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ऑस्ट्रेलिया में बैन होगा स्वास्तिक जैसा नाजी चिह्न, हिटलर से इसका ताल्लुक; हिंदुओं के प्रतीक से कितना है अलग

Hakenkreuz and Swastik Difference ऑस्ट्रेलिया की सरकार जल्द ही अपने देश में स्वास्तिक जैसे दिखने वाले चिह्न जिसे हकेनक्रेज कहा जाता है उसपर बैन लगाने वाली है। आखिर स्वास्तिक और इस प्रतीक में क्या अंतर है आइए जानें।

By Mahen KhannaEdited By: Mahen KhannaUpdated: Thu, 08 Jun 2023 05:08 PM (IST)
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Hakenkreuz and Swastik Difference स्वास्तिक और नाजी प्रतीक में अंतर।
नई दिल्ली, ऑनलाइन डेस्क। Hakenkreuz and Swastik Difference ऑस्ट्रेलिया की सरकार जल्द ही अपने देश में हिंसा की गतिविधियों को रोकने के लिए बड़ा कदम उठाने वाली है। सरकार जल्द ही दक्षिणपंथी सोच रखने वाले लोगों पर लगाम लगाने के लिए कानून लाने वाली है। कानून के तहत देश में स्वास्तिक जैसे नाजी चिह्न के साथ कई प्रतीकों को दिखाने को अपराध की श्रेणी में रखा जाएगा और ऐसा करने वालों को सजा मिलेगी। 

हालांकि, नाजी प्रतीकों के साथ स्वास्तिक जैसे चिह्न जिसे 'हकेनक्रेज' कहा जाता है, उसपर कई राज्यों ने पहले से ही बैन लगा रखा है। लेकिन स्वास्तिक के इस्तेमाल पर हिंदू, जैन और बोद्ध धर्म के लोगों को छूट दी गई है।

दरअसल, स्वास्तिक जैसे दिखने वाले 'हकेनक्रेज' को कहीं न कहीं हिटलर से भी जोड़कर देखा जाता है। इसी के चलते अमेरिका के मैरीलैंड राज्य ने स्वास्तिक पर भी बैन लगा दिया था, जिसका हिंदुओं ने काफी विरोध किया।

आइए, जानते हैं कि आखिर इन देशों में 'हकेनक्रेज' पर बैन क्यों लगाया जा रहा है और यह हिंदुओं के प्रतीक से कैसे अलग है।

क्यों बैन किया जा रहा है 'हकेनक्रेज' 

  • दरअसल, स्वास्तिक जैसे दिखने वाले 'हकेनक्रेज' को नाजी प्रतीक कहा जाता है।
  • ऐसा इसलिए, क्योंकि जर्मन शासक हिटलर ने यहूदियों के कतलेआम करने वाली नाजी सेना के झंडे पर स्वास्तिक का चिह्न दिया था।
  • उस दौरान हिटलर के शासन में इतनी हिंसा हुई थी कि इसे हिंसा का प्रतीक भी कहा जाने लगा।

हिटलर ने नाजी सेना के झंडे पर लगाया 'हकेनक्रेज' 

हिटलर अपने शासनकाल के दौरान नाजी सेना को आक्रमक दिखाने के लिए अलग-अलग हथकंडे अपना रहा था। इसके चलते उसने सेना का अलग झंडा लाने का विचार किया। इस झंडे के बीच में एक सफेद गोले में 45 डिग्री झुका हुआ स्वास्तिक जैसा चिह्न था, जिसे 'हकेनक्रेज' कहा जाता है।

विवाद और बैन का कारण 

  • दरअसल, हिटलर के इशारे पर नाजी सेना ने अपने नए झंडे को हाथ में लेकर कई यहूदियों का कत्लेआम किया था। इसके बाद से इस 'हकेनक्रेज' चिह्न को यहूदी विरोधी और नस्लविरोधी कहा जाने लगा।
  • कई जगह 'हकेनक्रेज' को हिंसा का प्रतीक भी कहा जाता है। यही कारण था कि कई देशों की सरकारों ने इस पर बैन लगाने का काम किया। 

हिंदुओं के स्वास्तिक से कैसे अलग है 'हकेनक्रेज'

हिंदुओं का स्वास्तिक नाजी प्रतीक से बनावट और मतलब दोनों में अलग है। हिंदुओं के स्वास्तिक में चारों कोणों में चार बिंदू लगाए जाते हैं और यह इसे बनाने में पीला और लाल रंग का इस्तेमाल होता है। जबकि नाजी प्रतीक 'हकेनक्रेज' में बिंदू (डॉट) नहीं होते हैं और यह सफेद गोले में काले रंग से बना होता है।

यह है मान्यता

नाजी लोग 'हकेनक्रेज' को संघर्ष का प्रतीक मानते थे, वहीं हिंदू धर्म के लोग स्वास्तिक को शुभ और तरक्की का चिह्न मानते हैं। जैन धर्म के लोग स्वास्तिक को सातवें तीर्थंकर का प्रतीक मानते हैं तो बौद्ध धर्म के लोग इसे बुद्ध के पदचिह्न के निशान का प्रतीक मानते हैं।