Heatwave: दो दशक में तेजी से बढ़ी भारत में गर्मी, 2001-2010 और 2011-2020 सबसे गर्म दशकों के रूप में हुए दर्ज
बता दें कि 1901 से 2020 तक के 15 सबसे गर्म वर्षों में 12 साल 2006 से 2020 के बीच रहे हैं। भारत मौसम विज्ञान विभाग के मुताबिक 2001-2010 और 2011-2020 अब तक सबसे गर्म दशकों के रूप में दर्ज किए गए हैं। File Photo
By Jagran NewsEdited By: Devshanker ChovdharyUpdated: Fri, 21 Apr 2023 11:13 PM (IST)
संजीव गुप्ता, नई दिल्ली। ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन का असर तेजी से बढ़ता जा रहा है। स्थिति की गंभीरता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि 1901 से 2020 तक के 15 सबसे गर्म वर्षों में 12 साल 2006 से 2020 के बीच रहे हैं। भारत मौसम विज्ञान विभाग के मुताबिक, 2001-2010 और 2011-2020 अब तक सबसे गर्म दशकों के रूप में दर्ज किए गए हैं।
यूएस नेशनल ओशनिक एंड एटमास्फेरिक एजेंसी (एनओएए) की एक रिपोर्ट के अनुसार, 1970 के बाद से हर दशक पिछले दशक की तुलना में गर्म रहा है। औसत तापमान में लगातार हो रही वृद्धि से देश में भारी बरसात, बाढ़, भूस्खलन, तूफान, बिजली गिरने, लू और शीत लहरों जैसी प्राकृतिक आपदाओं की घटनाएं भी तेजी से बढ़ रही हैं। मानसून में औसत से अधिक वर्षा हुई है लेकिन वह भी तापमान वृद्धि को नियंत्रित करने में विफल रही है।
करीब एक डिग्री तक बढ़ गया अधिकतम तापमान
रिकॉर्ड बताते हैं कि इस सदी के पहले पांच सबसे गर्म साल 2016 में 0.71 डिग्री, 2009 में 0.55 डिग्री, 2017 में 0.54 डिग्री, 2010 में 0.53 डिग्री और 2015 में 0.42 डिग्री सेल्सियस की औसत बढ़ोतरी देखी गई। 2020 में देश के औसत तापमान में वृद्धि के साथ ही दिन के औसत अधिकतम तापमान में 0.99 डिग्री और रात के न्यूनतम तापमान में भी 0.24 डिग्री की वृद्धि दर्ज की गई है।वन क्षेत्र में आई 3.3 प्रतिशत की गिरावट
ग्लोबल फारेस्ट वाच के अनुसार, 2001 से 2019 के बीच भारत के वन क्षेत्र में 3.3 प्रतिशत की गिरावट आई है, जिससे वातावरण में 153 मीट्रिक टन कार्बन डाईऑक्साइड का उत्सर्जन हुआ है। हालांकि, फारेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया की द स्टेट ऑफ फारेस्ट रिपोर्ट कहती है 2019-20 में 2017 की तुलना में वन क्षेत्र में 0.13 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के अनुसार 2016-2019 की अवधि के दौरान 6,944,608 पेड़ काटे गए हैं। गैर सरकारी संगठन वेटलैंड इंटरनेशनल के अनुसार, पिछले चार दशकों में भारत की एक तिहाई आर्द्रभूमि समाप्त हो गई है। तापमान में वृद्धि के साथ भारत हर साल अधिक प्राकृतिक आपदाओं का सामना कर रहा है।
काउंसिल ऑन एनर्जी, एनवायरनमेंट एंड वाटर ऑफ इंडिया के अनुसार, देश के 75 प्रतिशत जिले जलवायु परिवर्तन के कारण प्राकृतिक आपदाओं से बुरी तरह प्रभावित हुए हैं। इन जिलों में ही देश की आधी आबादी रहती है।सुझाव:देश में औसत तापमान में वृद्धि को देखते हुए सरकार को कोयले से चलने वाली बिजली उत्पादन परियोजनाओं को अनुदान देने के बजाय प्राकृतिक स्रोत से आवश्यक ऊर्जा उत्पन्न करनी चाहिए।
सार्वजनिक परिवहन के साधनों में सुधार किया जाना चाहिए। हेरफेर के माध्यम से वन क्षेत्र में वृद्धि का दावा करने के बजाय व्यावहारिक प्रयासों की आवश्यकता है।आर्थिक विकास के नाम पर नए कानून बनाने के बजाय तटीय क्षेत्रों में प्राकृतिक आर्द्रभूमि और वन्य वनस्पतियों के संरक्षण की दिशा में प्रयास किए जाने चाहिए।