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'अवैध शराब पीने वाले स्वतंत्रता सेनानी नहीं हैं', सरकार द्वारा दिए गए 10 लाख मुआवजे के खिलाफ दी गई ये दलील

कल्लाकुरिची में जहरीली शराब पीने से कई लोगों की मौत हो गई थी। इस मामले में सरकार ने मृतकों के परिजनों के लिए 10 लाख रुपये के मुआवजे का एलान किया था। मुआवजा राशि के खिलाफ मोहम्मद गौस ने जनहित याचिका दायर की। गौस का कहना है कि पीड़ित स्वतंत्रता सेनानी या सामाजिक कार्यकर्ता नहीं थे जिन्होंने आम जनता या समाज के लिए अपनी जान गंवाई हो।

By Jagran News Edited By: Versha Singh Updated: Fri, 05 Jul 2024 02:02 PM (IST)
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कल्लाकुरिची में हुई शराब त्रासदी में मुआवजे का हो रहा विरोध (फाइल फोटो)
पीटीआई, चेन्नई। बीते कुछ समय पहले तमिलनाडु के कल्लाकुरिची में जहरीली शराब पीने से करीब 65 लोगों की मौत हो चुकी है। पूरे राज्य में इस त्रासदी को लेकर हाहाकार मच गया था। हादसे के बाद भाजपा ने भी जमकर हंगामा किया था।

वहीं, बिगड़ते हालात को देखते हुए सीएम एमके स्टालिन ने मृतकों के परिजनों को 10 लाख रुपये और अस्पताल में भर्ती लोगों को 50 हजार का मुआवजा देने का एलान किया था। हालांकि, अब इस मुआवजे के आदेश को रद्द कराने के लिए मद्रास उच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका दायर की गई है।

मोहम्मद गौस ने दायर की याचिका

कल्लाकुरिची जहरीली शराब त्रासदी की मुआवजा राशि पर चिंता जताते हुए मोहम्मद गौस ने जनहित याचिका दायर की। शुक्रवार को जब मोहम्मद गौस द्वारा दायर जनहित याचिका सुनवाई के लिए आई तो कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश आर महादेवन और न्यायमूर्ति मोहम्मद शफीक की खंडपीठ ने कहा कि मुआवजे की राशि अधिक है और मामले की अगली सुनवाई दो सप्ताह बाद की जाएगी।

अवैध शराब पीना गलत, राज्य को नहीं करनी चाहिए दया- गौस

उन्होंने कहा कि पीड़ित स्वतंत्रता सेनानी या सामाजिक कार्यकर्ता नहीं थे, जिन्होंने आम जनता या समाज के लिए अपनी जान गंवाई हो और उन्होंने नकली शराब पीकर अवैध कार्य किया था।

गौस के अनुसार, अवैध शराब पीना एक गैरकानूनी काम है। राज्य को उन लोगों पर दया नहीं करनी चाहिए जिन्होंने अवैध शराब पीकर गैरकानूनी काम किया और परिणामस्वरूप ऐसे कृत्य का शिकार हो गए।

उन्होंने कहा कि क्षतिपूर्ति केवल दुर्घटना के पीड़ितों को दी जानी चाहिए, न कि उन लोगों को जिन्होंने अपने आनंद के लिए कोई अवैध कार्य किया हो। 

जहरीली शराब से मरने वालों के साथ न करें पीड़ित जैसा व्यवहार- गौस

उन्होंने कहा कि अवैध शराब त्रासदी के सभी पीड़ितों को मुआवजा देने का आदेश अनुचित और मनमाना है। उन्होंने आगे कहा कि अवैध शराब के उपभोक्ताओं को मुआवजा देने से मना किया जाना चाहिए तथा उनके साथ पीड़ित जैसा व्यवहार नहीं किया जाना चाहिए।

याचिकाकर्ता ने कहा कि यह स्पष्ट और न्यायोचित नहीं है कि किस आधार पर राज्य सरकार आग या अन्य दुर्घटनाओं के पीड़ितों को कम मुआवजा दे रही है और साथ ही अवैध शराब त्रासदी के पीड़ितों को भारी राशि दे रही है।

मामले का NCW ने लिया था स्वतः संज्ञान

इससे पहले एनसीडब्ल्यू ने शराब से लोगों को मरने की मीडिया रिपोर्ट का स्वत: संज्ञान लिया था। जिसके बाद मामले की जांच के लिए एनसीडब्ल्यू सदस्य खुशबू सुंदर के नेतृत्व में तीन सदस्यीय जांच समिति गठित की गई थी। खुशबू सुंदर के नेतृत्व में राष्ट्रीय महिला आयोग के तीन सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल ने तमिलनाडु के कल्लाकुरिची जिले में जहरीली शराब पीने से जान गंवाने वाले पीड़ितों के परिवारों से मुलाकात भी की थी।

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