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Health Policy: अब इलाज के दौरान जानकारी के लिए नहीं करनी होगी एजेंट की खुशामद, ग्राहकों को मिलेगी लिखित सूचना

हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी लेने वाले ग्राहकों को इलाज के दौरान इंश्योरेंस संबंधित जानकारी के लिए अपने एजेंट या कंपनी पर निर्भर नहीं रहना होगा। आगामी एक जनवरी से सभी कंपनियों को पॉलिसी की रसीद के साथ ग्राहक सूचना शीट (सीआईएस) भी मुहैया कराना अनिवार्य होगा। इस शीट में पॉलिसी कवर में शामिल सभी बीमारी से लेकर रूम और एंबुलेंस के खर्चे जैसी तमाम जानकारी स्पष्ट रूप में दी जाएगी।

By Jagran NewsEdited By: Abhinav AtreyUpdated: Mon, 30 Oct 2023 07:46 PM (IST)
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हेल्थ पॉलिसी लेने पर ग्राहकों को देनी होगी हरेक जानकारी (फाइल फोटो)
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी लेने वाले ग्राहकों को इलाज के दौरान इंश्योरेंस संबंधित जानकारी के लिए अपने एजेंट या कंपनी पर निर्भर नहीं रहना होगा। आगामी एक जनवरी से सभी कंपनियों को पॉलिसी की रसीद के साथ ग्राहक सूचना शीट (सीआईएस) भी मुहैया कराना अनिवार्य होगा।

इस शीट में पॉलिसी कवर में शामिल सभी बीमारी से लेकर रूम और एंबुलेंस के खर्चे जैसी तमाम जानकारी स्पष्ट रूप में दी जाएगी। सोमवार को इस संबंध में भारतीय बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण (इरडा) की तरफ से इंश्योरेंस कंपनियों के लिए निर्देश जारी किया गया। ग्राहकों को तमाम जानकारी उनकी स्थानीय भाषा में देनी होगी जो आसानी से पठनीय हो।

बड़ी संख्या में ग्राहकों की शिकायतें सामने आती हैं

कंपनी या उनके एजेंट सभी पॉलिसीधारकों को डिजिटल या फिजिकल रूप में जानकारी वाली शीट भेजेंगे और यह आश्वस्त करेंगे कि पॉलिसीधारक को यह शीट मिल गई है। इरडा का मानना है कि पॉलिसी संबंधी दस्तावेज कानूनी बारीकियों से भरा होता है। इंश्योरेंस कंपनी और ग्राहकों के बीच सूचना की विषमताओं की वजह से बड़ी संख्या में ग्राहकों की शिकायतें सामने आती हैं।

इस तरह से शिकायतें कम हो जाएंगी

ग्राहकों को अपनी पॉलिसी संबंधी कई जानकारी नहीं होती है, जिससे इलाज के दौरान उनके और कंपनी के बीच तकरार होता है। ऐसे में मामला उपभोक्ता कोर्ट से लेकर कोर्ट रूम तक पहुंचता है। सरल और स्पष्ट भाषा में पहले ही उनकी पॉलिसी संबंधी तमाम सूचनाएं देने से इस प्रकार की शिकायतें कम हो जाएंगी।

कंपनी को देनी होगी मरीज को तमाम जानकारी

इस शीट में ओपीडी, डेंटल, मैटरनिटी कवरेज, पर्सनल दुर्घटना कवर, अस्पताल में भर्ती होने की अवधि, डे-केयर में होने वाले इलाज, मरीज का ट्रैवल कवर जैसी तमाम जानकारी कंपनी को देनी होगी। ग्राहकों को दी जाने वाली शीट में यह भी साफ तौर पर लिखा होगा कि कितनी राशि तक के किराए वाले रूम को वह पॉलिसीधारक इलाज के दौरान ले सकता है या आईसीयू में भर्ती होने पर कितनी राशि तक का खर्च इंश्योरेंस कंपनी उठाएगी।

इंश्योरेंस के लाभ को किसी भी बहाने से नहीं टाल सकती कंपनी

ग्राहकों को यह भी बताना होगा कि रिन्युअल के दौरान किसी और कंपनी से पॉलिसी लेने पर उन्हें क्या-क्या नफा-नुकसान होगा। पॉलिसी के लगातार आठ साल पूरा होने पर कंपनी पॉलिसीधारक को इंश्योरेंस के लाभ को किसी भी बहाने से नहीं टाल सकती है।

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