Hindi Diwas 2022: हिंदी एक दिव्य और अद्भुत भाषा, सुनिश्चित करें शब्दों का प्रयोग
Hindi Diwas 2022 हिंदी लिखते तथा बोलते समय पूरा प्रयास यह रहना चाहिए कि यथासंभव हिंदी के शब्दों का ही प्रयोग करें। हिंदी एक दिव्य और अद्भुत भाषा है। इसे सहेज कर रखें। यही हिंदी दिवस का सत्य प्रण होगा।
By Sanjay PokhriyalEdited By: Updated: Wed, 14 Sep 2022 04:00 PM (IST)
शशांक भारद्वाज। प्रायः यह पढ़ने तथा सुनने को मिलता है कि हिंदी आगे बढ़ रही और उसका व्यापक प्रसार हो रहा है। परंतु क्या सच में ऐसा हो रहा है? यह हम सभी के समक्ष एक सामयिक यक्ष प्रश्न है, जिस पर सूक्ष्म दृष्टि से यथार्थपरक विश्लेषण की आवश्यकता है। हिंदी के नाम पर आज जो भाषा बोली तथा लिखी जा रही, जो शब्द प्रयोग में लाए जा रहे हैं, उनमें उर्दू व अंग्रेजी के शब्दों की भरमार है।
यदि आप उर्दू, अंग्रेजी के शब्दों का प्रयोग करेंगे तो वह उर्दू या अंग्रेजी भाषा होगी, हिंदी तो तब होगी जब आप हिंदी के शब्दों का प्रयोग करेंगे। हिंदी के मूल शब्द विलुप्त हो रहे हैं। इसमें सर्वाधिक योगदान हिंदी के ही समाचार माध्यमों समाचार पत्र, टीवी चैनल एवं हिंदी चलचित्र उद्योग का है। समाचार पत्र को अखबार तथा समाचार को खबर बना दिया गया जो उर्दू के शब्द हैं। यह हिंदी के प्रति अपराध है।
हिंदी के टीवी समाचार चैनलों की स्थिति तो बुरी हो चुकी है। उन्हें देखते-सुनते समय ऐसा प्रतीत होता है कि किसी उर्दू का चैनल देख रहे हैं। जब हमारी हिंदी भाषा में शब्द हैं तो हम इन शब्दों का प्रयोग क्यों नहीं करते हैं? इस संदर्भ में कुछ व्यक्ति तर्क देते हैं कि अंग्रेजी भाषा ने तो सभी भाषाओं से शब्द लिए हैं, हर वर्ष लेते हैं। परंतु समझना होगा कि अंग्रेजी के पास किसी भाव विशेष, कृत्य, वस्तु के लिए शब्द नहीं थे तो ले लिए, इसका अर्थ यह नहीं होना चाहिए कि हिंदी में उपलब्ध हम अपने शब्दों को त्यागकर उर्दू या अंग्रेजी के शब्दों का प्रयोग आरंभ कर दें तथा अपने मूल शब्दों का तिरस्कार कर दें। शब्दों के निरंतर प्रयोग में लाने से भाषा सरल बनती है। अपनी भाषा के शब्दों को निरंतर प्रयोग में लाएंगे तो वे सहज सरल लगने लगेंगे। हिंदी के शब्दों का भी सतत प्रयोग करने से वे सुगम्य हो जाएंगे। देखा जाए तो हिंदी के शब्दों के प्रयोग को उपहास तक का विषय बना दिया गया।
हिंदी के शब्दों का प्रयोग करने वालों को विदूषक समझने वाला भाव निर्मित कर दिया गया है। इन प्रवृतियों का प्रतिकार किया जाना चाहिए। हिंदी चलचित्र जगत ने भी हिंदी को बड़ी हानि पहुंचाई है। संवादों तथा गीतों में उर्दू के शब्द भरे रहते हैं। जबकि अनेक ऐसे गीत हैं जिनमें बड़ी संख्या में हिंदी के शब्दों का प्रयोग हुआ है तथा वे अत्यंत कर्णप्रिय हैं। हिंदी चलचित्रों में यथासंभव हिंदी के शब्दों का ही प्रयोग होना चाहिए। हो सकता है कि प्रारंभ में यह अटपटा लगे, परंतु धीरे धीरे अभ्यस्त हो जाने पर सहजता आ जाएगी। रामायण तथा महाभारत जैसे टीवी धारावाहिकों में हिंदी के शब्दों का ही प्रयोग हुआ था तथा ये पर्याप्त रूप से लोकप्रिय हुए। किसी को अटपटा नहीं लगा। ऐसे में आवश्यकता इस बात की है कि इस संदर्भ में सकारात्मक परिवेश का निर्माण किया जाए।
हिंदी के विज्ञापनों में भी उर्दू तथा अंग्रेजी के शब्दों का व्यापक रूप से प्रयोग हो रहा है। इन सब कारणों से हिंदी भाषियों के मस्तिष्क में भी उर्दू के शब्द भरते जा रहे हैं। इन सबसे हिंदी की वास्तविक स्थिति दयनीय हो गई है। हिंदी के नाम पर वस्तुतः हम उर्दू तथा अंग्रेजी बोल रहे हैं। ऐसे में समय आ गया है कि हिंदी भाषी चेतें। हिंदी के जो समाचार माध्यम उर्दू, अंग्रेजी परोस रहे हैं, उनका प्रतिकार करें। हिंदी चलचित्र उद्योग के संवादों, गीतों में भी हिंदी को प्रोत्साहित करने के लिए पूर्ण प्रयास करें। अपने घर में बच्चों तथा परिवार के अन्य सदस्यों के साथ यथासंभव हिंदी में ही बातें करें। हिंदी लिखते तथा बोलते समय पूरा प्रयास यह रहना चाहिए कि यथासंभव हिंदी के शब्दों का ही प्रयोग करें। हिंदी एक दिव्य और अद्भुत भाषा है। इसे सहेज कर रखें। यही हिंदी दिवस का सत्य प्रण होगा।
[विशेषज्ञ, हिंदी भाषा]