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Himanta Biswa Sarma: असम के CM ने कहा, मदरसा शब्द का अब अस्तित्व समाप्त होना चाहिए

दिल्ली में एक कार्यक्रम में बोलते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि जब तक मदरसा शब्द रहेगा तब तक बच्चे डाक्टर और इंजीनियर बनने के बारे में नहीं सोच पाएंगे। मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि अपने बच्चों को कुरान पढ़ाएं लेकिन घर पर।

By Piyush KumarEdited By: Updated: Mon, 23 May 2022 07:52 AM (IST)
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असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा की फाइल फोटो
 नई दिल्ली, एएनआई। असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने रविवार को कहा कि मदरसा शब्द का अब अस्तित्व समाप्त होना चाहिए और स्कूलों में सभी के लिए सामान्य शिक्षा पर जोर दिया जाना चाहिए। दिल्ली में एक कार्यक्रम में बोलते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि जब तक मदरसा शब्द रहेगा तब तक बच्चे डाक्टर और इंजीनियर बनने के बारे में नहीं सोच पाएंगे। उन्होंने आगे कहा कि अगर आप उन्हें (छात्रों को) कहेंगे कि मदरसों में पढ़ेंगे तो वे डाक्टर या इंजीनियर नहीं बनेंगे, वे खुद जाने से मना कर देंगे। मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि अपने बच्चों को कुरान पढ़ाएं, लेकिन घर पर। उन्होंने आगे मदरसों पर तीखा हमला करते हुए कहा कि मदरसों में बच्चों को भर्ती करना उनके मानवाधिकारों का उल्लंघन है।

छात्रों को डाक्टर, इंजीनियर, वैज्ञानिक बनाया जाए

मुख्यमंत्री ने कहा कि सभी बच्चों को विज्ञान, गणित, जीव विज्ञान, वनस्पति विज्ञान और जूलाजी पढ़ाने पर जोर होना चाहिए। सरमा ने कहा कि छात्रों को ऐसी शिक्षा देनी चाहिए जिससे वे डाक्टर, इंजीनियर, प्रोफेसर और वैज्ञानिक बने। 

मदरसों में पढ़ रहे बच्चें हैं होशियार

उन्होंने मदरसों में पढ़ रहे बच्चों की तारीफ करते हुए कहा कि मदरसों में छात्र बेहद प्रतिभाशाली हैं, वे कुरान के हर शब्द को आसानी से याद कर सकते हैं,। सरमा ने कहा, ' भारत में सभी मुसलमान हिंदू थे। कोई भी मुस्लिम भारत में पैदा नहीं हुआ था। भारत में हर कोई हिंदू था। इसलिए अगर कोई मुस्लिम बच्चा बेहद मेधावी है तो मैं उसके हिंदू अतीत को आंशिक श्रेय दूंगा।'

बताते चलें कि साल 2020 में आसन सरकार ने एक धर्मनिरपेक्ष शिक्षा प्रणाली की सुविधा के लिए सभी सरकारी मदरसों को भंग करने और उन्हें सामान्य शैक्षणिक संस्थानों में बदलने का फैसला किया है। इसके बाद, गुवाहाटी उच्च न्यायालय ने असम निरसन अधिनियम, 2020 को बरकरार रखा, जिसके तहत राज्य के सभी प्रांतीय (सरकारी वित्त पोषित) मदरसों को एक ही साल में सामान्य स्कूलों में परिवर्तित किया जाना था।