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MBBS करने के 16 साल बाद भी चपरासी के बराबर मिलती थी हैदराबाद के डॉक्टर को सैलरी, वायरल हुई पोस्ट

हैदराबाद के डॉक्टर ने एक सोशल मीडिया पोस्टर में खुलासा करते हुए बताया कि उन्होंने साल 2004 में अपने डॉक्टर ऑफ मेडिसिन न्यूरोलॉजी को पूरा करने के 4 सालों तक हर महीने मात्र 9000 रुपये की सैलरी पर काम किया था।

By Mohd FaisalEdited By: Mohd FaisalUpdated: Sat, 08 Apr 2023 02:09 PM (IST)
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MBBS करने के 16 साल बाद भी चपरासी के बराबर मिलती थी हैदराबाद के डॉक्टर को सैलरी (फोटो ट्विटर)
नई दिल्ली, एजेंसी। हैदराबाद के डॉक्टर ने एक सोशल मीडिया पोस्टर में खुलासा करते हुए बताया कि उन्होंने साल 2004 में अपने डॉक्टर ऑफ मेडिसिन न्यूरोलॉजी को पूरा करने के 4 सालों तक हर महीने मात्र 9000 रुपये की सैलरी पर काम किया था।

डॉक्टर ने सोशल मीडिया पर किया खुलासा

डॉक्टर ने यह खुलासा सोशल मीडिया पर एक ट्विटर यूजर के सवाल का जवाब देते हुए किया है। डॉक्टर सुधीर ने ट्विटर पर लिखा 'एक युवा व्यवसायी के लिए समाज सेवा करना इतना आसान नहीं है।' उन्होंने आगे अपनी पोस्ट में कहा मैंने अपने प्रोफेसरों से सीखा और महसूस किया कि एक डॉक्टर का जीवन थोड़ा सरल होना चाहिए और उन्हें कम से कम वेतन में सीखते रहना चाहिए।

4 साल बाद मेरा वेतन 9000 रुपये प्रति माह था- सुधीर कुमार

डॉक्टर सुधीर कुमार ने ट्विटर पर लिखा मैं 20 साल पहले भी एक युवा चिकित्सक था। डीएम न्यूरोलॉजी (2004) के 4 साल बाद मेरा वेतन 9000 रुपये प्रति माह था और यह एमबीबीएस में शामिल होने के 16 साल बाद तक था। सीएमसी वेल्लोर में अपने प्रोफेसरों को देखकर मैंने महसूस किया कि डॉक्टर का जीवन कम खर्च करने वाला होना चाहिए और कम से कम के साथ जीना सीखा।

एमबीबीएस पूरा करने के शुरू की कमाई

डॉक्टर ने बताया कि 1994 में एमबीबीएस पूरा करने के बाद कमाई शुरू की। उस दौरान वेतन 1500 रुपये प्रति माह था, लेकिन सीएमसी वेल्लोर में अच्छी तरह से रहने के लिए 1500 रुपये पर्याप्त थे। हमने अपने प्रोफेसरों से सीखा कि डॉक्टरों के रूप में काम और रोगी देखभाल से पुरस्कार की तलाश की जाती है, न कि हमारे वेतन से।

मां को कम वेतन के बारे में जानकर कैसा लगा

एक यूजर्स की टिप्पणी का जवाब देते हुए डॉक्टर ने खुलासा किया कि वह उस वेतन से खुश थे, लेकिन उनकी मां को यह देखकर दुख हुआ कि मुझे सरकारी कार्यालय (जहां मेरे पिता काम करते थे) में एक चपरासी के बराबर वेतन मिलता है। उन्होंने मुझे 12 साल तक स्कूली शिक्षा में कड़ी मेहनत करते देखा था। उसके बाद एमबीबीएस, एमडी और डीएम में 12 साल तक मेहनत करते देखा था। आप एक मां के प्यार और दर्द को समझ सकते हैं।