NTA: ऐसे काम करती है विवादों में घिरी नेशनल टेस्टिंग एजेंसी, जानें कैसे हुई थी इसकी स्थापना?
NTA Controversy एजेंसी अपने पास पहले से मौजूद केंद्रों की आधार सूची में से परीक्षा केंद्रों की पहचान करती है। इस सूची में सरकारी स्कूल शामिल हैं जो सीबीएसई और एनटीए जैसे संस्थाओं की ओर से परीक्षा आयोजित करते रहे हैं। यदि आधार सूची में पर्याप्त स्कूल नहीं हैं तो एनटीए एआइसीटीई मान्यता प्राप्त संस्थानों और कॉलेजों को भी सूचीबद्ध कर सकता है।
जेएनएन, नई दिल्ली। नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में कथित अनियमितताओं को लेकर विवादों में घिरी है। एजेंसी के महानिदेशक को पिछले हफ्ते हटा दिया गया। एजेंसी के परीक्षा प्रक्रिया के तंत्र में सुधार की जरूरत को दखते हुए एक उच्च स्तरीय पैनल इसके कामकाज की समीक्षा कर रहा है। पैनल दो महीने के भीतर अपनी रिपोर्ट सौंपेगा। आईए जानते हैं कि यह एजेंसी कैसे काम करती है..
एनटीए का गठन अमेरिका की इटीएस (एडुकेशनल टेस्टिंग सर्विस) के तर्ज पर किया गया था। इसकी स्थापना का विचार सबसे पहले 1992 में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1986 से संबंधित कार्य योजना में सामने आया था। इसमें राष्ट्रीय स्तर की परीक्षा एजेंसी के गठन की सिफारिश की गई थी। 2010 में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों (आईआईटी) के निदेशकों वाली एक समिति ने स्वायत्तता और पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए कानून के माध्यम से एजेंसी की स्थापना की सिफारिश की। 2017 में एनटीए की स्थापना की घोषणा हुई, जिसके बाद कैबिनेट ने इसे मंजूरी दे दी।
ये परीक्षाएं आयोजित करती है एनटीए
एनटीए तीन शीर्ष स्नातक प्रवेश परीक्षाएं आयोजित करती है इसमें इंजीनियरिंग के लिए जेईई-मेन, चिकित्सा के लिए नीट-यूजी और कई अन्य स्नातक पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए सीयूईटी-यूजी परीक्षाएं शामिल हैं। स्नातकोत्तर प्रवेश के लिए एजेंसी सीयूईटी-पीजी, यूजीसी-नेट और सीएसआईआर यूजीसी-नेट आयोजित करती है।
इसके अलावा एनटीए द्वारा आयोजित परीक्षाओं में कॉमन मैनेजमेंट एडमिशन टेस्ट (सीएमएटी), होटल प्रबंधन संयुक्त प्रवेश परीक्षा, ग्रेजुएट फार्मेसी एप्टीट्यूड टेस्ट और दिल्ली विश्वविद्यालय, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, भारतीय विदेश व्यापार संस्थान (आईआईएफटी) और भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के लिए प्रवेश परीक्षाएं भी शामिल हैं।
ग्रेस मार्क्स पर शुरू हुआ विवाद
एनटीए को उस समय आलोचना का सामना करना पड़ा जब इस साल सात केंद्रों पर परीक्षा शुरू होने में देरी के कारण हुए समय के नुकसान की भरपाई के लिए नीट में 1,563 उम्मीदवारों को ग्रेस मार्क्स दे दिए गए। इसे लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिकाएं दायर की गईं जिसमें आरोप लगाया कि अंकों में वृद्धि की वजह से रिकॉर्ड 67 उम्मीदवार शीर्ष रैंक पर रहे। बाद में ग्रेस मार्क्स वापस ले लिए गए और इन उम्मीदवारों के लिए दोबारा परीक्षा आयोजित की गई।
प्रश्न पत्र लीक होने की बात सामने आई
इसके बाद बिहार पुलिस की जांच में मेडिकल प्रवेश परीक्षा के प्रश्न पत्र लीक होने की बात सामने आई। इसे देखते हुए बतौर एहतियातन यूजीसी-नेट को आयोजित करने के एक दिन बाद रद कर दिया गया। शिक्षा मंत्रालय ने पुष्टि की कि परीक्षा का पेपर डार्कनेट पर लीक हो गया था। इसके बाद सीएसआइआर यूजीसी-नेट को भी स्थगित कर दिया गया।
ऐसे करती है एजेंसी परीक्षा केंद्रों का चयन
एजेंसी अपने पास पहले से मौजूद केंद्रों की आधार सूची में से परीक्षा केंद्रों की पहचान करती है। इस सूची में सरकारी स्कूल शामिल हैं जो सीबीएसई और एनटीए जैसे संस्थाओं की ओर से परीक्षा आयोजित करते रहे हैं। यदि आधार सूची में पर्याप्त स्कूल नहीं हैं, तो एनटीए एआइसीटीई मान्यता प्राप्त संस्थानों और कॉलेजों को भी सूचीबद्ध कर सकता है। भले ही किसी स्कूल या उच्च शिक्षा संस्थान ने पहले एनटीए के लिए सफलतापूर्वक परीक्षाएं आयोजित की हों, लेकिन एजेंसी को हर साल उनकी सहमति लेनी होती है। यह प्रक्रिया एनटीए के डैशबोर्ड पर होती है, जहां सभी परीक्षा केंद्रों की आधार सूची अपलोड की जाती है
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