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हिंदी का किसी क्षेत्रीय भाषा से मुकाबला नहीं, देश की सभी भाषाओं से ही भारत बनेगा सशक्त: अमित शाह

राजभाषा पर संसद की समिति की 38वीं बैठक की अध्यक्षता करते हुए अमित शाह ने कहा कि हिंदी की स्थानीय भाषाओं से प्रतिस्पर्धा नहीं है और सभी भारतीय भाषाओं को बढ़ावा देने से ही देश सशक्त होगा। शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री ने संसद में एक भी भाषण अंग्रेजी में नहीं दिया है और सरकार के केंद्रीय मंत्री भी भारतीय भाषाओं में भाषण देने की कोशिश करते हैं।

By AgencyEdited By: Shashank MishraUpdated: Fri, 04 Aug 2023 07:14 PM (IST)
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हिंदी की प्रतिस्पर्धा स्थानीय भाषाओं से नहीं है- अमित शाह

नई दिल्ली, पीटीआई। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) ने शुक्रवार को कहा कि हिंदी की स्थानीय भाषाओं से प्रतिस्पर्धा नहीं है और सभी भारतीय भाषाओं को बढ़ावा देने से ही देश सशक्त होगा। एक आधिकारिक बयान के अनुसार, यहां राजभाषा पर संसद की समिति की 38वीं बैठक की अध्यक्षता करते हुए शाह ने यह भी कहा कि भारतीय भाषाओं को बढ़ावा देने के लिए इससे बेहतर समय और कोई नहीं हो सकता, क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वैश्विक मंचों पर हिंदी और अन्य सभी भारतीय भाषाओं को गर्व के साथ प्रस्तुत करते हैं।

भारतीय भाषाओं से ही देश होगा सशक्त

शाह ने कहा, हिंदी की प्रतिस्पर्धा स्थानीय भाषाओं से नहीं है, सभी भारतीय भाषाओं को बढ़ावा देने से ही देश सशक्त होगा। गृह मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने 10 भाषाओं में इंजीनियरिंग और मेडिकल पाठ्यक्रम शुरू करने की पहल की है और जल्द ही ये पाठ्यक्रम सभी भारतीय भाषाओं में उपलब्ध होंगे। उन्होंने कहा, वह क्षण स्थानीय भाषाओं और आधिकारिक भाषाओं के उत्थान की शुरुआत का प्रतीक होगा।

प्रधानमंत्री ने संसद में एक भी भाषण अंग्रेजी में नहीं दिया है और सरकार के केंद्रीय मंत्री भी भारतीय भाषाओं में भाषण देने की कोशिश करते हैं। उन्होंने कहा कि इससे विभिन्न भाषाओं को जोड़ने के आंदोलन को काफी गति मिलती है।

भाषाओं ने देश को एकजुट करने का काम किया: शाह

शाह ने कहा कि राजभाषा की स्वीकार्यता कानून या सर्कुलर से नहीं बल्कि सद्भावना, प्रेरणा और प्रोत्साहन से मिलती है। उन्होंने कहा कि इतने समय तक शासन करने के बाद भी भारतीय भाषाएं और उनके शब्दकोष बरकरार रहे, जो एक बड़ी उपलब्धि है और भाषाओं ने देश को एकजुट करने का काम किया है।

गृह मंत्री ने कहा कि आजादी का अमृत महोत्सव वर्ष में प्रधानमंत्री मोदी (PM Modi) ने देश के सामने 'पंच प्रण' रखे हैं, जिनमें से दो 'प्रण' हैं विरासत का सम्मान और गुलामी के निशान मिटाना। उन्होंने कहा कि इन दोनों 'प्रण' को शत-प्रतिशत लागू करने के लिए सभी भारतीय भाषाओं और राजभाषाओं को अपनी ताकत दिखानी होगी।

शाह ने कहा कि भाषा के सम्मान के बिना विरासत का सम्मान अधूरा है और राजभाषा की स्वीकार्यता तभी मिलेगी जब सभी लोग स्थानीय भाषाओं को सम्मान देंगे। उन्होंने कहा कि राजभाषा के प्रति बिना किसी विरोध के स्वीकार्यता विकसित करने की जरूरत है, भले ही इसकी गति धीमी हो।

राजभाषा पर संसद की समिति की रिपोर्ट

गृह मंत्री ने कहा कि आजादी के बाद से 2014 तक, राजभाषा पर संसदीय समिति की रिपोर्ट के नौ खंड प्रस्तुत किए गए। उन्होंने कहा, 2019 से तीन खंडों को मंजूरी दी गई है। उन्होंने कहा कि ये खंड विषयवार तैयार किये गये हैं और 12वें खंड का विषय 'सरलीकरण' है।

बैठक के दौरान राजभाषा पर संसद की समिति की रिपोर्ट के 12वें खंड को भी मंजूरी दी गई जिसे राष्ट्रपति के समक्ष प्रस्तुत किया जाएगा।