हरनाज कौर संधू के सहज-सधे व्यक्तित्व ने 21 साल बाद देश को मिस यूनिवर्स का खिताब दिलाया
देखा जाए तो ऐसी बातें आज के युवाओं खासकर देश की बेटियों को आत्मविश्वास से भरने और अपने सपने साधने का संदेश देती हैं। ऐसे भाव भविष्य में हर क्षेत्र से जुड़े युवाओं में आगे बढ़ने और अपने देश के लिए सार्थक उपलब्धियां हासिल करने की ऊर्जा भरने वाले हैं।
By Sanjay PokhriyalEdited By: Updated: Wed, 15 Dec 2021 06:09 PM (IST)
डा. मोनिका शर्मा। मिस यूनिवर्स-2021 का खिताब अपने नाम करने वाली हरनाज कौर संधू सुंदर चेहरा भर नहीं है, देश का प्रतिनिधित्व करने वाली एक बेटी भी है। ऊर्जा और आत्मविश्वास से भरी एक बेटी की यह उपलब्धि देश के हर नागरिक के लिए गर्व की बात है। चाहे ग्लैमर की दुनिया से जुड़ी प्रतियोगिता में विजेता बनने के बाद सिर पर सजा ताज हो या तकनीक और खेल के संसार में मिली पहचान, हर जीत अपने देश के आंगन में मिली समझ, सहयोग और मार्गदर्शन का संदेश लिए होती है। हरनाज ने 79 देशों की प्रतिभागियों को पीछे छोड़ते हुए सर्वश्रेष्ठ तीन प्रतिभागियों में जगह बनाने के बाद दक्षिण अफ्रीका की ललेला मसवाने और पराग्वे की नादिया फरेरा को पीछे छोड़ते हुए यह खिताब जीता है।
इजरायल के इलियट में आयोजित 70वीं मिस यूनिवर्स प्रतियोगिता में भारत की हरनाज ने यह जीत देश के नाम की है। उनके मुस्कुराते चेहरे और सहज-सधे व्यक्तित्व ने इस अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता में 21 साल बाद हमारे देश को जीत दिलाई है। हरनाज से पहले दो भारतीय महिलाओं ने मिस यूनिवर्स का ताज हासिल किया है। इससे पहले अभिनेत्री सुष्मिता सेन और लारा दत्ता ने यह ताज पहनकर देश का मान बढ़ाया था। साल 2000 में लारा दत्ता और 1994 में सुष्मिता सेन ने मिस यूनिवर्स का ताज देश के नाम किया था। विचारणीय है कि ऐसी प्रतियोगिताओं में जीत दर्ज करने वाले चेहरे एक संपूर्ण व्यक्तित्व के तौर पर देखे जाते हैं। यही वजह है कि उनसे पूछे गए सवालों के जवाबों से लेकर उनकी पारिवारिक पृष्ठभूमि तक सब कुछ चर्चा का विषय बन जाता है। विशेषकर युवाओं की सोच को उनके विचार और व्यक्तित्व से जुड़ी बातें खूब प्रभावित करती हैं। हरनाज द्वारा दिए गए एक सवाल के जवाब की भी खूब चर्चा हो रही है।
प्रतियोगिता के आखिरी चरण में सभी प्रतिभागियों से पूछा गया था कि ‘आज के समय में दबाव का सामना कर रहीं उन युवा महिलाओं को वह क्या सलाह देना चाहेंगी जिससे वे उसका सामना कर सकें?’ इस प्रश्न के जवाब ने उनकी जीत पक्की की। हरनाज ने पूरे आत्मविश्वास से कहा कि ‘आज के युवा के सामने सबसे बड़ा दबाव खुद पर यकीन करने को लेकर है। यह जानना कि आप सबसे अलग हैं आपको खूबसूरत बनाता है। खुद की लोगों से तुलना करना बंद करें। उन चीजों के बारे में बात करें, जो दुनिया में हो रही हैं और ज्यादा महत्वपूर्ण हैं। खुद के लिए आवाज उठाइए, क्योंकि आप ही अपने जीवन के नेतृत्वकर्ता हैं, आप ही आपकी आवाज हैं। मैंने खुद पर यकीन किया और आज यहां खड़ी हूं।’ हरनाज ने उत्तर में औरों से तुलना की सोच से दूर रहते हुए अपना मनोबल बनाए रखने और मुखर होकर अपनी बात कहने की पैरवी की। युवाओं के लिए अपने-आप पर यकीन रखने को जरूरी बताया। कहना गलत नहीं होगा कि आज के दौर में यह अपने सपने साधने और तरक्की की राह पर आगे बढ़ने का मूलमंत्र है।
देखने में भी आ रहा है कि हमारे यहां हर क्षेत्र से जुड़ी महिलाएं अब मुखर होकर अपनी बात रख रही हैं। नतीजतन आए दिन देश की बेटियों की उपलब्धियां हमारे सामने आती रहती हैं। कम उम्र में शादी के विरोध से लेकर उच्च शिक्षा जारी रखने के लिए आवाज उठाने और मतदान के लिए घर से निकलने से लेकर आर्थिक आत्मनिर्भरता के मोर्चे तक पर महिलाएं पूरे आत्मविश्वास से अपनी उपस्थिति दर्ज करवा रही हैं। इतना ही नहीं आज के दौर की महिलाएं अपने परिवेश की बदलती परिस्थितियों, अधिकारों और कर्तव्यों को लेकर भी जागरूक हैं। सुखद है कि ताज हासिल करने के बाद चर्चा में आई भारत की इस बेटी के इन विचारों की पहुंच देश के कोने-कोने में बसी महिलाओं तक पहुंचेगी। फिर उनके बीच भी मुखरता और आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ने के विषय में चर्चा होगी।
आज दुनिया की सबसे ज्यादा युवा आबादी भारत में बसती है। अंतरराष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता में जीत दर्ज कर वैश्विक पटल पर चमक रहीं हरनाज की बातें युवाओं के लिए प्रेरणादायी हैं। दूसरों से तुलना करने के बजाय सजग हो खुद के लिए आवाज उठाने की उनकी बात देश के युवाओं के लिए बेहतरी का मंत्र-सा है। यह एक कटु सच है कि आज के दौर में इंटरनेट मीडिया अपडेट्स से लेकर आम जिंदगी की चमक-दमक तक तुलना करने की सोच ने युवाओं को तनाव और अवसाद का शिकार बना रखा है। किसी से पीछे छूट जाने की आभासी उलझनों ने उन्हें घेर रखा है। इतना ही नहीं जलवायु परिवर्तन से जुड़ी चिंताओं के प्रति गंभीरता की कमी से जुड़े सवाल के जवाब में भी हरनाज ने मौजूदा हालात को बातें कम और काम ज्यादा करने वाली परिस्थितियां मानते हुए कहा कि ‘हमारा हर एक काम प्रकृति को या तो बचा सकता है या नष्ट कर सकता है। रोकथाम और सुरक्षा करना पछताने और मरम्मत करने से बेहतर है।’
[सामाजिक मामलों की जानकार]