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अब दुश्मनों की खैर नहीं, राफेल के बाद 114 लड़ाकू विमान और खरीदने की तैयारी में वायुसेना

वायुसेना के लिए 114 लड़ाकू विमानों के लगभग 15 अरब डॉलर (लगभग एक लाख पांच हजार करोड़ रुपये) के सौदे को हासिल करने की दौड़ में बोइंग लॉकहीड मार्टिन यूरोफाइटर रसियन यूनाइडेट एयरक्राफ्ट कॉरपोरेशन और साब जैसी कंपनियां जुटी हैं।

By Sanjeev TiwariEdited By: Updated: Sun, 25 Aug 2019 11:06 PM (IST)
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अब दुश्मनों की खैर नहीं, राफेल के बाद 114 लड़ाकू विमान और खरीदने की तैयारी में वायुसेना
नई दिल्ली, आइएएनएस। अपनी ताकत में और इजाफा करने के अभियान में जुटी भारतीय वायुसेना नए लड़ाकू विमानों के लिए सभी संभावनाएं तलाश रही है। इसी कड़ी में 114 लड़ाकू विमानों की खरीद प्रक्रिया शुरू हुई है और वायुसेना को उम्मीद है कि नए लड़ाकू विमान उसे जल्द मिल जाएंगे। राफेल फाइटर जेट की तरह इस सौदे में देरी नहीं होगी, जिसमें लगभग दस साल से ज्यादा का वक्त लग गया है।

वायुसेना के लिए 114 लड़ाकू विमानों के लगभग 15 अरब डॉलर (लगभग एक लाख पांच हजार करोड़ रुपये) के सौदे को हासिल करने की दौड़ में बोइंग, लॉकहीड मार्टिन, यूरोफाइटर, रसियन यूनाइडेट एयरक्राफ्ट कॉरपोरेशन और साब जैसी कंपनियां जुटी हैं। यही कंपनियां पहले मीडियम मल्टी रोल कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (एमएमआरसीए) की बोली में शामिल हुई थीं।

सौदे को हासिल करने के लिए कंपनियों ने कई आकर्षक प्रस्ताव भी रखे हैं। अमेरिकी कंपनी बोइंग ने तो एफ-16 विमानों का निर्माण भारत में ही करने का प्रस्ताव किया है। भारत और फ्रांस के बीच 36 से ज्यादा राफेल विमानों की आपूर्ति को लेकर भी बातचीत चल रही है। इनके अलावा और भी कई विकल्प सामने आए हैं।

लड़ाकू विमानों की सप्लाई में देरी से भारतीय वायुसेना की युद्ध तैयारियों पर बहुत असर पड़ा है। वायुसेना की पुराने हो चुके मिग-21 लड़ाकू विमानों को धीरे-धीरे हटाने की योजना है, लेकिन विभिन्न कारणों से नए विमानों के मिलने में देरी की वजह से यह योजना परवान नहीं चढ़ पा रही है। फ्रांसीसी विमान कंपनी दासौ से लगभग 10 साल पहले राफेल लड़ाकू विमानों के लिए सौदा हुआ था, अब जाकर अगले महीने पहला विमान मिलने वाला है। सभी 36 विमान मिलने में अभी भी चार साल का वक्त लग जाएगा। रूस से भी नए सुखोई-30 एमकेआइ विमान खरीदे जा रहे हैं।

'तेजस' में वो बात नहीं
वायुसेना जल्द से जल्द हल्के लड़ाकू विमानों (एलसीए) के शक्तिशाली वर्जन को हासिल करना चाहती है, लेकिन उसे 2025 से पहले ऐसे विमान मिलने की उम्मीद नहीं है। स्वदेशी लड़ाकू विमान 'तेजस' में अत्याधुनिक लड़ाकू विमानों जैसी बात नहीं है। हाल यह है कि हिंदुस्तान एयरोनॉक्सि लिमिटेड ने चार दशक पहले तेजस का निर्माण किया था, लेकिन अभी तक वह वायुसेना में अपनी जगह नहीं बना पाया।

वायुसेना के पूर्व अधिकारी चाहते हैं कि ताकत को बढ़ाने के लिए विदेशी कंपनियों से लड़ाकू विमानों की खरीद के साथ ही देश में नए प्रोडक्शन लाइन खोलने के साथ-साथ निजी क्षेत्र को भी इसमें हिस्सेदारी बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित किया जाए। बता दें कि वायुसेना अध्यक्ष एयर चीफ मार्शल बीएस धनोआ ने दिल्ली में हाल ही में एक कार्यक्रम में कहा था कि लोग 40 साल पुरानी कार नहीं चलाते हम 44 साल पुराने विमान उड़ा रहे हैं।