Move to Jagran APP

Assam: हर साल मानव-पशु संघर्ष में जाती है 80 हाथियों और 70 इंसानों की जान

असम में कई बार फसलों को बर्बाद होने से बचाने के लिए इंसानों और जानवरों में झड़प की खबरें सामने आती रहती हैं। वहीं एक रिकॉर्ड के अनुसार इन संघर्षों से हर साल औसतन 70 से अधिक लोग और 80 हाथी मारे जाते हैं। (फाइल फोटो)

By Jagran NewsEdited By: Preeti GuptaUpdated: Sun, 19 Mar 2023 12:32 PM (IST)
Hero Image
असम में हर साल मानव- पशु संघर्ष में जाती है 80 हाथियों और 70 इंसानों की जान
दिसपुर, आईएएनएस। असम में कई बार फसलों को बर्बाद होने से बचाने के लिए इंसानों और जानवरों में झड़प की खबरें सामने आती रहती हैं।

इन झड़पों में कई बार लोग और हाथी दोनों ही अपनी जान गंवा देते हैं। वहीं एक रिकॉर्ड के अनुसार, इन संघर्षों ने पिछले 12 वर्षों में 200 लोग और 100 से अधिक हाथियों की जान जाने का दावा किया है।

हर साल मारे जाते हैं 70 से अधिक लोग और 80 हाथी

असम ने हाल के दिनों में मानव-हाथी संघर्षों की बढ़ती संख्या देखी है। असम के वन मंत्री चंद्र मोहन पटोवरी ने हाल ही में कहा था कि राज्य में मानव-हाथी संघर्ष में हर साल औसतन 70 से अधिक लोग और 80 हाथी मारे जाते हैं।

वन मंत्री के अनुसार, जब अधिक लोग हाथियों के प्राकृतिक आवासों पर कब्जा कर लेते हैं, तो जानवर भोजन की तलाश में अपने घरों को छोड़ने के लिए मजबूर हो जाते हैं, जिसके परिणामस्वरूप लोगों के साथ टकराव होता है।

2001-2022 के बीच हजारों हाथियों की गई जान

असम में 5,700 से अधिक हाथी हैं। रिकॉर्ड के मुताबिक साल 2001 और 2022 के बीच राज्य में 1,330 हाथियों की मौत हुई है। तो वहीं साल 2016 में 97 और 2014 में 92 हाथियों की मौत हुई।

फसलों की भरपाई के लिए मिले करोड़ो रुपये

राज्य सरकार ने हाथियों से हुए फसलों के नुकसान की भरपाई के लिए करीब आठ से नौ करोड़ रुपये का मुआवजा दिया है।

हालांकि हमें हमेशा ध्यान रखना चाहिए कि हाथी हमारी जगह नहीं ले रहे हैं, बल्कि हम उनकी जगह पर दबाव बना रहे हैं। इसलिए वे मुख्य रूप से भोजन की तलाश में जंगल से बाहर आ रहे हैं।

मानव सहनशीलता न होना है संघर्ष का कारण

असम में हाथियों और इंसानों के बीच संघर्षों की बढ़ती संख्या के पीछे अहम वजह मानव सहनशीलता के स्तर में बदलाव होना है।

ऐसा कई बार सामने आता है कि लोगों द्वारा हाथियों को डराया जाता है जिससे कई बार दुर्भाग्यपूर्ण घटनाएं हो जाती हैं।

एक अन्य पर्यावरणविद् ने टिप्पणी की कि जब भी कोई घटना होती है तो लोग और प्रशासन सभी उपाय करने की बात करते हैं, लेकिन 5-6 दिनों के भीतर जो कुछ हुआ था उसे सब भूल जाते हैं।

यह भी पढ़ें- PFI Crackdown: NIA ने दाखिल किया पाचवां आरोप पत्र, PFI के 19 और लोगों को बनाया आरोपी

धान का खेत बर्बाद होने से मारा गया था बछड़ा

पिछले साल नवंबर में असम के उदलगुरी जिले में मानव और हाथियों के बीच संघर्ष की कई खबरें सामने आईं थीं। वहीं, धान के खेत को बर्बाद करने के चलते खेत के मालिक ने हाथी के बछड़े को मार दिया था।

यह भी पढ़ें-Corona Update: कोरोना ने फिर पकड़ी रफ्तार, 526 नए मामले आए सामने; एक्टिव केस की संख्या पहुंची 5,915