एक भगोड़ा अनुरोध कैसे कर सकता है? जाकिर नाइक की याचिका पर केंद्र ने SC में जताई आपत्ति
केंद्र सरकार ने भगोड़े जाकिर नाइक की याचिका को लेकर सुप्रीम कोर्ट में आपत्ति जताई है। सरकार ने विवादित इस्लामिक उपदेशक की ओर से दायर याचिका पर सवाल उठाया है। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पूछा कि एक ऐसा व्यक्ति जिसे भगोड़ा घोषित किया गया है वह याचिका कैसे दायर कर सकता है। मामले की अगली सुनवाई अब 23 अक्तूबर को होगी।
पीटीआई, नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने विवादित इस्लामिक उपदेशक जाकिर नाइक की ओर से सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका पर बुधवार को सवाल उठाया है। याचिका में 2012 में गणपति उत्सव के दौरान दिए जाकिर के आपत्तिजनक बयानों को लेकर विभिन्न राज्यों में दर्ज प्राथमिकी को एक साथ जोड़ने का अनुरोध किया गया है।
भगोड़ा याचिका कैसे दायर कर सकता है
जस्टिस अभय एस ओका, जस्टिस एहसानुद्दीन अमानुल्ला और जस्टिस आगस्टीन जार्ज मसीह की पीठ के समक्ष पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पूछा कि एक ऐसा व्यक्ति, जिसे भगोड़ा घोषित किया गया है, वह याचिका कैसे दायर कर सकता है।
मेहता ने कहा कि मुझे उसके वकील ने बताया कि वे मामला वापस ले रहे हैं। जाकिर के वकील ने कहा कि उसे मामला वापस लेने के संबंध में कोई निर्देश नहीं मिला है और याचिका में विभिन्न राज्यों में दर्ज लगभग 43 प्राथमिकी को एक साथ जोड़ने का अनुरोध किया गया है।
मैं प्रारंभिक तर्क देना चाहूंगा कि एक व्यक्ति जिसे अदालत ने भगोड़ा घोषित किया है, क्या वह अनुच्छेद 32 याचिका को बरकरार रख सकता है?
जस्टिस ओक ने क्या कहा?
जस्टिस ओक ने इस पर विचार करने की बात कही है। उन्होंने कहा कि जवाबी हलफनामा तैयार है, आप वह आपत्ति उठाएं। आप कह रहे हैं कि आप सुनवाई योग्यता के बारे में आपत्ति उठा रहे हैं। जवाबी हलफनामा दायर करके वह आपत्ति उठाएं।
23 अक्तूबर को होगी अगली सुनवाई
कोर्ट ने नाइक के वकील को हलफनामा दायर कर यह बताने का निर्देश दिया कि वह मामला जारी रखेगा या इसे वापस लेगा। इसके साथ ही कोर्ट ने मेहता से मामले में जवाब दाखिल करने को कहा। मामले की अगली सुनवाई 23 अक्टूबर को होगी।एजेंसियों की जांच के दायरे में जाकिर नाइक
बता दें कि जाकिर नाइक कई सालों से राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की जांच के दायरे में है। जाकिर पर विभिन्न धार्मिक समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देने के लिए आईपीसी की धारा 153ए और गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (UAPA Act) की धारा 10, 13 और 18 के तहत आरोप हैं।