Move to Jagran APP

Private Armies: रूस के अलावा कई देशों में है भाड़े की सेना, ब्रिटेन की प्राइवेट आर्मी से डरती है सरकार

Private Armies रूस की प्राइवेट आर्मी की ओर से बगावत करने के बाद वैगनर आर्मी ग्रुप काफी चर्चा में आ गया है। रूस की वैगनर ग्रुप की तरह ही कई देशों के पास अपनी प्राइवेट आर्मी है। इन ग्रुप के सेना का इस्तेमाल कई अहम मिशन को अंजाम देने से लेकर सुचारू रूप से चुनाव कराने तक के लिए किया जाता है।

By Shalini KumariEdited By: Shalini KumariUpdated: Mon, 26 Jun 2023 03:06 PM (IST)
Hero Image
विश्व के कई देशों के पास है प्राइवेट आर्मी
नई दिल्ली, शालिनी कुमारी। Private Armies: रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच रूस की प्राइवेट आर्मी 'वैगनर' ने राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के खिलाफ बगावत शुरू कर दी थी। हालांकि, पुतिन की सख्ती के बाद उन्होंने अपना विरोध वापस ले लिया, लेकिन इसके बाद भी वैगनर ग्रुप के चीफ येवगेनी प्रिगोझिन के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया गया है।

दरअसल, येवगेनी प्रिगोझिन ने दावा किया था कि उसने रूस के सेना मुख्यालय पर कब्जा कर लिया है। जिसके बाद पुतिन ने इमरजेंसी बैठक बुलाई थी। इस बैठक के कुछ देर बाद ही येवगेनी के खिलाफ वारंट जारी कर दिया गया था।

रूस की वैगनर आर्मी की तरह की कई देशों के पास अपनी प्राइवेट आर्मी है। ये देश जंग लड़ने के लिए भाड़े पर अपनी सेना तैयार करती है। इस खबर में हम आपको उन देशों के बारे में बताएंगे, जिनके पास अपनी प्राइवेट आर्मी है और उन्होंने कब इन प्राइवेट आर्मी का इस्तेमाल किया था।

ऑस्ट्रेलिया का यूनिटी रिसोर्स ग्रुप

ऑस्ट्रेलिया के पास यूनिटी रिसोर्स ग्रुप नाम की प्राइवेट आर्मी है, जिसमें दुनियाभर के 1200 से अधिक जवान शामिल हैं। इसकी पूरी जिम्मेदारी अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और ग्रेट ब्रिटेन की रिटायर्ड अफसरों को दी जाती है। यह ग्रुप ऑस्ट्रेलिया के साथ अफ्रीका, अमेरिका, यूरोप और सेंट्रल एशिया में भी काम करती है।

बगदाद की ऑस्ट्रेलियाई एम्बेसी की सुरक्षा की जिम्मेदारी यूनिटी रिसोर्स ग्रुप के पास है। लेबनान में शांतिपूर्ण और सुचारू रूप से चुनाव कराने के लिए इसी आर्मी को तैनात किया गया था। इसके साथ ही, बहरीन में इसी आर्मी को तैनात करके प्राइवेट ऑयल कंपनी की मदद की गई थी।

अफगानिस्तान और बहरीन में फैली ब्रिटेन की प्राइवेट आर्मी

एजिस डिफेंस सर्विसेज एक ब्रिटिश निजी सैन्य और निजी सुरक्षा कंपनी है, जिसके विदेशी कार्यालय अफगानिस्तान, संयुक्त अरब अमीरात, इराक, सऊदी अरब, लीबिया, सोमालिया और मोजाम्बिक में हैं । इस आर्मी की शुरुआत साल 2002 में की गई थी।

इसका मुख्यालय लंदन,यूनाइटेड किंगडम में स्थित है। फिलहाल, इस आर्मी में लगभग 5000 जवान शामिल हैं, जो पूरे अफगानिस्तान और बहरीन में फैले हुए हैं। ब्रिटेन में इस तरह की कई प्राइवेट आर्मी है।

ब्रिटेन की प्राइवेट आर्मी में शामिल 16 हजार जवान

ब्रिटेन की एक अन्य प्राइवेट आर्मी एरिनी इंटरनेशनल है, जिसका हेडक्वार्टर दुबई में स्थित है। इस आर्मी में 16 हजार जवान शामिल हैं। दुनियाभर के 282 जगहों पर इस आर्मी को तैनात किया गया है, लेकिन इनकी सबसे बड़ी टुकड़ी अफ्रीका में तैनात है। इस आर्मी को रिपब्लिक ऑफ कॉन्गो में आयरन, ऑयल और गैस प्रोजेक्ट्स को सुरक्षा देने के लिए इस्तेमाल किया जाता है।

डायनकॉर्प ने कई देशों के मिशन को दिया अंजाम

अमेरिका के वर्जीनिया की प्राइवेट आर्मी डायनकॉर्प को 1946 में बनाया गया था। इसका हेड क्वार्टर वर्जीनिया में  स्थित है। यह 10 हजार जवानों वाली आर्मी है, जो अफ्रीका, पूर्वी यूरोप और लैटिन अमेरिका में सक्रिय है। इस प्राइवेट आर्मी ने पेरू के एंटी ड्रग मिशन समेत सोमालिया और सूडान में भी कई बड़े मिशन को अंजाम दिया है।

यह आर्मी चर्चा में तब आई थी, जब इसने कोलंबिया के बागियों के साथ जंग लड़ी। अमेरिका के पास चार अन्य प्राइवेट आर्मी ग्रुप है, जिनमें 83 हजार लड़ाके हैं।

अमेरिकी प्राइवेट आर्मी के जरिए होती है इनकी भर्ती

अफगानिस्तान के पास भी अपनी प्राइवेट आर्मी है, जिसका नाम एशिया सिक्योरिटी ग्रुप है। इसका हेड क्वार्टर काबुल में बनाया गया है। इस आर्मी में 600 जवानों को शामिल किया गया है। अमेरिका ने कई बार अपने मिशन को सफल बनाने के लिए इस आर्मी को अपने साथ शामिल किया है।

एशिया सिक्योरिटी ग्रुप के साथ अमेरिकी सेना ने लाखों डॉलर का कॉन्ट्रैक्ट किया है। इस ग्रुप में भाड़े के सैनिकों की भर्ती अमेरिका के प्राइवेट आर्मी डायनकॉर्प द्वारा की जाती है।