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साइबर क्राइम को कैसे किया जा सकता खत्म? सरकार कर रही प्लानिंग; अब फर्जी सिम के इस्तेमाल पर भी लगेगी रोक

साइबर अपराध और डिजिटल अरेस्ट के जरिए होने वाली धोखाधड़ी के प्रति लोगों को सचेत और सावधान करने के लिए सरकार और कानून लागू करने वाली एजेंसियां एड़ी चोटी का जोर लगा रही है। विज्ञापनों और प्रचार माध्यमों से बताया जा रहा है कि लोग डरें नहीं पुलिस किसी को डिजिटली अरेस्ट नहीं करती। लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि बात इतने से नहीं बनेगी।

By Jagran News Edited By: Shubhrangi Goyal Updated: Tue, 08 Oct 2024 04:44 PM (IST)
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साइबर क्राइम को कैसे किया जा सकता खत्म?
माला दीक्षित, नई दिल्ली। साइबर अपराध और डिजिटल अरेस्ट के जरिए होने वाली धोखाधड़ी के प्रति लोगों को सचेत और सावधान करने के लिए सरकार और कानून लागू करने वाली एजेंसियां एड़ी चोटी का जोर लगा रही है। विज्ञापनों और प्रचार माध्यमों से बताया जा रहा है कि लोग डरें नहीं पुलिस किसी को डिजिटली अरेस्ट नहीं करती। लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि बात इतने से नहीं बनेगी।

साइबर क्राइम के बढ़ते मामलों पर लगाम लगाने के लिए अपराधियों को कड़ी सजा देने के साथ ही जिन फर्जी सिमों से फोन किये जाते हैं और जहां खाते खुल रहे हैं, पैसे निकल रहे हैं उन सर्विस प्रोवाइडरों जैसे टेलीकाम कंपनियों और बैंकों पर जिम्मेदारी डालने की जरूरत है। विशेषज्ञ मानते हैं कि बैंक और सर्विस प्रोवाइडरों की जवाबदेही तय होनी चाहिए। साइबर क्राइम से निबटने के लिए प्रक्रिया की खामियों को दूर करके ही इस पर नकेल कसी जा सकती है।

अपराध के दो महत्वपूर्ण घटक पर लगेगी रोक

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग में साइबर क्राइम एंड एआइ के स्पेशल मानीटर और पूर्व आइपीएस मुक्तेश चंदर इससे निपटने का तरीका बताते हैं। वह कहते हैं कि अपराध के दो महत्वपूर्ण घटक हैं पहला सिम कार्ड और दूसरा बैंक खाता, ये दोनों जहां से जारी हो रहे हैं उन सर्विस प्रोवाइडरों पर जवाबदेही डाली जानी चाहिए क्योंकि कहीं न कहीं उनके लोग इसमें शामिल होते हैं। ये इस अपराध के दो हथियार हैं इन पर रोक लगाने से अपराध पर रोक लग सकती है। नियमत: एक नाम पर दस सिम जारी हो सकते हैं।

फर्जी सिम जारी होने पर लगेगा हजारों का जुर्माना

अगर कोई एक सिम लेता है तो एजेंट उसी के नाम पर नौ फर्जी सिम जारी कर देते हैं। मोबाइल सेवा उपलब्ध कराने वाली टेलीकाम कंपनियों के लिए ट्राई के नियम, टर्म सेल हैं जिसमें एक सिम फर्जी पाए जाने पर 50000 रुपये जुर्माना है। मुक्तेश कहते है कि यह पता किया जाना चाहिए कि किस कंपनी पर कितना ऐसा जुर्माना लगा है और कितना वसूला गया। अगर कंपनी से हर फर्जी सिम पर 50000 जुर्माना वसूला जाए तो फर्जी सिम जारी होने रुक सकते हैं। दूसरा नंबर बैंक खातों का आता है, अपराध में शामिल खाता जिस जिले की जिस बैंक शाखा में हो उसके ब्रांच मैनेजर पर कार्रवाई होनी चाहिए। दो चार पर कार्रवाही होगी वैसे ही फर्जी खाते खुलने बंद हो जाएंगे।

साइबर क्राइम विशेषज्ञ वकील पवन दुग्गल भी कहते हैं कि सर्विस प्रोवाइडर और बैंक पर जिम्मेदारी डाली जानी चाहिए। वह आरबीआइ के छह जुलाई 2017 के नोटिफिकेशन का हवाला देते हैं जिसमें कहा गया है कि पैसे निकलने के 72 घंटे के अंदर बैंक को लिखित में रिपोर्ट करने पर बैंक की जिम्मेदारी होगी। साइबर क्राइम नंबर 1930 पर अगर तत्काल शिकायत कर दी जाए तो पैसे ब्लाक कर दिए जाते हैं।

20 प्रमुख शहरों में है साइबर क्राइम का ओरिजन

सरकार द्वारा संसद में दी जानकारी मुताबिक एक जनवरी 2024 से 22 जुलाई तक सात राज्यों के 20 प्रमुख शहरों को संगठित साइबर क्राइम का ओरिजन चिन्हित किया गया है। लेकिन जिस रफ्तार से अपराध बढ़े हैं उतनी तेजी से जांच और निपटारा नहीं हो रहा। इसका कारण है अपराध में विभिन्न राज्य और शहरों का शामिल होना। इसके लिए विभिन्न राज्यों की पुलिस को मिलकर काम करने की जरूरत है।