CBI की जांच रिपोर्ट सार्वजनिक करने की मांग पर हाई कोर्ट की टिप्पणी, कहा- ये RTI के दायरे में नहीं आता
वित्त मंत्रालय के जन सूचना अधिकारी ने यह कहते हुए जानकारी देने से इन्कार कर दिया था कि आरटीआई अधिनियम की धारा 8(1) (एच) के तहत इस तरह की जानकारी देने से छूट है। याचिकाकर्ता ने इस पर केंद्रीय सूचना आयोग में अपील की। वहां भी अर्जी खारिज हो गई। न्यायमूर्ति सब्रमण्यम प्रसाद की पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता द्वारा मांगी गई जानकारी से जांच में बाधा आएगी।
विनीत त्रिपाठी, नई दिल्ली। भारतीय लेखा परीक्षा एवं लेखा सेवा के एक पूर्व अधिकारी की याचिका को खारिज करते हुए दिल्ली हाई कोर्ट ने टिप्पणी की कि किसी मामले के संबंध में सीबीआई की जांच रिपोर्ट को सूचना का अधिकार (आरटीआई) के तहत सार्वजनिक नहीं किया जा सकता है। न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की पीठ ने कहा कि आरटीआई अधिनियम की धारा-8 (1)(एच) सीबीआई की जांच रिपोर्ट की प्रति सार्वजनिक नहीं करने की छूट देती है।
कैग पूर्व अधिकारी के खिलाफ जारी किया था नोटिस
अदालत ने कहा कि अगर ऐसी जानकारी अन्य अपराधियों के हाथों में पड़ती है तो यह निश्चित रूप से चल रही जांच प्रक्रिया में बाधा उत्पन्न करेगी। नेशनल स्पॉट एक्सचेंज लिमिटेड में अनियमितताओं से संबंधित एक मामले की जांच के दौरान सीबीआई ने कैग के पूर्व अधिकारी के विरुद्ध नोटिस जारी किया था। याचिकाकर्ता ने एक आरटीआई आवेदन दायर कर मामले की रिपोर्ट पर कार्रवाई करते समय विभिन्न स्तरों पर दर्ज की गई टिप्पणियों की प्रतियों, कार्रवाई रिपोर्ट की प्रति के साथ ही पत्राचार की प्रति उपलब्ध कराने की मांग की थी।
मामले में बड़े पैमाने पर धोखाधड़ी
वित्त मंत्रालय के जन सूचना अधिकारी ने यह कहते हुए जानकारी देने से इन्कार कर दिया था कि आरटीआई अधिनियम की धारा 8(1) (एच) के तहत इस तरह की जानकारी देने से छूट है। याचिकाकर्ता ने इस पर केंद्रीय सूचना आयोग में अपील की। वहां भी अर्जी खारिज हो गई। न्यायमूर्ति सब्रमण्यम प्रसाद की पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता द्वारा मांगी गई जानकारी से सीबीआई की जांच में बाधा आएगी। पेश मामले में बड़े पैमाने पर धोखाधड़ी शामिल है और इसमें कई आरोपित भी शामिल हैं।
यह भी पढ़ेंः Israel Hamas War: रूस ने इजरायल-फलस्तीन युद्ध के लिए अमेरिका को ठहराया जिम्मेदार, कहा- US का रवैया विनाशकारी