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Hijab Conflict: सुप्रीम कोर्ट में हिजाब मामले में आज फिर होगी सुनवाई, जानें- अब तक क्या हुआ

Hijab Conflict Update हिजाब मामले में आज 9वें दिन सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी। इससे पहले मंगलवार को सालिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि कर्नाटक के स्कूलों में हिजाब पहनने का मामला अचानक या स्वतस्फूर्त नहीं था। इसके पीछे गहरी साजिश थी।

By Sanjeev TiwariEdited By: Updated: Wed, 21 Sep 2022 10:37 AM (IST)
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हिजाब मामले में सुप्रीम कोर्ट में आज फिर होगी सुनवाई
नई दिल्ली, जेएनएन। सुप्रीम कोर्ट में आज यानी बुधवार को हिजाब मामले में फिर सुनवाई होगी। कुछ समय पहले शिक्षण संस्थानों में हिजाब पहनकर प्रवेश पर रोक लगाने के कर्नाटक हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ दायर की गई विभिन्न याचिकाओं पर सर्वोच्च अदालत में सुनवाई हो रही है। 

 मंगलवार को सालिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि कर्नाटक के स्कूलों में हिजाब पहनने का मामला अचानक या स्वत:स्फूर्त नहीं था। इसके पीछे गहरी साजिश थी। पिछले साल तक सभी छात्राएं स्कूल यूनिफार्म का पालन कर रही थीं। 2022 में पापुलर फ्रंट आफ इंडिया (पीएफआइ) ने इंटरनेट मीडिया पर अभियान चलाकर छात्राओं को हिजाब पहनने के लिए उकसाया।

 जस्टिस हेमंत गुप्ता और जस्टिस सुधांशु धूलिया की पीठ के समक्ष कर्नाटक सरकार की ओर से पेश सालिसिटर जनरल मेहता ने कहा कि हिजाब इस्लाम धर्म का अभिन्न हिस्सा नहीं है। उन्होंने कहा कि हिजाब इस्लाम का अनिवार्य हिस्सा कैसे हो सकता है, जबकि जहां से यह धर्म शुरू हुआ वहीं अनिवार्य रूप से इसका पालन नहीं किया जाता। ईरान का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि मुस्लिम देशों में भी महिलाएं इसके खिलाफ लड़ रही हैं। पांच फरवरी के राज्य सरकार के आदेश का हवाला देते हुए मेहता ने कहा कि यह स्कूलों में यूनिफार्म लागू करने के लिए है। आदेश किसी धर्म के खिलाफ नहीं है, बल्कि पंथनिरपेक्ष है। पंथनिरपेक्ष देश के स्कूलों में न तो भगवा शाल की इजाजत है और न ही हिजाब की।

ड्रेस में कुछ ज्यादा या कम नहीं हो सकता

सालिसिटर जनरल ने कहा कि स्कूल ड्रेस में कुछ भी ज्यादा या कम नहीं हो सकता। यूनिफार्म का उद्देश्य होता है कि सब समान दिखें और कोई खुद को हीन न समझे। स्कूलों में सुचारु शैक्षणिक माहौल के लिए आदेश जारी किया गया। सरकार अगर ऐसा नहीं करती तो ''संवैधानिक कर्तव्य की अवहेलना की दोषी'' होती।

धार्मिक भावनाओं को भड़काया गया

मेहता ने कहा कि पीएफआइ ने इंटरनेट मीडिया पर अभियान चलाया। धार्मिक भावनाओं के आधार पर पीएफआइ ने छात्राओं को स्कूलों में हिजाब पहनने के लिए उकसाया। पीएफआइ एक कट्टर मुस्लिम संगठन है और उसे कई सामुदायिक ¨हसक घटनाओं के लिए जिम्मेदार ठहराया जाता है। उसी ने हिजाब पर रोक के खिलाफ देशव्यापी बंद का आह्वान किया था।

छात्रों को नहीं, संस्थानों को निर्देश

मेहता ने कहा कि यूनिफार्म को लेकर सरकार ने शैक्षणिक संस्थाओं को निर्देश दिया है, छात्रों को नहीं। इस पर पीठ ने पूछा, 'आप कह रहे हैं कि आपका जोर केवल यूनिफार्म पर था?' मेहता ने कहा, 'हां, हमने धर्म के किसी भी पहलू को नहीं छुआ।'

कर्नाटक के आदेश को दी गई चुनौती

कर्नाटक के स्कूलों में हिजाब पहनने पर रोक के विरुद्ध दायर याचिकाओं पर राज्य सरकार की ओर से दलील रख रहे मेहता ने कहा कि छात्रों को ड्रेस अनुशासन का पालन करना चाहिए। इससे सिर्फ तभी छूट दी जा सकती है जबकि वो धर्म का अभिन्न हिस्सा हो। याचिकाकर्ताओं ने इसे धर्म का अभिन्न हिस्सा साबित करने के पक्ष में कोई साक्ष्य पेश नहीं किए हैं। इसके लिए कुछ मानक हैं जैसे कि उस प्रथा का चलन अनादिकाल यानी धर्म की शुरुआत से ही होना चाहिए। सभी उसका पालन करते हों।