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'नेताजी होते तो देश का नहीं होता बंटवारा', NSA अजीत डोभाल बोले- बोस होते तो जिन्ना उन्हें मान लेते नेता

अजीत डोभाल ने पाकिस्तान के संस्थापक मुहम्मद अली जिन्ना के वक्तव्य का उल्लेख करते हुए कहाजिन्ना ने सिर्फ सुभाष चंद्र बोस को नेता के तौर पर स्वीकार करने की बात कही थी। नेताजी आजादी को लड़कर लेना चाहते थे न कि भीख स्वरूप में लेकर।

By Jagran NewsEdited By: Piyush KumarUpdated: Sun, 18 Jun 2023 06:52 AM (IST)
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भारत के एनएसए अजीत डोभाल की फाइल फोटो।(फोटो जागरण)
नई दिल्ली, एएनआइ। राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने शनिवार को दिल्ली में नेताजी सुभाष चंद्र बोस मेमोरियल लेक्‍चर में भाषण दिया। भाषण के दौरान उन्होंने कहा,"आजादी के समय अगर नेताजी सुभाष चंद्र बोस होते तो देश का बंटवारा नहीं होता। ऐसा इसलिए होता क्योंकि नेताजी बंटवारे के कारणों को सकारात्मक ढंग से सुलझा लेते।

वो किसी को अच्छा या बुरा नहीं कह रहे: अजीत डोभाल

डोभाल ने आगे कहा,"नेताजी के साथ इतिहास में न्याय नहीं हुआ लेकिन वह इस बात से प्रसन्न हैं कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इस गलती को दूर करने की कोशिश की है।

एनएसए ने कहा,वह किसी को अच्छा या बुरा नहीं कह रहे लेकिन यह जानते हैं कि नेताजी के बौद्धिक स्तर वाले बहुत कम लोग उनके समय की राजनीति में थे। इसी प्रकार से बहुत कम लोगों में धारा के विपरीत चलने की क्षमता होती है। ब्रिटिश साम्राज्यवाद के युग में यह और ज्यादा मुश्किल था। लेकिन नेताजी में यह क्षमता थी।"

जिन्ना ने भी सुभाष चंद्र बोस को माना नेता: अजीत डोभाल

डोभाल ने पाकिस्तान के संस्थापक मुहम्मद अली जिन्ना के वक्तव्य का उल्लेख करते हुए कहा,"जिन्ना ने सिर्फ सुभाष चंद्र बोस को नेता के तौर पर स्वीकार करने की बात कही थी। नेताजी आजादी को लड़कर लेना चाहते थे, न कि भीख स्वरूप में लेकर। ऐसा इसलिए क्योंकि आजादी भारतीयों का अधिकार थी।"

उन्होंने आगे कहा,"नेताजी ने कहा था कि अगर आजादी मांगकर ली गई तो वह सशर्त होगी। इसलिए भारत को अगर बिना शर्त आजादी मिली होती तो देश का बंटवारा नहीं होता। 1947 में अगर सुभाष चंद्र बोस होते तो जिन्ना उन्हें नेता मान लेते और भारत का बंटवारा नहीं होता। डोभाल ने कहा कि नेताजी का कई मुद्दों पर महात्मा गांधी से मतभेद था लेकिन उनके मन में गांधीजी को लेकर बहुत सम्मान था।"

नेताजी लोगों के स्वतंत्र महसूस कराना चाहते थे: अजीत डोभाल

डोभाल ने कहा,"नेताजी का नेतृत्व करने का तरीका अलग था। उनका मानना था कि भारत एक वास्तविकता थी, वास्तविकता है और वास्तविकता रहेगी। इसीलिए वह आजादी से कम पर कोई समझौता करने को तैयार नहीं थे।

उन्होंने कहा,नेताजी केवल राजनीतिक गुलामी से मुक्ति नहीं चाहते थे बल्कि वह भारत की राजनीतिक, सामाजिक और सांस्कृतिक सोच को बदलना चाहते थे। वह आम आदमी को उस तरह महसूस कराना चाहते थे जैसे कि एक चिड़िया खुले आकाश में महसूस करती है-जहां चाहे वहां उड़ सकती है।"

विकृत तस्वीर पेश कर रहे डोभाल : जयराम रमेश

कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने डोभाल पर इतिहास की विकृत तस्वीर पेश करने का आरोप लगाया है। कहा, देश की आजादी के समय और पाकिस्तान बनने की प्रक्रिया में नेताजी कैसे होते, क्योंकि वह तो 1940 में ही फारवर्ड ब्लाक बनाकर कांग्रेस से अलग हो गए थे। रमेश ने ट्वीट कर कहा, नेताजी ने गांधीजी को चुनौती दी थी और वह वामपंथी विचारधारा के थे।