क्या शेख हसीना का सत्ता छोड़ना भारत के लिए है खतरे की घंटी? नाजुक मोड़ पर दिल्ली और ढाका के रिश्ते
India Bangladesh Relations बांग्लादेश में छात्रों के देशव्यापी प्रदर्शन के बाद आखिरकार दशकों से देश की सत्ता पर काबिज शेख हसीना का शासन समाप्त हो गया है और मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व में अंतरिम सरकार का गठन हो गया है। हालांकि ताजा घटनाक्रमों ने भारत की चिंता बढ़ा दी है क्योंकि शेख हसीना के सत्ता छोड़ने से भारत के सामने चुनौतियां बढ़ गई हैं। पढ़िए रिपोर्ट।
एएफपी, नई दिल्ली। बांग्लादेश में छात्रों के देशव्यापी विरोध प्रदर्शन के बाद शेख हसीना को प्रधानमंत्री पद और देश छोड़कर जाना पड़ा। उनकी दशकों की सत्ता समाप्त होने के बाद जहां इस सप्ताह ढाका में जश्न मनाया गया तो वहीं भारत में इसे लेकर चिंता बढ़ गई।
गौरतलब है कि शेख हसीना के शासनकाल में भारत और बांग्लादेश के संबंध दोस्ताना रहे हैं। प्रतिद्वंद्वी चीन का मुकाबला करने और इस्लामी विकल्पों को खत्म करने के लिए भारत ने शेख हसीना का समर्थन किया। एएफपी की रिपोर्ट के अनुसार बांग्लादेश के हालिया घटनाक्रम ने क्षेत्रीय शक्ति भारत के लिए एक कूटनीतिक दुविधा पैदा कर दी है।
पीएम मोदी ने दी अंतरिम सरकार के प्रमुख को बधाई
हालांकि, भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बांग्लादेश के अंतरिम नेता मुहम्मद यूनुस के गुरुवार को सत्ता संभालने के बाद शुभकामनाएं देने वाले पहले राष्ट्राध्यक्षों में से थे। उन्होंने कहा कि नई दिल्ली ढाका के साथ काम करने के लिए प्रतिबद्ध है। चीन ने भी ढाका के नए अधिकारियों का तेजी से स्वागत करते हुए कहा कि वह संबंधों के विकास को महत्व देता है।बांग्लादेश की सत्ता में हसीना के प्रतिद्वंद्वियों के नियंत्रण के बाद पुरानी सरकार के लिए भारत का समर्थन फिर से खत्म हो गया है। इंटरनेशनल क्राइसिस ग्रुप के विश्लेषक थॉमस कीन ने समाचार एजेंसी एएपपी से कहा, 'बांग्लादेशियों के दृष्टिकोण से, भारत पिछले कुछ वर्षों से गलत रास्ते पर है। भारत सरकार बिल्कुल भी ढाका में बदलाव नहीं देखना चाहती थी और उसने वर्षों से यह स्पष्ट कर दिया था कि उन्हें हसीना और अवामी लीग के अलावा कोई विकल्प नहीं दिखता है।'
शेख हसीना ने बनाकर रखा नाजुक संतुलन
बांग्लादेश लगभग पूरी तरह से भारत से घिरा हुआ है, जिसका इतिहास 1947 में भारत से अलग होने से बहुत पहले से एक दूसरे से गहराई से जुड़ा हुआ है। हालांकि, भारत की 1.4 अरब की आबादी और प्रभुत्व वाली अर्थव्यवस्था 170 मिलियन की आबादी वाले बांग्लादेश पर भारी पड़ती है। इसके बावजूद हसीना ने चीन से भी करीबी संबंध बनाए रखा।भारत और चीन, दुनिया के दो सबसे अधिक आबादी वाले देश, नेपाल, श्रीलंका और मालदीव सहित पूरे दक्षिण एशिया में रणनीतिक प्रभाव के लिए प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं। हसीना ने बीजिंग के साथ मजबूत संबंध बनाए रखते हुए, नई दिल्ली के समर्थन से लाभ उठाते हुए एक नाजुक संतुलन कार्य किया। भारत ने उन समूहों को आम खतरे के रूप में देखा, जिन्हें हसीना ने प्रतिद्वंद्वी के रूप में देखा और क्रूर बल से कुचल दिया, जिसमें प्रमुख बांग्लादेश नेशनल पार्टी (बीएनपी) भी शामिल थी।