बिना किसी विशेषज्ञ के सलाह लिए जिम में व्यायाम करना जोखिम भरा, एक्सपर्ट व्यू
Risks of Exercise बिना किसी विशेषज्ञ के सलाह लिए जिम में व्यायाम करना जोखिम भरा भी साबित होता दिख रहा है। हाल के दिनों में ऐसी कई घटनाएं सामने आई हैं जिनसे सबक लिया जाना चाहिए। पीटीआई फोटो
डा. शशांक द्विवेदी। टीवी जगत के मशहूर अभिनेता 46 वर्षीय सिद्धांत वीर सूर्यवंशी की हाल ही में जिम में वर्कआउट करते समय हार्ट अटैक से मृत्यु हो गई। इससे पूर्व हास्य कलाकार राजू श्रीवास्तव और सिद्धार्थ शुक्ला के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ। दक्षिण की फिल्मों के अभिनेता 46 वर्षीय पुनीत राजकुमार की हार्ट अटैक से और गायक केके की मौत भी कार्डियेक अरेस्ट होने से हुई थी। पहले माना जाता था कि हार्ट अटैक का खतरा बुजुर्गों को होता है। लेकिन अब इसकी चपेट में नौजवान भी आने लगे हैं। पैसे खर्च करके लोग जिम में सेहत बनाने के लिए जाते हैं। वहां वे ट्रेनर की मौजूदगी में वर्कआउट करते हैं, ताकि जल्द से जल्द शारीरिक सौष्ठव बना सकें। परंतु पिछले कुछ दिनों से हार्ट अटैक के बढ़ते मामलों से जिम जिंदगी के लिए खतरनाक साबित हो रहा है।
ओवर एक्सरसाइज
विशेषज्ञों के अनुसार कई बार ‘ओवर एक्सरसाइज’ जिम में वर्कआउट करने के दौरान मृत्यु का सबसे बड़ा कारण बनता है। हमें बहुत ज्यादा और बहुत तेज वर्कआउट करने से बचना चाहिए। जब आप वर्कआउट कर रहे हैं, तब न तो बहुत अधिक वजन उठाएं, न किसी वर्कआउट की अति करें। उम्र बढ़ने के साथ इन बातों का ध्यान रखना चाहिए। असल में व्यायाम और हार्ट के बीच सीधा संबंध है। जब आप तेजी से दौड़ते हैं या फिर ज्यादा व्यायाम करते हैं तो महसूस करते होंगे कि हार्ट ज्यादा तेज धड़क रहा है। सामान्य व्यायाम करने वालों की तुलना में जिम में ज्यादा वर्कआउट हार्ट पर प्रेशर डालता है जो सेहत के लिए सही नहीं है।
डाक्टरों का कहना है कि जिम में ज्यादा देर तक एक्सरसाइज करना, ट्रेड मिल पर ज्यादा दौड़ने से दिल की बीमारी की आशंका बढ़ जाती है। ऐसा नहीं है कि जिम में एक्सरसाइज करते ही हार्ट अटैक आ जाए। इसके पीछे कई और कारण जिम्मेदार होते हैं। कोरोना महामारी की दूसरी लहर के बाद से हार्ट अटैक की घटनाएं ज्यादा सामने आ रही हैं। पहले लगा कि कोरोना के इलाज के दौरान ली गई दवाओं से ऐसा हो रहा है। लेकिन अब देखने में आ रहा है कि सामान्य लोग भी दिल की बीमारियों की गिरफ्त में आ रहे हैं।
हैरानी यह है कि फिटनेस का विशेष ध्यान रखने वाले लोग भी हार्ट अटैक का शिकार हो रहे हैं। पिछले दो वर्षों में कई मैराथन रनर भी हार्ट अटैक की चपेट में आए हैं। दरअसल फिटनेस का शौक रखने वाले लोग और युवा भी तनाव भरा जीवन जी रहे हैं। इससे उनके दिल की सेहत पर भी दुष्प्रभाव पड़ रहा है। एक तरह से देखा जाए तो स्ट्रेस, एंजाइटी और खराब खानपान भी हमारे दिलों तक पहुंचने के रास्तों को ब्लाक कर रहे हैं और ये ब्लाकेज ही हार्ट अटैक का रूप ले रहे हैं।
स्टेरायड का उपयोग हानिकारक
आजकल के युवा, एथलीट्स और बाडी बिल्डर्स स्टेरायड का बहुत उपयोग करते हैं, जो हानिकारक है। हाल में जारी आंकड़ों के अनुसार स्टेरायड का इस्तेमाल दिल का दौरा पड़ने की आशंका को कई प्रतिशत तक बढ़ा देता है, खासकर युवाओं में। स्टेरायड्स केवल हृदय को ही नहीं, बल्कि लीवर, किडनी और शरीर के दूसरे अंगों को भी बुरी तरह से प्रभावित करते हैं। डाक्टरों का मानना है कि अगर आप स्टेरायड्स ले रहे हैं तो समय-समय पर हेल्थ चेकअप कराना भी बहुत जरूरी है। दिल के ब्लाकेज के साथ सबसे बड़ा खतरा यह है कि कई बार शरीर को मालूम ही नहीं चल पाता कि दिल पर खतरा आ गया है।
युवाओं में हृदयाघात की बड़ी वजह
एक शोध रिपोर्ट के अनुसार पर्याप्त नींद नहीं लेने वाले युवाओं में हृदयाघात का खतरा ज्यादा हो रहा है। नींद और हृदय रोग के बीच पारस्परिक संबंध है। अध्ययन के दौरान बेसलाइन स्लीप स्कोर और स्लीप स्कोर में समय के साथ होने वाले परिवर्तन और हृदय रोग के बीच संबंधों की जांच की गई तो ये तथ्य सामने आए। पर्याप्त नींद नहीं लेने के अलावा खानपान में लापरवाही बरतना और दिनचर्या का नियमित नहीं होना भी युवाओं में हृदयाघात की बड़ी वजह बन रहा है। सोते समय देर रात तक स्मार्टफोन देखने से भी नींद समय पर नहीं आती। यह भी कम उम्र में हार्ट अटैक के प्रमुख वजहों का कारण है, क्योंकि इससे नींद के घंटे काफी हद तक कम हो जाते हैं।
हृदयाघात के मुख्य वजहों की जानकारी के लिए टीम ने 7200 लोगों पर एक दशक तक गहन शोध किया। इसमें शराब पीने वालों और सामान्य लोगों को सम्मिलित किया गया था। जिन रोगियों में नींद के घंटे बढ़ाए जाने लगे, उनमें हृदय रोग का खतरा कम होने लगा और हार्ट की कार्यक्षमता भी बढ़ने लगी। कुल मिलाकर लोगों को संतुलित और सह अस्तित्व के साथ जीवन जीना सीखना होगा जिसमें किसी भी चीज की अति न हो। युवाओं को आधुनिक माहौल में हाइपर जिमिंग से बचना होगा और संतुलित आहार पर ध्यान देना होगा।
[डायरेक्टर, मेवाड़ यूनिवर्सिटी]