'हेमंत सोरेन कोई आम आदमी नहीं हैं', सुप्रीम कोर्ट ने सिब्बल से पूछा ये सवाल और फिर ED की एंट्री; केजरीवाल का भी हुआ जिक्र
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह मामले के गुण-दोष पर विचार किए बिना गिरफ्तारी के खिलाफ उनकी याचिका खारिज करेगा। इसके बाद सिब्बल याचिका वापस लेने पर राजी हो गए जिसकी पीठ ने अनुमति दे दी। ईडी ने पहले सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि 31 जनवरी को सोरेन की गिरफ्तारी को झारखंड हाई कोर्ट ने बरकरार रखा था और 13मई को उनकी नियमित जमानत याचिका खारिज कर दी थी।
पीटीआई, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने मनी लांड्रिंग के एक मामले में निचली अदालत में नियमित जमानत याचिका दायर करने के संबंध में तथ्यों को छिपाने के लिए झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से बुधवार को नाखुशी जताते हुए उन्हें फटकार लगाई। इसके बाद सोरेन ने प्रवर्तन निदेशालय द्वारा गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली अपनी याचिका वापस ले ली। सोरेन फिलहाल रांची जेल में बंद हैं। जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की अवकाशकालीन पीठ ने सोरेन के वकील कपिल सिब्बल को याचिका वापस लेने की अनुमति दे दी।
इससे पहले पीठ ने चेतावनी दी कि अगर अदालत मामले के विवरण पर गौर करती है तो यह पूर्व मुख्यमंत्री के लिए नुकसानदेह होगा। पीठ ने सिब्बल से कहा कि आपका आचरण काफी कुछ कहता है। हमें उम्मीद थी कि आपके मुवक्किल स्पष्टता के साथ आएंगे लेकिन आपने महत्वपूर्ण तथ्यों को छिपाया।
'आपका आचरण दोषरहित नहीं'
सिब्बल ने यह कहते हुए सोरेन का बचाव करने की कोशिश कि वह हिरासत में हैं और उन्हें अदालतों में दायर की जा रहीं याचिकाओं के बारे में कोई जानकारी नहीं है। इस पर पीठ ने कहा कि आपका आचरण दोषरहित नहीं है। कोर्ट ने कहा कि वह कोई आम आदमी नहीं हैं।याचिका वापस लेने पर राजी हो गए सिब्बल
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह मामले के गुण-दोष पर विचार किए बिना गिरफ्तारी के खिलाफ उनकी याचिका खारिज करेगा। इसके बाद सिब्बल याचिका वापस लेने पर राजी हो गए जिसकी पीठ ने अनुमति दे दी। ईडी ने पहले सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि 31 जनवरी को सोरेन की गिरफ्तारी को झारखंड हाई कोर्ट ने बरकरार रखा था और 13 मई को उनकी नियमित जमानत याचिका खारिज कर दी थी।