इस प्रकार सर्दियों में बढ़ जाता है हाइपोथर्मिया का खतरा, जाने इसके लक्षण और उपाय
Hypothermia Prevention सर्दी के मौसम की अनेक खूबियां हैं तो वहीं सेहत के संदर्भ में लापरवाही बरतने पर यह मौसम कई रोगों को बुलावा भी देता है।
By Sanjay PokhriyalEdited By: Updated: Wed, 25 Dec 2019 12:26 PM (IST)
नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। Hypothermia Prevention: जाड़े के मौसम में होने वाले तीन अन्य रोगों हाइपोथर्मिया, हरपीज सिंप्लेक्स तथा सीजन एफेक्ट डिस्ऑर्डर (एस.ए.डी.) के बारे में। हमारे शरीर का सामान्य तापमान 37 डिग्री सेल्सियस होता है। जब ठंड के कारण शरीर अपनी गर्मी ज्यादा तेजी से खोने लगता है तो शरीर का तापमान नीचे गिरने लगता है। यदि यह 35 डिग्री या इससे कम हो जाता है तो इस स्थिति को हाइपोथर्मिया कहते हैं।
हाइपोथर्मिया के कारण सांस लेने में दिक्कत होती है और दिल की गति कम हो जाती है। यह एक इमरजेंसी अवस्था है और इलाज न मिलने की स्थिति में यह जानलेवा हो सकती है। इसका खतरा शारीरिक रूप से कमजोर लोगों, मानसिक रोगियों, बेघर लोगों, बुजुर्गों तथा बच्चों में ज्यादा होता है।
लक्षण को जानें
- शरीर ठंडा पड़ना व कंपन होना।
- बेसुध होना या अत्यधिक संशयग्रस्त होना।
- हृदय गति कम होना व सांस लेने में तकलीफ।
- धीरे-धीरे सारे अंग काम करना बंद कर देते हैं।
- छोटे बच्चों और बुजुर्ग लोगों को ज्यादा देर तक घर के बाहर न रहने दें। अगर तेज हवाएं चल रही हों या बरसात हो तो तुरंत घर पर या किसी ढकी जगह पर आसरा लें।
- गीले कपड़ों में न रहें। इससे शरीर गर्म नहीं हो पाता। तुरंत सूखे कपड़े पहनें।
- एक मोटे जैकेट के बजाए कई पतले कपड़ों की लेर्यंरग करें। ऐसा करने से हवा कपड़ों के बीच रहकर ऊष्मारोधी काम करती है और शरीर की गर्मी को बाहर नहीं जाने देती तथा हमें ज्यादा गर्म रखती है।
- असहाय, बेघर, बुजुर्गों तथा शारीरिक रूप से कमजोर लोगों का खास ख्याल रखें। उन्हें कंबल आदि से ढककर रखें।
- गर्म पेय पदार्थ जैसे-सूप, चाय, गर्म पानी ज्यादा लें। शीतल पेय पदार्थ जैसे आइसक्रीम, कोल्ड ड्रिंक न लें। इससे शरीर की गर्मी नष्ट होती है।
- शराब का सेवन न करें, क्योंकि इससे व्यक्ति को ठंड का अहसास खत्म हो जाता है और वह अपने आपको ठीक से गर्म व सुरक्षित नहीं रख पाता और हाइपोथर्मिया का शिकार हो जाता है।
- शरीर के रोग प्रतिरोधक तंत्र (इम्यून सिस्टम) को मजबूत करने के लिए गुड़, शहद, अदरक, हल्दी, तुलसी, केसर आदि का नियमित उपयोग करें। विटामिन-सी संपन्न भोजन जैसे-संतरा, नींबू भी बहुत लाभकारी है।
इलाज के बारे में
पीड़ित व्यक्ति को गर्म स्थान पर ले जाएं। अगर कपड़े गीले हैं तो उसे सूखे कपड़े पहनाएं। कंबल आदि में लपेटें तथा अगर बेहोश न हो तो गर्म पेय दें। बेहोश व्यक्ति के मुंह में कुछ न डालें। हीटर के सामने रहकर गर्मी न लें, क्योंकि इससे शरीर के जलने का खतरा रहता है। बेहोश व्यक्ति को तुरंत अस्पताल पहुंचाएं। एक बात याद रखें कि स्व-चिकित्सा(सेल्फ मेडिकेशन) न करें। डॉक्टर से परामर्श लेकर ही दवाएं लें।
जानें एसएडी के बारे मेंसीजन एफेक्टिव डिस्ऑर्डर (एसएडी) मौसम के अनुसार होने वाला मानसिक अवसाद (डिप्रेशन) है।कारणसर्दियों में वातावरण तथा हमारे आस- पास का परिवेश बदल जाता है। दिन छोटे हो जाते हैं और रातें लंबी। सूर्य की कम रोशनी के कारण शरीर में मेलाटोनिन नामक हॉर्मोन का ज्यादा होना और सेरोटोनिन हॉर्मोन की कमी हो जाती है और व्यक्ति उदास तथा उत्साह रहित हो जाते हैं। इसे एसएडी भी कहते हैं।
लक्षण
- उदास रहना व किसी काम में मन न लगना।
- नींद कम आना या जरूरत से ज्यादा आना।
- बाहर निकलने का मन न करना। भूख कम लगना।
- जीवन में उत्साह की कमी होना। और व्यर्थता का अहसास होना।
- बाहर की गतिविधियों में भाग लें। सर्दियों में भी व्यायाम करना जरूरी है। अपने आपको ठीक से गर्म कपड़ों से ढककर प्रतिदिन व्यायाम करें तथा धूप में बैठें। 30 से 60 मिनट रोज हल्के व्यायाम करें।
- घर में दरवाजे तथा खिड़कियों से दिन में प्राकृतिक रोशनी आने दें। घर के अंदर हल्के रंगों का इस्तेमाल करें।
- अकेले न रहें, दोस्तों तथा रिश्तेदारों से मिलें और बातचीत करें।
- खानपान सही रखें। सर्दियों में आम तौर पर लोग ज्यादा गरिष्ठ भोजन ज्यादा लेते हैं और और मीठा ज्यादा खाते हैं, पर ऐसा करना पेट के लिए सही नहीं है।