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कर्नाटक के हिजाब केस ने किस तरह पकड़ा तूल, इन प्रमुख बिंदुओं से समझे पूरे मामले को

इस मामले पर आज सुप्रीम कोर्ट की अलग-अलग राय 22 सितंबर को जस्टिस गुप्ता और धूलिया की पीठ ने याचिकाओं पर अपना फैसला सुरक्षित रखने के बाद आया है। बेंच ने अपना फैसला सुरक्षित रखने से पहले 10 दिनों तक दलीलें सुनी थीं।

By Dhyanendra Singh ChauhanEdited By: Updated: Thu, 13 Oct 2022 12:31 PM (IST)
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कर्नाटक के स्कूलों से बढ़ा हिजाब का मामला

नई दिल्ली, ऑनलाइन डेस्क। कर्नाटक के हिजाब मामले पर सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार को सुनवाई हुई। इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट के जज हेमंत गुप्ता और सुधांशु धूलिया की राय अलग-अलग रही। हिजाब मामले पर सुनवाई के दौरान जस्टिस गुप्ता ने कर्नाटक हाई कोर्ट के फैसले को बरकरार रखा। वहीं, दूसरे जज सुधांशु धूलिया ने कर्नाटक हाई कोर्ट के फैसले को खारिज कर दिया।

सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति धूलिया ने कहा कि यह अंततः एक पसंद का मामला है और कुछ नहीं। एक चीज जो मेरे लिए सबसे ऊपर है वह बालिकाओं की शिक्षा है। आज सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट की खंडपीठ ने कहा कि वे इस मामले को तीन-न्यायाधीशों की पीठ द्वारा भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) के समक्ष रख रहे हैं।

वहीं, इस पर कर्नाटक के शिक्षा मंत्री बीसी नागेश ने कहा कि राज्य में 5 फरवरी को कैंपस में मुस्लिम छात्रों के हिजाब पहनने पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। हम सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हैं। लेकिन मुझे आज एक फैसले की उम्मीद थी। मामला अब सुप्रीम कोर्ट की एक बड़ी बेंच के पास गया है।

ऐसे शुरू हुआ यह मामला

यह मामला अक्टूबर 2021 से शुरू हुआ था। जब कर्नाटक के पीयू कॉलेज की कुछ छात्राओं ने हिजाब पहनने की मांग शुरू की थी। इसके बाद 31 दिसंबर 2021 को उडुपी के सरकारी प्री-यूनिवर्सिटी कॉलेज में हिजाब पहनकर आई 6 छात्राओं को क्लास में आने से रोक दिया गया था। यह मामला तब से बढ़ गया है। इसके बाद कर्नाटक के कई कॉलेज के बाहर प्रदर्शन शुरू हो गए थे। यह मामला कर्नाटक हाईकोर्ट से होते हुए सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया।

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जानिए कैसे-कैसे मामले में हुई सुनवाई

मुस्लिम छात्राओं ने कर्नाटक हाई कोर्ट में चुनौती दी थी। 15 मार्च को हाई कोर्ट ने कर्नाटक के उडुपी में गवर्नमेंट प्री-यूनिवर्सिटी गर्ल्स कॉलेज के कुछ मुस्लिम छात्रों द्वारा दायर याचिकाओं को खारिज कर दिया था।

हाई कोर्ट ने फैसला सुनाया था कि कक्षाओं के अंदर हिजाब पहनने का छात्रों का अनुरोध इस्लामी आस्था में आवश्यक धार्मिक अभ्यास का हिस्सा नहीं है।

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राज्य की ओर से पेश वकीलों ने दिया तर्क

वहीं, इस मामले पर आज सुप्रीम कोर्ट की अलग-अलग राय 22 सितंबर को जस्टिस गुप्ता और धूलिया की पीठ ने याचिकाओं पर अपना फैसला सुरक्षित रखने के बाद आया है। बेंच ने अपना फैसला सुरक्षित रखने से पहले 10 दिनों तक दलीलें सुनी थीं। राज्य की ओर से पेश वकीलों ने तर्क दिया था कि विवाद को जन्म देने वाला कर्नाटक सरकार का आदेश धर्म तटस्थ है।

अब सीजेआई के पास गया यह मामला

गुरुवार को फैसला पढ़ा गया कि न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता ने मार्च में कर्नाटक उच्च न्यायालय के आदेश की पुष्टि की है, जबकि न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया ने हिजाब पहनने पर राज्य सरकार के आदेश को खारिज कर दिया है। मामले को अब भारत के मुख्य न्यायाधीश यूयू ललित के पास एक बड़ी पीठ के गठन के लिए भेजा गया है।

सुनवाई के दौरान पहले जो तर्क दिए गए थे, उनमें यह भी था कि मुस्लिम लड़कियां हेडस्कार्फ पहनने पर प्रतिबंध के बीच कक्षाओं में भाग लेना बंद कर सकती हैं। कर्नाटक में भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार है।