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संसद में क्यों हुआ IAS पूजा खेडकर का जिक्र? एनसीपी सांसद ने की दिव्यांग कोटे में बदलाव की मांग

UPSC Disability Quota राज्यसभा में गुरुवार को एनसीपी सांसद ने यूपीएससी में दिव्यांग कोटे में सुधार का मुद्दा उठाया। सांसद ने कार्तिक कंसल का उदाहरण देते हुए कहा कि सिस्टम की कमियों के कारण योग्य उम्मीदवारों का चयन नहीं हो पाता जबकि फर्जी अभ्यर्थी पोस्टिंग हासिल कर लेते हैं। जानिए क्या है पूरा मामला और सांसद की क्या थी मांग।

By Agency Edited By: Sachin Pandey Updated: Thu, 25 Jul 2024 10:42 PM (IST)
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फौजिया खान ने दिव्यांग उम्मीदवारों की चुनौतियों का मुद्दा सदन में उठाया। (File Image)

पीटीआई, नई दिल्ली। राकांपा की राज्यसभा सदस्य फौजिया खान ने सिविल सेवा परीक्षाओं में दिव्यांग उम्मीदवारों के समक्ष आने वाली चुनौतियों का मुद्दा गुरुवार को सदन में उठाया। उन्होंने मस्कुलर डिस्ट्रॉफी से पीड़ित कार्तिक कंसल की कठिनाइयों का हवाला दिया, जिन्होंने चार बार संघ लोक सेवा आयोग की परीक्षा पास की, लेकिन आईएएस की रैंक नहीं दी गई।

फौजिया खान ने कहा, 'एक तरफ पूजा खेडकर फर्जी दस्तावेज के आधार पर पोस्टिंग हासिल करती है, दूसरी तरफ कार्तिक कंसल को चार बार यूपीएससी परीक्षा पास करने के बावजूद सेवा से वंचित कर दिया जाता है। इसका कारण उनकी मस्कुलर डिस्ट्रॉफी की शारीरिक दिव्यांगता है। उन्होंने कहा कि 2021 में कार्तिक भारतीय प्रशासनिक सेवा के लिए योग्य होते, लेकिन उस समय मस्कुलर डिस्ट्रॉफी को पात्रता शर्तों की सूची में मान्यता नहीं दी गई थी।

सिस्टम की कमियों से होता है भेदभाव: फौजिया

उन्होंने कहा, 'सिविल सेवा पास करना किसी अन्य उपलब्धि से अलग है। किसी व्यक्ति के लिए यह उपलब्धि कई बार हासिल करना और फिर भेदभावपूर्ण व्यवहार का सामना करना, सिस्टम की कमियों की याद दिलाता है।' गौरतलब है कि मस्कुलर डिस्ट्राफी में मांसपेशियां कमजोर हो जाती हैं।

प्रणाली में सुधार की रखी मांग

उन्होंने कहा कि विभिन्न सेवाओं के लिए दिव्यांगों की पात्रता के लिए अलग-अलग मानदंड हैं। मेडिकल बोर्ड के लिए समान दिशा-निर्देश लागू करने, विसंगतियों को दूर करने और निष्पक्ष मूल्यांकन करने से इसका समाधान हो सकेगा। ऐसी प्रणाली बनाई जा सकती है जो पूरी प्रक्रिया में निष्पक्षता और समावेशिता को बढ़ावा देती हो।