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Article 370 मामले में सुनवाई पूरी, 5 जजों की संविधान पीठ ने सुरक्षित रखा फैसला

आर्टिकल 370 मामले SC ने सुनवाई पूरी हो गई है। CJI डीवाई चंद्रचूड़ (DY Chandrachud) की अध्यक्षता वाली 5 जजों की संविधान पीठ ने 16 दिन की सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया है। बता दें कि 5 अगस्त 2019 को संसद ने जम्मू कश्मीर को अनुच्छेद 370 (Article 370) के तहत मिला विशेष दर्जा खत्म करने का प्रस्ताव पास किया था।

By AgencyEdited By: Ashisha Singh RajputUpdated: Tue, 05 Sep 2023 04:42 PM (IST)
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आर्टिकल 370 मामले पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई पूरी हो गई है।
नई दिल्ली, एएनआई। जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 और अनुच्छेद 35ए को समाप्त करने को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर मंगलवार को बहस पूरी हो गई और सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है। प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ (DY Chandrachud) की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ के समक्ष मामले पर 16 दिनों तक लंबी सुनवाई चली, जिसमें अनुच्छेद 370 हटाने का विरोध करने वाले याचिकाकर्ताओं और जम्मू कश्मीर से 370 समाप्त करने को सही ठहराने वाली केंद्र सरकार की ओर से पक्ष रखा गया।

सुनवाई का अंतिम और 16वां दिन

मंगलवार को मामले पर सुनवाई का अंतिम और 16वां दिन था। सभी पक्षों की ओर से बहस पूरी कर लेने पर कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया। कोर्ट ने पक्षकारों से कहा कि अगर कोई लिखित दलीलें दाखिल करना चाहता है तो वह तीन दिनों में दाखिल कर सकता है लेकिन लिखित दलीलें दो पृष्ठ से अधिक की नहीं होनी चाहिए। आखिरी दिन वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल, गोपाल सुब्रमण्मय, राजीव धवन, जफर शाह और दुष्यंत दवे ने याचिकाकर्ताओं की ओर से प्रतिउत्तर की बहस की। ये सभी वकील अनुच्छेद 370 समाप्त करने का विरोध कर रहे थे।

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किन लोगों ने आर्टिकल 370 को हटाए जाने के फैसले को बताया ठीक

इसके पहले हुई सुनवाई में कोर्ट ने केंद्र सरकार की ओर से अटार्नी जनरल आर वेंकटरमणी, सालिसिटर जनरल तुषार मेहता, केंद्र शासित प्रदेश जम्मू कश्मीर के एडीशनल एडवोकेट जनरल कनु अग्रवाल, वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे, राकेश द्विवेदी, वी. गिरि आदि को सुना। इन सभी ने जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 और अनुच्छेद 35ए समाप्त करने को सही ठहराया है।

क्या है पूरा मामला ?

केंद्र सरकार ने पांच अगस्त 2019 को जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 व अनुच्छेद 35ए को समाप्त कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाएं दाखिल कर जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 समाप्त किये जाने को चुनौती दी गई है। 370 हटाने का विरोध करने वालों में जम्मू कश्मीर के दो प्रमुख राजनैतिक दल नेशनल कांफ्रेंस और पीडीपी के नेता शामिल हैं।

नेशनल कांफ्रेंस नेता और लोकसभा सांसद मोहम्मद अकबर लोन द्वारा पूर्व में पाकिस्तान समर्थक नारा लगाए जाने का मुद्दा उठाए जाने पर सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को लोन को भारत के संविधान में निष्ठा और जम्मू कश्मीर को भारत का अभिन्न हिस्सा मानने के बारे में हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया था। लोन ने कोर्ट के आदेश का पालन करते हुए मंगलवार को हलफनामा दाखिल किया। जिसमें कहा कि वह संसद सदस्य के रूप में शपथ लेते समय भारत के संविधान के प्रविधानों को संरक्षित रखने और कायम रखने तथा भारत की क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा करने की शपथ को दोहराता हूं।

केंद्र सरकार का कहना

मामले पर सोलह दिन चली बहस में जहां याचिकाकर्ताओं की ओर से अनुच्छेद 370 समाप्त करने की प्रक्रिया पर सवाल उठाते हुए उसे गैरकानूनी और असंवैधानिक ठहराया गया वहीं भारत सरकार ने अनुच्छेद 370 को हटाने की तरफदारी करते हुए कहा कि इसके हटने से जम्मू कश्मीर के लोग भारत के अन्य नागरिकों के समान आ गए हैं उन्हें भी वे कानूनी अधिकार और केंद्रीय योजनाओं के लाभ मिलने लगे हैं जो पहले नहीं मिलते थे।

इसके अलावा, केंद्र सरकार ने यह भी कहा था कि अनुच्छेद 370 समाप्त होने के बाद जम्मू कश्मीर में प्रगति हुए है वहां उद्योग और पर्यटन को बढ़ावा मिला है। आतंकवाद पर अंकुश लगा है। पत्थरबाजी और बंद हड़ताल की घटनाएं शून्य रह गई हैं। केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के समक्ष संवैधानिक प्रविधान और विभिन्न संधियों, विलय पत्रों का हवाला देते हुए कहा था कि अनुच्छेद 370 एक अस्थाई प्रविधान था जिसे समाप्त करने का भारत के राष्ट्रपति को अधिकार है।

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