Move to Jagran APP

Donald Trump: ताकतवर राष्ट्राध्यक्षों से ट्रंप कितने दूर-कितने पास, दुनियाभर में चल रहे टकरावों पर कैसे बैठाएंगे समीकरण

ट्रंप की विश्व के बड़े देशों के राष्ट्राध्यक्षों के साथ कैसे समीकरण-केमिस्ट्री है। ट्रंप के फिर से सत्ता में आने पर रूस अंदरखाने खुश है। उसे आशा है कि रूस-यूक्रेन युद्ध अब खत्म हो जाएगा। ये बात अलग है कि रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने ट्रंप को जीत की अभी तक बधाई नहीं दी है। दुनिया के कई देश आपस में युद्धों में उलझे हुए हैं।

By Jagran News Edited By: Jeet Kumar Updated: Thu, 07 Nov 2024 05:52 AM (IST)
Hero Image
ताकतवर राष्ट्राध्यक्षों से ट्रंप कितने दूर-कितने पास
जेएनएन, नई दिल्ली। रिपब्लिकन पार्टी के नेता डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिकी राष्ट्रपति का चुनाव जीत लिया है। वह दूसरी बार इस पद पर विराजमान हुए हैं। ऐसी सूरत में जबकि दुनिया के कई देश आपस में युद्धों में उलझे हुए हैं या टकराव चल रहा है तो यह देखने वाली बात होगी कि अब व्हाइट हाउस के ताकतवर देशों के नेताओं के साथ कैसे रिश्ते होंगे। क्या पड़ेगा संबंधों पर असर। ट्रंप की विश्व के बड़े देशों के राष्ट्राध्यक्षों के साथ कैसे समीकरण-केमिस्ट्री है। आइए डालते हैं नजर ...

ट्रंप और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन

ट्रंप के फिर से सत्ता में आने पर रूस अंदरखाने खुश है। उसे आशा है कि रूस-यूक्रेन युद्ध अब खत्म हो जाएगा। ये बात अलग है कि रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने ट्रंप को जीत की अभी तक बधाई नहीं दी है। क्रेमलिन के प्रवक्ता ने एक सवाल के जवाब में कहा कि हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि हम एक ऐसे अमित्र देश के बारे में बात कर रहे हैं जो हमारे देश के खिलाफ युद्ध में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से शामिल है। यह रूस का सधा हुआ शुरुआती रुख लगता है। वैसे ऐसा लगता है कि ट्रंप के मन में पुतिन के लिए प्रशंसा भाव है।

उन्होंने वादा भी किया था कि अगर वे सत्ता में आते हैं तो वे एक दिन में यूक्रेन युद्ध को समाप्त कर देंगे। विशेषज्ञों का मानना है कि वे यूक्रेन को रूस को कुछ क्षेत्र देने के लिए मजबूर करके ऐसा करने की मंशा रखते हैं। वैसे भी यूक्रेन के काफी हिस्से पर रूस कब्जा कर चुका है। जब फरवरी 2022 में यूक्रेन में रूस की कार्रवाई शुरू हुई तो ट्रंप ने पुतिन को समझदार और प्रतिभाशाली बताया था। पूर्व में ट्रंप और पुतिन के बीच कई बार बातचीत भी हो चुकी है।

ट्रंप और चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग पुतिन की तरह ही चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग की ट्रंप व्यक्तिगत रूप से प्रशंसा कर चुके हैं मगर उनकी नीति में यह दिखाई नहीं देता। उधर, बीजिंग के योजनाकार ट्रंप के दूसरे कार्यकाल को एक चुनौती और अवसर दोनों के रूप में देख सकते हैं।

पोलिटिको की रिपोर्ट के अनुसार, 2023 में ट्रंप ने शी को स्मार्ट, शानदार और हर चीज में परफेक्ट बताया था। इस साल की शुरुआत में उन्होंने कहा था कि शी के साथ उनका अच्छा तालमेल है। वे चाहते हैं कि चीन बढि़या करे। मेरे पूर्व के कार्यकाल के दौरान वे मेरे बहुत अच्छे दोस्त थे। 2020 में जब वे राष्ट्रपति थे तो ट्रंप ने दावोस में कहा था कि चीन के साथ हमारे संबंध अब शायद पहले से कहीं बेहतर हैं।

हालांकि, कोविड-19 महामारी के बीच, ट्रंप ने बार-बार कोरोना वायरस को चीनी वायरस कहा और इसके प्रसार के लिए चीन को जिम्मेदार ठहराया था। वैसे नीतिगत बात करें तो ट्रंप के नेतृत्व में अमेरिकी प्रशासन ने चीन को एक खतरे और रणनीतिक प्रतिद्वंद्वी के रूप में पेश किया। उनसे पहले किसी भी अमेरिकी राष्ट्रपति ने बी¨जग को स्पष्ट रूप से रणनीतिक खतरे के रूप में पेश नहीं किया था। इस बार भी उन्होंने चीनी आयात पर शुल्क बढ़ाने का वादा किया है।

ट्रंप और इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू

जब ट्रंप पूर्व में राष्ट्रपति थे तो उनका नेतन्याहू के साथ बहुत अच्छा तालमेल था और उनकी सरकार ने इजरायल का पुरजोर समर्थन किया। जैसा कि ट्रंप ने खुद जनवरी 2020 में कहा था- 'जैसा कि सभी जानते हैं, मैंने इजरायल के लिए बहुत कुछ किया है। अमेरिका के दूतावास को यरुशलम ले जाना,गोलान हाइट्स को मान्यता देना और सबसे महत्वपूर्ण भयानक ईरान परमाणु समझौते से बाहर निकलना।'

ट्रंप ने अब्राहम समझौते पर हस्ताक्षर करने की भी निगरानी की, जिसने चार अरब देशों सूडान, मोरक्को, बहरीन और यूएई के साथ इजरायल के संबंधों को सामान्य बनाया। वैसे नेतन्याहू के साथ ट्रंप के संबंध तब खराब हो गए जब नेतन्याहू ने जो बाइडन को चुनाव में उनकी जीत के लिए बधाई दी, जिस पर ट्रंप ने आरोप लगाया था कि यह धांधली थी। ट्रंप ने सात अक्टूबर को हमास के हमले को रोकने में उनकी विफलता के लिए भी इजरायली नेता की आलोचना की थी। हालांकि, दोनों नेताओं ने अपने रिश्तों को बेहतर बनाने पर काम किया है। इस साल जुलाई में ट्रंप ने नेतन्याहू और उनकी पत्नी सारा की फ्लोरिडा के अपने रिसार्ट मार-ए-लागो में मेजबानी की।

ट्रंप व सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान

ट्रंप की सऊदी अरब के क्राउन ¨प्रस मोहम्मद बिन सलमान (एमबीएस) से अच्छी दोस्ती है। पिछली बार राष्ट्रपति बनने के बाद ट्रंप की पहली विदेश यात्रा सऊदी अरब की थी। अमेरिका और इस रेगिस्तानी राज्य के बीच हमेशा से तेल-सुरक्षा के लिए एक मजबूत रिश्ता रहा है। ट्रंप की एमबीएस के प्रति व्यक्तिगत पसंद ने इसे और बढ़ावा दिया। ट्रंप ने सऊदी अरब में मानवाधिकारों के हनन के आरोपों पर एमबीएस की कभी आलोचना नहीं की।

वाशिंगटन पोस्ट के स्तंभकार जमाल खशोगी की हत्या पर भी उन् ोंने सऊदी नेता को कुछ नहीं कहा। उन्होंने सऊदी अरब को सैन्य सहायता सीमित करने के प्रयासों पर वीटो किया। इस साल अप्रैल में ट्रंप और एमबीएस के बीच बातचीत हुई थी। अक्टूबर में ट्रंप ने सऊदी अरब के सरकारी टीवी नेटवर्क अल अरबिया पर कहा कि उनके मन में क्राउन प्रिंस के लिए बहुत सम्मान है। वे बहुत बढि़या काम कर रहे हैं। वह वास्तव में एक दूरदर्शी व्यक्ति हैं। उन्होंने ऐसे काम किए हैं जिनके बारे में किसी और ने सोचा भी नहीं होगा।

ट्रंप व बांग्लादेश की अपदस्थ पीएम शेख हसीना

बांग्लादेश की सबसे लंबे समय तक प्रधानमंत्री रहीं शेख हसीना को अगस्त 2024 में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शनों के बाद पद छोड़ना पड़ा था और वे भारत आ गईं थीं। ट्रंप की वापसी उन्हें कूटनीतिक जीवन प्रदान कर सकती है, क्योंकि ट्रंप प्रशासन आंतरिक शासन के मामलों में रणनीतिक गठबंधनों को प्राथमिकता दे सकता है। यह बदलाव उनकी राजनीतिक वापसी में सहायक हो सकता है, जिससे मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार को चुनौती देने का मंच मिल सकता है। हसीना के लिए ट्रंप का राष्ट्रपति बनना उन ताकतों का मुकाबला करने का अवसर प्रदान करता है, जिनके कारण उन्हें पद से हटाया गया था।

ट्रंप ने की थी किम जोंग उन से बातचीत

ट्रंप और उत्तर कोरिया के शासक किम जोंगट्रंप उत्तर कोरियाई शासक किम जोंग से मिलने वाले पहले अमेरिकी राष्ट्रपति थे और उस स्तर की बातचीत अभूतपूर्व थी। हालांकि इससे कोई बड़ी कामयाबी नहीं मिली, लेकिन इसने किम को वैधता प्रदान की। ट्रंप की इस जीत का मतलब है उत्तर कोरिया के लिए अमेरिका के साथ सीधे बातचीत करने का एक नया खुलना।