Hindi Diwas 2019: तकनीक क्रांति से दुनिया में बढ़ी हिंदी की धमक, बाजार ने भी माना लोहा
Hindi Diwas 2019 सर्च इंजन गूगल की मानें तो हिंदी में कंटेंट पढ़ने वाले हर साल 94 फीसद की दर से बढ़ रहे हैं। आइये जानते हैं हिंदी विश्व पटल पर किस तेजी के साथ उभर रही है।
By Krishna Bihari SinghEdited By: Updated: Sat, 14 Sep 2019 04:03 PM (IST)
नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। Hindi Diwas 2019 एक ओर जहां दुनिया में बोलियों और भाषाओं के अस्तिस्व पर संकट मंडरा रहा है, वहीं सुखद बात यह है कि हिंदी काफी तेजी से लोकप्रिय हो रही है। दुनिया भर में 6500 भाषाएं बोली या लिखी-पढ़ी जाती हैं। संयुक्त राष्ट्र की पहली स्टेट ऑफ द वल्ड् र्स इंडीजेनस पीपुल्स की रिपोर्ट के मुताबिक, दुनिया की इन भाषाओं में से 2500 का अस्तित्व संकट में है। यही नहीं भारत में बोली जाने वाली 196 भाषाएं खत्म होने के कगार पर हैं। वहीं दूसरी ओर अच्छी बात यह है कि भाषाओं के मेले में हिंदी वैश्विक पहचान बना रही है। सर्च इंजन गूगल की मानें तो हिंदी में कंटेंट पढ़ने वाले हर साल 94 फीसद की दर से बढ़ रहे हैं, जबकि अंग्रेजी में यह दर सालाना 17 फीसद है। आइये जानते हैं हिंदी विश्व पटल पर किस तेजी के साथ सशक्त भाषा के तौर पर उभर रही है।
ई-एजुकेशन लर्निंग कारोबार में भी मनवाया लोहा
तकनीकी क्रांति ने हिंदी को रोजगारपरक भाषा बानाने में आड़े आ रही सारी बाधाओं को दूर कर दिया है। यही वजह है कि शिक्षा, चिकित्सा और कौशल विकास जैसे क्षेत्रों में हिंदी की ऑनलाइन सामग्री ने महानगरों के साथ साथ गांवों, छोटे-शहरों-कस्बों के बच्चों और युवाओं को प्रतिस्पर्धा की दौड़ में ला खड़ा किया है। भारत में ई-एजुकेशन लर्निंग कारोबार को 20 अरब डॉलर तक ले जाकर हिंदी ने पूरी दुनिया में अपना लोहा मनवा दिया है। 22 फीसदी की दर से बढ़ा हिंदी वीडियो स्ट्रीमिंग का बाजार
ई-कॉमर्स क्षेत्र ने भी हिंदी को बढ़चढ़ कर स्वीकार किया है। आज हेल्थटेक इंडस्ट्री में 30 फीसद हिंदी के 4892 स्टार्टअप काम कर रहे हैं। मौजूदा वक्त में तेजी से बढ़ती हिंदी की वीडियो स्ट्रीमिंग सेवा ने दुनिया को दिखा दिया है कि अब हिंदी की अनदेखी नहीं की जा सकती है। एक आंकड़े के मुताबिक, हिंदी वीडियो स्ट्रीमिंग सेवा का बाजार 22 फीसदी की दर से बढ़ रहा है।
तकनीकी क्रांति ने हिंदी को रोजगारपरक भाषा बानाने में आड़े आ रही सारी बाधाओं को दूर कर दिया है। यही वजह है कि शिक्षा, चिकित्सा और कौशल विकास जैसे क्षेत्रों में हिंदी की ऑनलाइन सामग्री ने महानगरों के साथ साथ गांवों, छोटे-शहरों-कस्बों के बच्चों और युवाओं को प्रतिस्पर्धा की दौड़ में ला खड़ा किया है। भारत में ई-एजुकेशन लर्निंग कारोबार को 20 अरब डॉलर तक ले जाकर हिंदी ने पूरी दुनिया में अपना लोहा मनवा दिया है। 22 फीसदी की दर से बढ़ा हिंदी वीडियो स्ट्रीमिंग का बाजार
ई-कॉमर्स क्षेत्र ने भी हिंदी को बढ़चढ़ कर स्वीकार किया है। आज हेल्थटेक इंडस्ट्री में 30 फीसद हिंदी के 4892 स्टार्टअप काम कर रहे हैं। मौजूदा वक्त में तेजी से बढ़ती हिंदी की वीडियो स्ट्रीमिंग सेवा ने दुनिया को दिखा दिया है कि अब हिंदी की अनदेखी नहीं की जा सकती है। एक आंकड़े के मुताबिक, हिंदी वीडियो स्ट्रीमिंग सेवा का बाजार 22 फीसदी की दर से बढ़ रहा है।
युवाओं को मिल रहा रोजगार
विदेशों में हिंदी की धमक को साफ महसूस किया जा सकता है। अमेरिका और ब्रिटेन में कम्यूनिटी सर्विस के तहत हिंदी सिखाई और पढ़ाई जाने लगी है। मौजूदा वक्त में हिंदी में कहानियां, चुटकुले, समाचार, संगीत सुनाने और दिखाने वाले ऑडियो-विजुअल एप पूरी दुनिया के बाजार में छा चुके हैं। यही नहीं ये एप यूजर को खुद कंटेट देने और पैसा कमाने का मौका भी देने लगे हैं। आज टिकटॉक, लाइक सरीखे वीडियो एप से यूजर हिंदी में कंटेंट डालकर हर माह हजारों कमा रहे हैं। ऑक्सफोर्ड डिक्शनरी ने भी माना लोहा
ऑक्सफोर्ड डिक्शनरी की ‘वर्ल्ड इंग्लिश एडिटर' डेनिका सालाजार की मानें तो अब तक हिंदी के 900 शब्दों को अंग्रेजी की डिक्शनरी में जगह मिल चुकी है। आधार, अच्छा, चड्डी, सूर्य नमस्कार और बापू जैसे शब्दों को ऑक्सफोर्ड डिक्शनरी ने अपनाए हैं। अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी हर साल हिंदी के शब्दों को जगह मिल रही है। एक आंकड़े के मुताबिक, ऑक्सफोर्ड ने साल 2017 में करीब 70 भारतीय शब्दों को शामिल किया जिनमें 33 हिंदी के शब्द थे।
विदेशों में हिंदी की धमक को साफ महसूस किया जा सकता है। अमेरिका और ब्रिटेन में कम्यूनिटी सर्विस के तहत हिंदी सिखाई और पढ़ाई जाने लगी है। मौजूदा वक्त में हिंदी में कहानियां, चुटकुले, समाचार, संगीत सुनाने और दिखाने वाले ऑडियो-विजुअल एप पूरी दुनिया के बाजार में छा चुके हैं। यही नहीं ये एप यूजर को खुद कंटेट देने और पैसा कमाने का मौका भी देने लगे हैं। आज टिकटॉक, लाइक सरीखे वीडियो एप से यूजर हिंदी में कंटेंट डालकर हर माह हजारों कमा रहे हैं। ऑक्सफोर्ड डिक्शनरी ने भी माना लोहा
ऑक्सफोर्ड डिक्शनरी की ‘वर्ल्ड इंग्लिश एडिटर' डेनिका सालाजार की मानें तो अब तक हिंदी के 900 शब्दों को अंग्रेजी की डिक्शनरी में जगह मिल चुकी है। आधार, अच्छा, चड्डी, सूर्य नमस्कार और बापू जैसे शब्दों को ऑक्सफोर्ड डिक्शनरी ने अपनाए हैं। अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी हर साल हिंदी के शब्दों को जगह मिल रही है। एक आंकड़े के मुताबिक, ऑक्सफोर्ड ने साल 2017 में करीब 70 भारतीय शब्दों को शामिल किया जिनमें 33 हिंदी के शब्द थे।
हिंदी के लर्निंग एप की बाढ़
एक आंकड़े के मुताबिक, 22 बड़ी भारतीय भाषाओं में हिंदी ऐसी भाषा है, जिसे बाइलिंग्युअल माध्यम के तौर पर स्कूलों में तेजी से इस्तेमाल किया जा रहा है। हिंदी ने डिजिटल एजुकेशन में जिस तेजी के साथ ग्रोथ की है वह चौंकाने वाली है। आज बाजार में ऐसे एजुकेशन लर्निंग एप और मेडिकल लर्निंग एप की बाढ़ आ चुकी है, जो हिंदी में सामग्री उपलब्ध करा रहे हैं। नेक्स्ट एजुकेशन, वेदांतू, काहूट, आवाज जैसे एप अब छात्रों को हिंदी में पाठ्य सामग्री उपलब्ध करा रहे हैं। चिकित्सा और इंजीनियरिंग के क्षेत्र में बढ़ी धमक
एलोपैथी चिकित्सा का क्षेत्र जो कभी अंग्रेजी से इतर जाना पसंद नहीं करता था आज हिंदी के साथ गलबहिंया कर रहा है। आज ऑनलाइन कंपनियां हिंदी में दवा के असर और उसके दुष्प्रभाव की जानकारियां दे रही हैं। मेडिकल एजुकेशन क्षेत्र में तकनीकी क्रांति की वजह से हिंदी में ऑनलाइन पठन-पाठन सामग्री का चलन तेजी से बढ़ा है। अब तो एम्स जैसे बड़े अस्पताल भी अपने प्रशासनिक कार्यों में हिंदी का इस्तेमाल कर रहे हैं। आज टेक एजुकेशन कंपनियां इंजीनियरिंग के क्षेत्र में छात्रों के लिए हिंदी में कंटेंट उपलब्ध करा रही हैं। यही नहीं अमेजन, फ्लिपकार्ट जैसी ऑनलाइन शॉपिंग कंपनियां भी हिंदी भाषी ग्राहकों के लिए अपने एप्स हिंदी में लॉन्च कर रही हैं।
एक आंकड़े के मुताबिक, 22 बड़ी भारतीय भाषाओं में हिंदी ऐसी भाषा है, जिसे बाइलिंग्युअल माध्यम के तौर पर स्कूलों में तेजी से इस्तेमाल किया जा रहा है। हिंदी ने डिजिटल एजुकेशन में जिस तेजी के साथ ग्रोथ की है वह चौंकाने वाली है। आज बाजार में ऐसे एजुकेशन लर्निंग एप और मेडिकल लर्निंग एप की बाढ़ आ चुकी है, जो हिंदी में सामग्री उपलब्ध करा रहे हैं। नेक्स्ट एजुकेशन, वेदांतू, काहूट, आवाज जैसे एप अब छात्रों को हिंदी में पाठ्य सामग्री उपलब्ध करा रहे हैं। चिकित्सा और इंजीनियरिंग के क्षेत्र में बढ़ी धमक
एलोपैथी चिकित्सा का क्षेत्र जो कभी अंग्रेजी से इतर जाना पसंद नहीं करता था आज हिंदी के साथ गलबहिंया कर रहा है। आज ऑनलाइन कंपनियां हिंदी में दवा के असर और उसके दुष्प्रभाव की जानकारियां दे रही हैं। मेडिकल एजुकेशन क्षेत्र में तकनीकी क्रांति की वजह से हिंदी में ऑनलाइन पठन-पाठन सामग्री का चलन तेजी से बढ़ा है। अब तो एम्स जैसे बड़े अस्पताल भी अपने प्रशासनिक कार्यों में हिंदी का इस्तेमाल कर रहे हैं। आज टेक एजुकेशन कंपनियां इंजीनियरिंग के क्षेत्र में छात्रों के लिए हिंदी में कंटेंट उपलब्ध करा रही हैं। यही नहीं अमेजन, फ्लिपकार्ट जैसी ऑनलाइन शॉपिंग कंपनियां भी हिंदी भाषी ग्राहकों के लिए अपने एप्स हिंदी में लॉन्च कर रही हैं।