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आपने कभी देखा है 1400 साल पुराना कोई पेड़, ग्रामीण इस महावृक्ष को देवतुल्य मानते हैं

वानिकी की वैज्ञानिक पद्धतियों का इस्तेमाल कर जब इस महावृक्ष का विशेषज्ञों ने बारीकी से अध्ययन किया, तब इसकी उम्र 1400 साल पाई गई।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Updated: Mon, 04 Jun 2018 02:24 PM (IST)
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आपने कभी देखा है 1400 साल पुराना कोई पेड़, ग्रामीण इस महावृक्ष को देवतुल्य मानते हैं

बिलासपुर [विकास पांडेय]। कोरबा, छत्तीसगढ़ के बाल्को वन परिक्षेत्र में वन विभाग ने 1400 साल पुराने साल के पेड़ को संरक्षित किया है। पादप विज्ञानियों ने वैज्ञानिक परीक्षण के बाद इसकी उम्र की पुष्टि की है, जो इसे भारत के ही नहीं बल्कि दुनिया के सबसे पुराने जीवित वृक्षों में शुमार करती है। क्षेत्रीय ग्रामीण और आदिवासी इस महावृक्ष को देवतुल्य मानते आए हैं।

हजार वर्ष पुराने गिनती के पेड़
दुनिया में हजार वर्ष पुराने जीवित वृक्ष अंगुलियों पर गिने जा सकते हैं। एरीजोना, अमेरिका स्थित यूनिवर्सिटी ऑफ टकसन में मौजूद लैबोरेटरी ऑफ ट्री रिंग रिसर्च (एलटीआरएस) यह काम करती है। यह डेंड्रोक्रोनोलॉजी यानी वृक्षों की उम्र को निर्धारित करने की आधुनिक विधि की विश्वस्तरीय संस्था है। इसके द्वारा अमेरिका के कैलिफोर्निया स्थित व्हाइट माउंटेंस में ग्रेट बेसिन ब्रिस्टलकोन नामक पाइन प्रजाति के वृक्ष की उम्र 5067 साल आंकी गई है।

इस लिहाज से इसे दुनिया के सर्वाधिक उम्रदराज जीवित वृक्ष का खिताब दिया गया है। इस सूची में दूसरे नंबर पर चिली में मौजूद 3647 साल पुराना ग्रेन एब्युएलो नामक फिट्जरोया प्रजाति का वृक्ष है। तीसरे नंबर पर है ग्रीस में मौजूद 1075 साल पुराना बोस्नियन पाइन ट्री। इसे 2016 में यूरोप का सबसे उम्रदराज पेड़ घोषित किया गया।

ऐसे होता है उम्र का निर्धारण
एलटीआरएस द्वारा पेड़ों की उम्र का निर्धारण (डेंड्रोक्रोनोलॉजी) ट्री रिंग यानी तने की विभिन्न परतों की गणना कर किया जाता है। तने का विकास परत-दर-परत होता है। इसके अलावा कार्बन डेटिंग पद्धति से भी पेड़ की उम्र की सटीक गणना की जाती है।

सूची में जगह बना सकता है साल महावृक्ष
अब यदि भारत की बात करें तो छत्तीसगढ़ के कोरबा वनक्षेत्र में खड़ा 1400 साल पुराना साल का वृक्ष, जिसकी उम्र की पुष्टि वन विभाग ने की है, उक्त सूची में बोस्नियन पाइन ट्री को पीछे छोड़ सकता है।

2006 में हुई थी खोज
कोरबा का सतरेंगा गांव साल वृक्षों के प्राकृतिक खजाने के लिए पहचान रखता है। यहां 2006 में इस महावृक्ष की खोज हुई थी। वानिकी की वैज्ञानिक पद्धतियों का इस्तेमाल कर जब इस महावृक्ष का विशेषज्ञों ने बारीकी से अध्ययन किया, तब इसकी उम्र 1400 साल पाई गई। देहरादून स्थित वानिकी प्रयोगशाला के वैज्ञानिकों द्वारा किए गए परीक्षण में भी इसकी उम्र की पुष्टि की गई। अब इसकी उम्र को बोर्ड पर अंकित किया गया है। महावृक्ष की ऊंचाई 28 मीटर से अधिक है। जमीनी सतह पर गोलाई 28 इंच है।

ये हैं दुनिया के सबसे पुराने वृक्ष
अमेरिका के कैलिफोर्निया में 5067 साल पुराना ग्रेट बेसिन ब्रिस्टलकोन पाइन वृक्ष।

चली में 3647 साल पुराना ग्रेन एब्युएलो नामक फिट्जरोया प्रजाति का वृक्ष।

ग्रीस में 1075 साल पुराना और यूरोप का सबसे पुराना एकमात्र जीवित वृक्ष।

220 वर्ष पुराने वृक्ष की यादें संजोने को बनाई समाधि
उत्तराखंड में उत्तरकाशी से 162 किमी दूर मोरी तहसील के आगे मोरी-त्यूणी मार्ग पर टोंस वनप्रभाग के जंगल में चीड़ का ऐसा पेड़ था, जिसकी ऊंचाई की पहचान न केवल उत्तरकाशी, बल्कि पूरे एशिया महाद्वीप में थी। 220 वर्ष पुराने इस महावृक्ष की ऊंचाई 60.65 मीटर व गोलाई 2.70 मीटर थी। 1997 में केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने इसे एशिया का सबसे ऊंचा चीड़ महावृक्ष घोषित किया था। लेकिन 2002 में इस महावृक्ष को गैनोडर्मा एप्लैनटस नामक कवक रोग लग गया।

तना अंदर से खोखला हुआ तो आठ मई 2007 में आई तेज आंधी को महावृक्ष झेल नहीं सका और धराशायी हो गया। इस वृक्ष के धराशायी होने पर पर्यावरण प्रेमियों को गहरा सदमा पहुंचा। लेकिन, वन विभाग के अधिकारियों ने महावृक्ष की यादें संजोए रखने के लिए उसके तने को संरक्षित कर वहीं म्यूजियम और समाधि बना दी। आज भी पर्यटक व पर्यावरण प्रेमी समाधि स्थल पर आकर इस वृक्ष की रोचकता भरी जानकारी हासिल करते हैं।