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Namami Gange: नमामि गंगे के लंबित कार्यों को पूरा करेंगे आधा दर्जन मंत्रालय, राज्य सरकारें करेंगी सहयोग

नमामि गंगे मिशन के दूसरे चरण में गंगा की सहायक नदियों पर बसे शहरों व कस्बों में लंबित परियोजनाओं को समय से पूरा किया जाएगा। इसमें छह केंद्रीय मंत्रालयों के साथ राज्य सरकारें सहयोग करेंगी।आजादी के अमृत महोत्सव के तहत गंगा किनारे बसे 75 शहरों में प्रदर्शनी और मेला लगेगा।

By Jagran NewsEdited By: Sonu GuptaUpdated: Sat, 10 Dec 2022 09:11 PM (IST)
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नमामि गंगे के लंबित कार्यों को पूरा करेंगे आधा दर्जन मंत्रालय। फाइल फोटो

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। नमामि गंगे मिशन के दूसरे चरण में गंगा की सहायक नदियों पर बसे शहरों व कस्बों में लंबित परियोजनाओं को समय से पूरा किया जाएगा। इसमें छह केंद्रीय मंत्रालयों के साथ राज्य सरकारें सहयोग करेंगी। आजादी के अमृत महोत्सव के तहत गंगा किनारे बसे 75 शहरों में प्रदर्शनी और मेला लगेगा। जबकि प्रोजेक्ट गंगा डाल्फिन का दायरा बढ़ाया जाएगा। इसी चरण में प्राकृतिक खेती के लिए किसानों को जागरुक बनाने की दिशा में गंगा किनारे वाले 75 सहकार ग्राम विकसित किए जाएंगे।

साझा टास्क फोर्स की बैठक में लिया गया फैसला

मालूम हो कि गंगा से जुड़ी 139 जिला कमेटियों में से 52 गंगा किनारे वाले जिले हैं, जबकि 87 सहायक नदियों वाले जिले हैं। इन जिला कमेटियों में नमामि गंगे मिशन वाली परियोजनाओं की नियमित समीक्षा की जाएगी। यह निर्णय जल शक्ति मंत्रालय की अध्यक्षता में आधा दर्जन केंद्रीय मंत्रालय और संबंधित राज्यों के साझा टास्क फोर्स की बैठक में लिया गया।

नमामि गंगे कार्यक्रमों की हुई समीक्षा

बैठक में नमामि गंगे कार्यक्रमों की समीक्षा के साथ बाकी कार्यों को पूरा करने के लिए प्रस्तावित प्रारुप गहन विचार-विमर्श किया गया। इसी दौरान नमामि गंगे मिशन के पहले चरण के बाकी बचे कार्यों को मिशन के दूसरे चरण में पूरा करने का निश्चय भी किया गया। इसके तहत गंगा के साथ उसकी सहायक नदियों के किनारे के शहरों व कस्बों में लंबित पड़े कार्यों पर जोर दिया जाएगा।

जैविक और प्राकृतिक खेती को किया जा रहा प्रोत्साहित

बैठक में पर्यटन मंत्रालय अर्थ गंगा के तहत पर्यटन सर्किट की व्यापक योजना तैयार की है, जिस पर कार्य जारी है। इसके तहत आजादी का अमृत महोत्सव में हिस्सा लेते हुए गंगा किनारे के 75 शहरों में प्रदर्शनी और मेले का आयोजन किया जाएगा। जबकि ऊर्जा मंत्रालय अपने ताप विद्युत संयंत्रों में उपयोग होने वाले पानी को साफ कर दोबारा उपयोग करने की योजना बनाई है। इस दिशा में केंद्रीय कृषि मंत्रालय ने गंगा किनारे एक चौड़ा गलियारा चिन्हित किया है, जिसमें जैविक और प्राकृतिक खेती को प्रोत्साहित किया जा रहा है। इससे जहां गंगा किनारे बी आबादी को स्वच्छ व शुद्ध पीने के पानी मिलेगा, वहीं पर्यावरण में सुधार होगा।

केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय ने बनाई दीर्घकालिक योजना

गंगा की स्वच्छता को बनाए रखने के लिए केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय ने एक दीर्घकालिक योजना तैयार की है। इसके तहत स्वच्छ भारत मिशन (एसबीएम) और अमृत के दूसरे चरण में शहरी नालों के मानचित्र और कचरे प्रबंधन पर जोर दे रहा है। पर्यावरण व वन मंत्रालय ने गंगा बेसिन में पेड़ लगाकर हरियाली को प्रोत्साहित करने के साथ प्रोजेक्ट डॉल्फिन को विस्तार देने की योजना तैयार कर ली है। इसके अमल के लिए राज्यों का सहयोग लिया जाएगा।

कई योजनाओं पर जारी है कार्य

बैठक के दौरान नमामि गंगे के तहत शुरु किए जा चुके कार्यों का ब्यौरा भी दिया गया। गंगा के आसपास के क्षेत्रों में अर्थ गंगा परियोजना के तहत जो कार्य चल रहे हैं, उनमें जीरो बजट खेती, प्रति बूंद पानी से अधिक आमदनी और गोबर धन जैसे प्रमुख हैं। शहरी निकायों से निकलने वाले प्रदूषित जल को साफ कर सिंचाई में सप्लाई करने की योजना पर कार्य जारी है।

समयबद्ध तरीके से किया जाएगा पूरा

इसी तरह जीविकोपार्जन के लिए रोजगार सृजन पर भी बल दिया जा रहा है। इसके तहत घाट में हाट, उसमें लोकल उत्पादों को प्रोत्साहित करने, आयुर्वेद, जड़ी-बूटी, गंगा प्रहरी और गंगा दूत जैसे स्वयंसेवी तैयार करने की योजना तैयार है। गंगा को स्वच्छ व निर्मल बनाए रखने के लिए जन सहभागिता सबसे जरूरी माना गया, जिसमें गंगा उत्सव जैसे आयोजना पर जोर होगा। गंगा किनारे की सांस्कृतिक विरासत, पर्यटन, नौका पर्यटन व योग को प्रोत्साहित किया जाएगा। इन सारे कार्यक्रमों को समयबद्ध तरीके से पूरा किया जाएगा।

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