Hijab Row: हिजाब मामले में सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई, Karnataka HC ने हिजाब प्रतिबंध को बताया था सही
सुप्रीम कोर्ट में आज हिजाब विवाद को लेकर कर्नाटक उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई होगी। कर्नाटक उच्च न्यायालय ने अपने फैसले में कहा था कि शैक्षणिक संस्थानों में छात्रों द्वारा हिजाब पहनना इस्लाम में एक मौलिक धार्मिक प्रथा नहीं है।
By Devshanker ChovdharyEdited By: Updated: Mon, 12 Sep 2022 11:18 AM (IST)
नई दिल्ली, आनलाइन डेस्क। सुप्रीम कोर्ट में आज हिजाब विवाद को लेकर कर्नाटक उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई होगी। कर्नाटक उच्च न्यायालय ने अपने फैसले में कहा था कि शैक्षणिक संस्थानों में छात्रों द्वारा हिजाब पहनना इस्लाम में एक मौलिक धार्मिक प्रथा नहीं है। इसके बाद इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में सुनवाई की अगली तिथि 12 सितंबर को तय की थी।
HC ने हिजाब पर प्रतिबंध का आदेश रखा था बरकरार
सुप्रीम कोर्ट ने आठ सितंबर को राज्य के शैक्षणिक संस्थानों में हिजाब पर प्रतिबंध के राज्य सरकार के आदेश को बरकरार रखने वाले कर्नाटक उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई स्थगित कर दी थी। शीर्ष न्यायालय ने हिजाब बैन पर अगली सुनवाई 12 सितंबर यानी आज दोपहर 2 बजे तय की थी। वरिष्ठ अधिवक्ता कामत ने संविधान के अनुच्छेद 25(2) के तहत अपनी दलीलों के दौरान सवाल उठाया, 'अगर मैं एक स्कार्फ पहनता हूं, तो मैं किसके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन कर रहा हूं।'
मौलिक अधिकार को लेकर जस्टिस गुप्ता की टिप्पणी
इस पर जस्टिस गुप्ता ने टिप्पणी की, 'यह दूसरे के मौलिक अधिकारों के उल्लंघन का सवाल नहीं है, सवाल यह है कि क्या आपके पास मौलिक अधिकार है।' अधिवक्ता कामत ने कहा कि अनुच्छेद 25 (2) के अनुसार, राज्य एक धर्म में सामाजिक सुधार के लिए एक कानून बना सकता है। कामत ने कहा, 'राज्य शिक्षा अधिनियम पर जोर दे रहा है। आपके आधिपत्य के लिए जो प्रश्न उठता है कि यह कौन सा महान कानून है, जो सामाजिक सुधार का प्रावधान करता है। अधिकार पर कोई भी प्रतिबंध प्रत्यक्ष और निकट होना चाहिए। उच्च न्यायालय का कहना है कि अधिनियम गंगा के पानी की तरह स्पष्ट है, लेकिन मैं प्रस्तुत करता हूं यह पूरी तरह से मैला है।'याचिकाकर्ता ने की थी सिखों से तुलना
जब याचिकाकर्ताओं ने सिखों द्वारा पहनी जाने वाली पगड़ी की तुलना हिआब से की, तो सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि तुलना गलत होगा। न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता ने कहा कि सिखों द्वारा पहनी जाने वाली पगड़ी सिख धर्म के पांच अनिवार्य तत्वों का हिस्सा है और इसे शीर्ष अदालत ने भी मान्यता दी है। इस पर याचिकाकर्ताओं में से एक की ओर से पेश अधिवक्ता निज़ाम पाशा ने जवाब दिया कि मुस्लिम महिलाओं के लिए हिजाब के लिए भी यही शर्त लागू होती है।