यूएन और उसकी अन्य एजेंसियों की एक रिपोर्ट में भविष्य में आने वाले खतरे के प्रति आगाह किया गया है। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि इस दशक में मानवजाति हीटवेव और बढ़ते तापमान को झेलने के लिए मजबूर हो जाएगी।
By Kamal VermaEdited By: Updated: Tue, 11 Oct 2022 02:59 PM (IST)
नई दिल्ली (आनलाइन डेस्क)। मौजूदा वर्ष में धरती पर जिस तरह से बढ़ते तापमान ने पुराने सभी रिकार्ड्स तोड़े हैं वो पूरी दुनिया में चिंता का विषय बना हुहआ है। लेकिन, अब इससे भी अधिक चिंता की बात यूएन की ताजा रिपोर्ट में सामने आई है। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि इस दशक में दुनिया के कई देशों में तापमान इस कदर बढ़ जाएगा कि ये लोगों के लिए जानलेवा हो जाएगा। इसमें कहा गया है कि ये तापमान हमारी सोच से कहीं अधिक होगा। इस दशक में हीटवेट अपने चरम पर जाती हुई दिखाई देगी और इसकी चपेट में विश्व के कई देश और कई इलाके होंगे। मानव जाति के लिए आने वाला समय बेहद खतरनाक साबित होगा।
ज्वाइंट रिपोर्ट में खतरे के संकेत
यूएन की ये रिपोर्ट रेड क्रास, यूएन की मानवीय सहायता एजेंसी ओसीएचए, रेड क्रीसेंट सोसायटी की एक ज्वाइंट रिपोर्ट है। रिपोर्ट के मुताबिक हार्न आफ अफ्रीका और दक्षिण और दक्षिण-पश्चिम एशिया में ये दशक मुश्किलों भरा रह सकता है। इस दशक में हीटवेव की वजह से अधिक लोगों की जान जाने की आशंका भी इसमें जताई गई है। इसमें ये भी कहा गया है कि भविष्य में पड़ने वाली हीटवेव लोगों को अधिक बीमार भी करेगी। ये हर लिहाज से मानव जीवन और उनके मूल्य पर असर डालेगी।
कई देशों में पड़ी हीटवेव
रिपोर्ट में कहा गया है कि मौजूदा वर्ष में विश्व के कई देशों को जबरदस्त हीटवेव का सामना करना पड़ा है। इसकी वजह से फसलें नष्ट हुई हैं और खाद्यान्न की कमी सामने आ रही है। रिपोर्ट में इस वर्ष पड़ी हीटवेव के बढ़ते दिनों की संख्या पर भी चिंता जताई गई है। इसमें कहा गया है कि भविष्य में ये समस्या और गंभीर हो जाएगी। इसका अर्थ है कि भविष्य में हीटवेव के दिनों में बढ़ोतरी संभव होगी।
70 हजार से अधिक की मौत
UN रिपोर्ट की मानें तो इस बार अलग-अलग देशों में पड़ी
हीटवेव भविष्य में खतरे का संकेत भर है। ये एक अलार्म है जो मानव जाति के सामने बज चुका है। हीटवेव से दुनिया भर में कई मौतें दर्ज की गई हैं। रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2010 से 2019 के बीच 38 बार हीटवेव दर्ज की गई है, जिसमें हमारी सोच से कहीं अधिक लोगों की जान गई है। रिपोर्ट की मानें तो इस दौरान मरने वालों की संख्या विश्व में 70 हजार से अधिक रही है।
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