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Charlie Chaplin: अपने नाम की ही हमशक्ल प्रतियोगिता में 20वें स्थान पर आए थे चार्ली, नहीं जीता एक भी कॉन्टेस्ट

Charlie Chaplin Biography दुनियाभर को अपनी साइलेंट फिल्मों से हंसाने वाले चार्ली चैपलिन की जिंदगी उनके किरदार से बिल्कुल अलग थी।चार्ली पर्दे पर जितने मजाकिया थेउनकी जिंदगी में उतना ही दर्द था। सबको हंसाने वाले चार्ली की मौत का किस्सा भी कम रोचक नहीं था।पढ़ें कुछ ऐसे ही अनसुने किस्से...

By Babli KumariEdited By: Babli KumariUpdated: Sun, 16 Apr 2023 02:15 PM (IST)
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Charlie Chaplin History, Movies, Family and Life Facts
चार्ली चैपलिन (16 अप्रैल 1889 - 25 दिसंबर 1977)

नई दिल्ली, बबली कुमारी। 'मुझे बारिश में भीगना पसंद है, क्योंकि बारिश में मेरे आंसू दिखाई नहीं देते'...ये डायलॉग या कोट आपने कई बार सुना और पढ़ा होगा। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि जिस इंसान ने इतनी गहरी बात कही, उसे देखकर सब बेतहाशा ठहाके मारते होंगे और हंसते–हंसते लोटपोट हो जाते होंगे। बल्कि, ये कहना गलत नहीं होगा कि ऐसी गंभीर बात कहने वाले इंसान को देखकर कोई भी खुशी या बदहवास ठहाके के अलावा कुछ और महसूस नहीं कर सकता है। उसने जिंदगी भर लोगों को खुशियां ही परोसी, बल्कि दुनिया को कभी यह महसूस नहीं होने दिया कि अंदर वो कितनी तकलीफ से गुजर रहा है।

उसने अपनी अदाकारी से दुनिया को हैरान कर दिया। उसने शोरगुल के बीच हमें ये सिखलाया कि बिना कुछ बोले भी सब कुछ समझा जा सकता है, शब्द एक आवरण मात्र है। जी हां, आप सही सोच रहे हैं...बात हो रही है दुनिया के सबसे बेहतरीन कॉमेडियन और एक्टर चार्ली चैपलिन की।

16 अप्रैल 1889 के दिन चार्ली का हुआ जन्म

इंग्लैंड के लंदन शहर में 16 अप्रैल 1889 के दिन चार्ली का जन्म हुआ। उनकी मां का नाम हाना चैपलिन और पिता का नाम चार्ल्स चैपलिन सीनियर था। उनके माता-पिता एक म्यूजिक हॉल में काम करते थे। घर की आर्थिक हालत ठीक नहीं होने के कारण चार्ली की मां स्टेज पर गाना भी गाया करती थीं। एक दिन गाते-गाते गला खराब होने के कारण हाना रुक गईं, जिसकी वजह से श्रोताओं ने शोर मचाना शुरू कर दिया। ये देखकर चार्ली स्टेज पर चले गए और गाना गाने लगे। उनका गाना सुनकर लोग दीवाने हो गए और पैसों की बारिश करने लगे। चार्ली ने गाना बीच में रोककर कहा कि पहले वो पैसे उठाएंगे और फिर गाना शुरू करेंगे। ये सुनते ही लोग ठहाके मारकर हंसने लगे।

उस वक़्त वो महज़ 5 वर्ष के एक छोटे से बच्चे थे, लेकिन अपने जीवन के उन शुरुआती दिनों में ही वो समझ गए थे कि दुनिया को आपके दुख से कोई मतलब नहीं है। आपको खुद अपने बुरे समय को झेलना पड़ेगा और उसे दूर करने के लिए संघर्ष करना पड़ेगा। उस दिन के बाद से इस हंसते-मुस्कुराते इंसान को देखकर कोई सोच भी नहीं सकता था कि इसने कितना दर्द सहा है।

बचपन में ही चार्ली के माता-पिता का हुआ तलाक

बचपन में ही चार्ली के माता-पिता का तलाक हो गया और उन्हें अपने भाई के साथ अनाथालय में रहना पड़ा। गरीबी और तलाक को उनकी मां सहन नहीं कर पाईं और वो मानसिक रूप से बीमार हो गईं। अनाथालय से निकलने के बाद उन्हें अपने पिता के साथ रहना पड़ा, जहां सौतेली मां के साथ उनकी कभी नहीं बन पाई। बचपन से ही मानसिक तनाव झेलने वाले चार्ली का दिल कभी पढ़ाई में नहीं लगा और उन्होंने एक डांस ग्रुप ज्वॉइन कर लिया। लेकिन उनका मन हमेशा कॉमेडी और ऐक्टिंग की तरफ रहा। आर्थिक हालत ठीक नहीं होने के कारण वो शराबखाने के बाहर गुलदस्ते बनाकर बेचा करते थे। मां अस्वस्थ थी और खुद का भी गुज़ारा करना पड़ता था, इसलिए वो कई घरों में डोमेस्टिक हेल्प के रूप में भी काम किया करते थे।

अपनी रुचि को जिंदा रखने के लिए वो समय निकालकर ब्लैकमोर थियेटर जाया करते थे। यहीं चार्ली की मुलाकात ई हैमिल्टन से हुई और चार्ली की जिंदगी ने अलग मोड़ लिया। हैमिल्टन ने चार्ली को शेरलॉक होम्स नामक नाटक में ऐक्टिंग के लिए एक रोल दिया। पर चार्ली को पढ़ना नहीं आता था और उनके लिए ये करना बेहद नामुमकिन सा लग रहा था। तब उन्होंने अपनी स्क्रिप्ट को रटना शुरू कर दिया और उसे इतना रटा कि वो बिना किसी हिचक के बेधड़क अपने डायलॉग्स बोल सकते थे। अपनी शानदार ऐक्टिंग और डायलॉग डिलीवरी से उन्होंने ये साबित कर दिया कि वो एक शानदार ऐक्टर बन सकते हैं।

26 साल की उम्र में बने सबसे महंगे अभिनेता

उनकी ज़िंदगी का सबसे खास दिन 4 मई 1919 को आया जब उनकी फिल्म ‘कॉट इन द रेन’ रिलीज़ हुई। ये उनके निर्देशन में बनी सबसे सफल फिल्म साबित हुई। उसके बाद बहुत ही कम समय में वो अंतरराष्ट्रीय फिल्मों के जाने–माने चेहरे के रूप मे विख्यात हो गए थे। केवल 26 साल की उम्र में वो अकेले ऐसे अभिनेता थे, जिसे एक फिल्म के लिए लाखों डॉलर दिए जाते थे।

अपनी फिल्मों में वो ज्यादातर ‘ट्रैप’ नाम का किरदार निभाया करते थे। ये उनके अतीत से काफी मेल खाता था। दुबले पतले और ठिगने ट्रैप की मुफलिसी ने दर्शकों को कभी निराश नहीं किया। अक्सर ऐक्टिंग करते हुए वो गिरते–पड़ते रहते थे और फिल्म देखते हुए वो ऐक्टिंग का हिस्सा लगता था पर इस वजह से कई बार उन्हें गंभीर चोट भी लगी।

ये बताने की जरूरत नहीं है कि उस दौर में यूरोप आर्थिक मंदी की चपेट में था और अपने तानाशाहों की क्रूरताओं को झेल रहा था। ऐसे वक़्त में हिटलर जैसे तानाशाह से लड़ने के लिए उनके पास हास्य व्यंग्य के अलावा कुछ नहीं था। जिसका उन्होंने बखूबी इस्तेमाल किया और पूरी दुनिया पर अपने धारदार अभिनय से कटाक्ष किए। उन्होंने हमें सिखाया कि डर और आतंक के खिलाफ कैसे हम हास्य और व्यंग्य को अपना हथियार बना सकते हैं।

चैपलिन हमशक्ल प्रतियोगिता में जब खुद 20वें स्थान पर आए चार्ली

चार्ली चैपलिन की लोकप्रियता इस कदर फैली थी कि उनके हाव–भाव की नकल करने वालों के लिए चार्ली चैपलिन हमशक्ल प्रतियोगिताएं हुआ करती थीं। इनमें से कई प्रतियोगिताओं में चार्ली चैपलिन ने खुद भी भाग लिया, लेकिन चौंकाने वाली बात यह है कि इन प्रतियोगिताओं में वह कभी भी प्रथम नहीं आए।

ऐसा माना जाता है कि चार्ली चैपलिन ने कई बार 'चैपलिन हमशक्ल प्रतियोगिता' में भाग लिया था। उन्होंने 1920 में एक चार्ली चैपलिन हमशक्ल प्रतियोगिता में हिस्सा लिया। इस प्रतियोगिता में भाग लेने वाले प्रतिभागियों की सूची में स्वयं चार्ली चैपलिन 27वें स्थान पर थे। इस प्रतियोगिता का परिणाम देखने के बाद चार्ली दिल खोलकर हंसे।

चार्ली का निजी जीवन कई विवादों से रहा घिरा 

चार्ली का निजी जीवन भी कई विवादों से घिरा रहा। उन्होंने तीन शादियां की पर हमेशा उन्हें रिश्तों से निराशा ही हाथ लगी। उन्होंने पहली शादी 1918 में 16 वर्षीय अभिनेत्री मिलड्रिड हैरिस से की, लेकिन महज़ दो साल बाद ही उनका तलाक हो गया। वो अपनी शादी से खुश नहीं थे और उनकी शादी की वजह हैरिस का प्रेगनेंट होना बताया जाता है। चार्ली ने दूसरी शादी अभिनेत्री लिटा ग्रे से की जिसने इनपर घरेलू हिंसा का इल्जाम लगा दिया और उनका फिर से तलाक हो गया। आखिरकार 1943 में उन्होंने 18 वर्षीय ऊना मिल से शादी की और इस बार शायद उन्हें वो मिल चुका था, जो उन्हें चाहिए था।

चार्ली की आखिरी फिल्म ‘अ काउंटेस फ्रॉम हांग-कांग’ के बाद उनकी तबीयत खराब रहने लगी। 1977 के बाद वो शारीरिक रूप से काफी कमजोर हो गए थे। लंबे समय से बीमार चल रहे चार्ली ने सबसे बातचीत करना बंद कर दिया था। वो गुमसुम और उदास रहने लगे थे। किसी से मिलना–जुलना भी उन्हें रास नहीं आता था और आखिरकार 25 दिसंम्बर 1977 को वो दिन आ गया जब विश्व ने एक महान अभिनेता और इंसान खो दिया। ऐसा इंसान जिसने दुनिया को अपने बुरे वक़्त में हंसते हुए उससे लड़ते रहने की सीख दी। चार्ली चैपलिन ने अपने जीवन का एक बड़ा हिस्सा स्विट्जरलैंड में बिताया और साल 1977 में क्रिसमस के दिन उनका निधन हो गया।

88 साल की उम्र में हुआ था निधन

चार्ली की जिंदगी के बाद उनकी मृत्यु से भी जुड़ा एक बेहद रोचक किस्सा है। चार्ली चैपलिन का निधन 88 साल की उम्र में 1977 में क्रिसमस के दिन हुआ। दफन होने के तीन महीने बाद कब्र से उनका शव चोरी हो गया था। उनके शव के बदले उनके परिवार से फिरौती की मांग की गई। 11 हफ्ते बाद उनका शव वापस मिला। चोरों ने उनके परिवार से मोटी रकम वसूलने के लिए ऐसा किया था।

महात्मा गांधी के थे बड़े प्रसंशक

चार्ली चैपलिन महात्मा गांधी के बड़े प्रसंशक थे और उन्होंने उनसे मुलाकात भी की थी। चार्ली अपने किरदार में इतना गहरे घुस जाया करते थे कि दर्शकों को लगता ही नहीं था कि वो किसी और को देख रहे हैं, बल्कि उन्हें उनमें अपनी परछाई दिखाई देने लगती थी।

उन्होंने हमेशा जीवन की सच्चाई को अपने किरदार से जोड़कर समाज के सामने पेश किया। वो अपनी फिल्मों और ऐक्टिंग में गहराई इसलिए ला पाते थे कि उन्होंने ज़िंदगी में मुफलिसी और दुनिया के ढोंग को बहुत नजदीक से देखा था। हालांकि, इसके बावजूद भी उन्होंने इससे दूर भागने या वैसे ही छोड़ देने का फैसला नहीं लिया, बल्कि उसे सुधारने का जिम्मा उठाया। चार्ली चैपलिन हमेशा एक आशावादी और उन्नत समाज के लिए प्रयासरत रहे।