि वे एक मंदिर के प्रतीक थे।
- इसके बाद, 2003 में इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ पीठ के एक आदेश के अनुसार खुदाई का दूसरा दौर शुरू हुआ। हालांकि, तब तक मस्जिद को विध्वंस कर दिया गया था।
- विध्वंस के कारण ग्राउंड-पेनेट्रेटिंग रडार (जीपीआर) सर्वेक्षण किया गया।
- सभी पुरातात्विक खोजों को वीडियो पर रिकॉर्ड किया गया और पहले के निष्कर्षों से सत्यापित किया गया, जिससे साइट पर एक मंदिर होने का निष्कर्ष सामने आया।
खुदाई के दौरान मिले कलश और खंभे
एएसआई अधिकारी मुहम्मद ने कुछ साल बाद राम जन्मभूमि स्थल की खुदाई पर एक इंटरव्यू दिया था। इस दौरान उन्होंने बताया,मैं जब अंदर गया तो मुझे मस्जिद के 12 खंभे दिखाई दिए, जो मंदिर के अवशेषों से बने थे। आपको 12वीं और 13वीं शताब्दी में बने लगभग सभी मंदिरों में आधार पर पूर्ण कलश मिलता है। यह एक घड़े की संरचना में था, जिसमें से पत्ते निकल रहे थे। यह हिंदू धर्म में समृद्धि का प्रतीक है। इसे अष्टमंगला चिन्ह के नाम से भी जाना जाता है।
अंदर जाने पर कई देवी-देवताओं की मूर्ति दिखाई दी। बाबरी मस्जिद में कोई देवी-देवता नहीं दिखाई दिए थे, लेकिन अष्टमंगला चिन्ह दिखाई दिया था। इसके आधार पर कोई भी पुरातत्ववेत्ता यह कहेगा कि ये मंदिर के अवशेष हैं।
खुदाई के दौरान और क्या मिला?
मुहम्मद ने कहा कि खुदाई के दौरान टीम को कई टेराकोटा की मूर्तियां भी मिलीं थीं, जिसमें इंसानों और जानवरों को दर्शाया गया था। यह विशेषता एक मंदिर की हो सकती है, लेकिन मस्जिद की नहीं, क्योंकि इस्लाम में यह हराम है। उन्होंने कहा कि बीबी लाल ने इन निष्कर्षों को उजागर नहीं किया, क्योंकि हमारी खुदाई का उद्देश्य यह स्थापित करना नहीं था कि वहां मंदिर था या नहीं।राम जन्मभूमि स्थल की दूसरी खुदाई कब हुई?
राम जन्मभूमि स्थल की दूसरी खुदाई 2003 में हुई। इस दौरान एएसआई की टीम को 50 से अधिक खंभे मिले। इससे साफ संकेत मिलता है कि मस्जिद के नीचे एक मंदिर था, जो 12 वीं शताब्दी ईसा पूर्व का हो सकता है। इसके अलावा, दीवारों पर मगरमच्छ के प्रतीक को भी दर्शाया गया था। साइट से मिले दो अवशेषों पर विष्णु हरि शिला फलक का एक शिलालेख भी पाया गया था। इसके अलावा, देवी-देवताओं की मूर्तियां भी पाई गई थीं, जिससे यह साबित होता है कि वहां मंदिर था।सुप्रीम कोर्ट ने राम मंदिर पर क्या फैसला सुनाया था?
सुप्रीम कोर्ट ने भी अपने ऐतिहासिक फैसले में एएसआई के 2003 के निष्कर्षों का जिक्र करते हुए कहा था कि बाबरी मस्जिद पहले से मौजूद एक बड़े ढांचे की दीवारों पर आधारित थी। शीर्ष अदालत ने अपने फैसले में राम मंदिर का निर्माण करने के लिए एक ट्रस्ट का गठन करने और मुस्लिम पक्ष को दूसरी जगह पांच एकड़ जमीन देने का आदेश दिया था। बाबरी मस्जिद को छह दिसंबर 1992 को विध्वंस किया गया था।ASI की 2003 की रिपोर्ट कितने पन्नों की थी?
सुप्रीम कोर्ट द्वारा सुनाए गए फैसले में 2003 में जारी एएसआई की रिपोर्ट ने अहम भूमिका निभाई थी। इस रिपोर्ट में कहा गया था कि विवादित बाबरी मस्जिद-राम जन्मभूमि स्थल पर एक 'हिंदू संरचना' के अवशेष पाए गए थे। नतीजा 574 पन्नों की एक रिपोर्ट थी, जो उसी साल अगस्त में अदालत को सौंपी गई थी।अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
अयोध्या विवाद की शुरुआत 23 दिसंबर 1949 को हुई थी। इस दिन भगवान राम की मूर्तियां मस्जिद में पाई गई थीं। हिंदुओं का कहना था कि प्रभु राम खुद प्रकट हुए हैं, जबकि मुसलमानों का दावा था कि किसी ने उन मूर्तियों को वहां रख दिया है।
अयोध्या केस 9 नवंबर 2019 को खत्म हुआ। अदालत ने 16 अक्टूबर 2019 को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। इस फैसले को मुख्य न्यायाधीश जस्टिस रंजन गोगोई की पांच सदस्यीय पीठ ने सुनाया था।