अब किताबों में ही नहीं एएमयू में पत्थरों पर भी मिलेगा हेरिटेज इमारतों का इतिहास
अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में 75 हेरिटेज बिल्डिंगों पर पत्थर लगाए जा रहे हैं। इन पत्थरों की राजस्थान के कारीगर नक्काशी कर रहे हैं।
By Mukesh ChaturvediEdited By: Updated: Fri, 21 Sep 2018 09:50 AM (IST)
अलीगढ़ (संतोष शर्मा) । अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (एएमयू) ने नई पहल शुरू की है। यहां की हेरिटेज इमारतों का इतिहास जानने के लिए अब न तो किसी से पूछना पड़ेगा, न किसी इतिहास की किताब को पलटना पड़ेगा। इमारत कब बनी, किसने बनवाई, कितनी पुरानी है, यह ब्योरा इमारत के सामने ही पत्थर पर पढऩे को मिल जाएगा। फिलहाल 25 इमारतों के सामने पत्थर लगाए जा रहे हैं। अकेले एसएस हॉल (साउथ) में दर्जनभर पत्थर लगाए जा रहे हैैं।
यूनिवर्सिटी में पिछले दिनों पोल पर कुरान व अन्य महापुरुषों के विचारों से जुड़े बोर्ड लगाए गए थे। अब इमारत का इतिहास पत्थर पर उकेरा जा रहा है। गोल पत्थर के ऊपर इस लिखे हुए पत्थर को फिट किया जा रहा है। इसकी ऊंचाई सामान्य रखी है, ताकि इसे आसानी से पढ़ा जा सके। एसएस हॉल (साउथ) में एक पत्थर ट्रायल के रूप में लगाया जा चुका है। पत्थर पर लिखा है कि यह गेट स्ट्रेची हॉल के दाएं साइट में है। ये पटियाला के चीफ मिनिस्टर खलीफा सैयद महाराजा हसन के नाम पर है। इन्होंने एमएओ कॉलेज निर्माण में अहम रोल अदा किया था।
पहले चरण में 25 इमारत इंतजामिया ने पहले चरण में 25 इमारतों को चुना है। इनमें एसएस हॉल (साउथ), स्ट्रेची हॉल, विक्टोरिया गेट, यूनियन हॉल, सुलेमान हॉल, थियोलॉजी विभाग समेत 25 भवनों का इतिहास दर्ज होगा। इसके लिए राजस्थान से विशेष कारीगर बुलाए गए हैं, जो नक्काशी कर इतिहास लिख रहे हैं।
1920 से पहले के बने भवनों का होगा इतिहास
एएमयू के हेरीटेज डॉ. फरहान फाजली ने बताया कि यूनिवर्सिटी के 75 एतिहासिक भवनों को इसके लिए चुना गया है। पहले चरण में 1920 से पहले के बने भवनों का इतिहास पत्थर पर दर्ज किया जा रहा है। बाद में अन्य भवनों पर काम शुरू होगा।