Hathras Stampede News: किसकी थी लापरवाही? कैसे मची भगदड़... सुप्रीम कोर्ट पहुंचा हाथरस मामला, PIL में की गई ये मांग
Hathras Stampede News बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई जिसमें हाथरस भगदड़ की घटना की जांच के लिए शीर्ष न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश की निगरानी में पांच सदस्यीय विशेषज्ञ समिति नियुक्त करने का निर्देश देने की मांग की गई। हाथरस में 2 जुलाई 2024 को भगदड़ में 100 से अधिक लोग मारे गए थे।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। हाथरस भगदड़ मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। एक जनहित याचिका दाखिल हुई है जिसमें कहा गया है कि सरकार को निर्देश दिया जाए कि वह दो जुलाई की हाथरस भगदड़ की घटना की जांच के लिए तत्काल सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत न्यायाधीश की निगरानी में पांच सदस्यीय विशेषज्ञ समिति गठित करे।
दोषियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई
जनहित याचिका में यह भी मांग की गई है कि जन सुरक्षा के हितों को देखते हुए भविष्य में इस तरह की घटनाएं न हों इसके लिए समिति दिशा निर्देश तय करने के सुझाव दे। उत्तर प्रदेश सरकार को हाथरस भगदड़ की स्थिति रिपोर्ट दाखिल का निर्देश दिया जाए साथ ही पूछा जाए कि लापरवाही के दोषियों के खिलाफ क्या कानूनी कार्रवाई की गई है।
भगदड़ रोकने के लिए दिशा निर्देश
उत्तर प्रदेश के हाथरस में दो जुलाई को सत्संग के दौरान हुई भगदड़ में सौ से ज्यादा लोगों की मौत हो गई थी और सैकड़ों अन्य घायल हुए थे। सुप्रीम कोर्ट में वकील विशाल तिवारी ने यह जनहित याचिका दाखिल की है। याचिका में यह भी मांग की गई है कि सभी राज्यों को निर्देश दिया जाए कि लोगों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए धार्मिक व अन्य आयोजनों पर भगदड़ रोकने के लिए दिशा निर्देश जारी करें।
पहले की घटनाओं से नहीं लिया सबक
राज्य सरकारें स्थिति रिपोर्ट दाखिल कर बताएं कि भगदड़ की घटनाओं से निपटने के लिए जिला, ब्लॉक और तहसील स्तर पर क्या चिकित्सीय सुविधाएं उपलब्ध हैं। दाखिल याचिका में पूर्व की भीड़भाड़ वाली जगहों पर हुई भगदड़ की घटनाओं और उसमें हुई मौतें का भी जिक्र किया गया है। याचिका में कहा गया है कि पूर्व में भी ऐसी घटनाएं हुई हैं लेकिन हमने उनसे कोई सबक नहीं लिया।
आयोजकों और प्रशासन पर भी उसे सवाल
देश के लोगों की धर्म में गहरी आस्था है और ऐसे में धार्मिक समागम में भारी संख्या में लोग जुटते हैं। लेकिन आयोजकों और प्रशासन द्वारा पर्याप्त सुरक्षा न किये जाने पर बड़ी संख्या में लोग खतरे में हैं। याचिका में दो जुलाई की हाथरस की भगदड़ की घटना का उल्लेख करते हुए कहा गया है कि यह लोगों की सुरक्षा से जुड़ा महत्वपूर्ण मामला है और कोर्ट को इसमें दखल देना चाहिए।
सरकारी तंत्र की लापरवाही
याचिकाकर्ता का कहना है कि भीड़भाड़ वाली जगह प्रशासनिक तौर पर उचित प्रबंधन करना सरकार की जिम्मेदारी है। भारत में ग्रामीण क्षेत्रों में सत्संग के लिए काफी संख्या में भक्त एकत्र होते हैं। कई बार तो वहां आपात स्थिति में प्रवेश द्वार और बाहर निकलने के द्वार भी ठीक से चिन्हित नहीं होते।
मूलभूत सुविधाओं का भी अभाव रहता है। यहां तक कि आयोजकों का भी स्थानीय अथॉरिटी के साथ संपर्क का अभाव होता है और इनका नतीजा ही भयंकर भगदड़ है जैसी कि उत्तर प्रदेश के हाथरस में हुई। यह घटना सरकारी तंत्र की लापरवाही का नतीजा है।
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