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Idi Amin:लोगों के सिर काट फ्रिज में रखता, डिनर टेबल पर सजाता; क्रूरता और सनक से भरी हैं इस तानाशाह की कहानियां

ईदी अमीन ने अपने तानाशाही कानून के तहत देशवासियों को कई यातनाएं दी जिससे वो मौत के शिकार बने।इस तानाशाह ने अधिकांश पीड़ितों को गोली मारी और कई प्रमुख लोगों के सिर काट दिए। ऐसा कहा जाता है कि कटे सिर को अमीन के आवास में एक फ्रीजर में रखा जाता था।अमीन समय-समय पर उन्हें फ्रीजर से निकालताअपनी खाने की मेज के चारों ओर रखता और उनके साथ बातचीत करता।

By Babli KumariEdited By: Babli KumariUpdated: Wed, 16 Aug 2023 04:37 PM (IST)
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ईदी अमीन डेथ एनिवर्सरी Idi Amin Death Anniversary (जागरण ग्राफिक्स)

नई दिल्ली, जागरण डेस्क। 'बोलने की आजादी है...लेकिन 'मैं' बोलने के बाद आजादी की गारंटी नहीं दे सकता।’ इस एक पंक्ति को पढ़ने के बाद आपके मस्तिष्क में यह ख्याल जरूर आया होगा कि इसको बोलने वाला कितना क्रूर इंसान होगा। जी हां, आपका यह ख्याल बिल्कुल सही है। इन पंक्तियों को बोलने वाला शख्स एक खूंखार, आदमखोर, अत्याचारी, निर्दयी, बेदर्द, सनकी जैसे तमाम विशेषण भी जिसके लिए कम पड़ जाएं वो तानाशाह था। आज तानाशाहों की कहानी श्रृंखला के तीसरे भाग में हम बात करेंगे सबसे बेरहम तानाशाह के बारे में, जिसका नाम ईदी अमीन (Idi Amin)है। इस तानाशाह ने ऐसे-ऐसे क्रूरतापूर्ण कार्यों को अंजाम दिया है कि उसे 'कसाई' का उपनाम दिया गया था।

ईदी अमीन युगांडा का एक सैन्य अधिकारी था, जिसे 1966 में सेना और वायु सेना का प्रमुख बनाया गया था। देश के राष्ट्रपति मिल्टन ओबोटे के साथ संघर्ष के बाद अमीन ने 25 जनवरी, 1971 को एक सैन्य तख्तापलट के बाद पर युगांडा पर कब्जा कर लिया। ईदी अमीन जनवरी 1971 से अप्रैल 1979 तक सत्ता में रहा। अपने 8 साल के शासन में इस तानाशाह ने लाशों के ढेर लगा दिए। ईदी अमीन को करीब से जानने वालों ने इस तानाशाह की कई ऐसी कहानियां बताई हैं, जिसे सुन इंसान की रूह कांप उठे। ईदी अमीन की मौत आज के ही दिन साल 2003 में सऊदी अरब के जेद्दा में हुई थी। आइए जानते हैं, इस कातिल तानाशाह के बारे में जिसके पागलपन और क्रूर हरकतों के कारण इसे मैड मैन ऑफ अफ्रीका (Mad Man of Africa) भी कहा जाता था।

कौन था ईदी अमीन?

ईदी अमीन का पूरा नाम 'ईदी अमीन दादा' था। हर तानाशाह की तरह अमीन का जीवन भी कई रहस्यों से भरा था, जिसमें इसके जन्म के बारे में मतभेद भी शामिल है। अधिकांश जानकारों का कहना है कि उसका जन्म 1925 के आसपास युगांडा के कोबोको या फिर कंपाला में हुआ था। कई शोधकर्ताओं ने पता लगाया कि ईदी अमीन एंड्रियास न्याबिरे नामक व्यक्ति (1889-1976) का पुत्र था। न्याबिरे काकवा जातीय समूह का सदस्य था, जिसने 1910 में रोमन कैथोलिक ईसाई धर्म त्यागकर इस्लाम धर्म अपना लिया था और अपना नाम अमीन दादा रख लिया था। अपने पहले बच्चे का नाम उसने अपने नाम के आधार पर रखा था।

ईदी अमीन के पिता ने जन्म के बाद बेटे अमीन और उसकी मां को त्याग दिया था, जिसके बाद अमीन की परवरिश उसकी मां के घर पर ही हुई। बताया जाता है कि अमीन की मां का नाम अस्सा आट्टे था (1904-1970), जो लुग्बारा जाति से संबंधित थी और एक हकीम थी जो लोगों का इलाज करती थी। अमीन ने साल 1941 में बोम्बो के एक इस्लामी स्कूल में दाखिला लिया। कुछ साल बाद, केवल चौथी कक्षा तक शिक्षा प्राप्त करने के बाद अमीन ने स्कूल छोड़ दिया और एक ब्रिटिश औपनिवेशिक सैन्य अधिकारी द्वारा सेना में भर्ती किए जाने से पहले उसने कई छोटे-मोटे काम किए।

ईदी अमीन ने कैसे की सत्ता में एंट्री?

ईदी अमीन साल 1946 में एक सहायक रसोईए के रूप में ब्रिटिश औपनिवेशिक सेना की किंग्स अफ्रीकन राइफल्स में शामिल हुआ। साल 1947 में उसे पैदल सेना में एक निजी सैनिक के रूप में केन्या भेजा गया था और उसने 1949 तक गिलगिल, केन्या में 21वीं केएआर (KAR) इन्फैन्ट्री बटालियन के लिए काम किया। उस वर्ष, सोमाली शिफ्टा विद्रोहियों से लड़ने के लिए उसकी टुकड़ी को सोमालिया में तैनात किया गया। 1952 में उसकी ब्रिगेड को केन्या में मऊ-मऊ विद्रोहियों के खिलाफ तैनात किया गया था। उसी साल उसे सेना में गैर-कमीशन अधिकारी के पद पर प्रमोट किया गया तथा इसके बाद 1953 में एक और ऊंचे पद पर ईदी अमीन को पदोन्नत किया गया।

ईदी अमीन दोनों ही सेनाओं (British-Uganda) में अपने कार्यकाल के दौरान एक सक्रिय एथलीट रहा था। अमीन 6 फीट 4 इंच लंबा था और काफी हृष्ट-पुष्ट शरीर की वजह से 1951 से 1960 तक युगांडा का बॉक्सिंग चैम्पियन होने के साथ-साथ वह तैराक भी रहा था। 1959 में अमीन को वारंट अधिकारी बनाया गया, जो कि उस समय औपनिवेशिक ब्रिटिश सेना में किसी अश्वेत अफ़्रीकी के लिए सबसे बड़ा ओहदा था। उसी वर्ष अमीन युगांडा लौटा और 1961 में उसे लेफ्टिनेंट के पद पर पदोन्नत किया गया जिससे वह युगांडा के कमीशन प्राप्त करने वाले पहले दो अधिकारियों में से एक बन गया। साल 1962 में ग्रेट ब्रिटेन से युगांडा को आजादी मिलने के बाद, अमीन को कैप्टन तथा फिर 1963 में मेजर के पद पर पदोन्नत किया गया। अगले वर्ष, उसे सेना के उप कमांडर पद पर नियुक्त किया गया।

ईदी अमीन कैसे बना युगांडा का राष्ट्रपति?

साल 1965 में, प्रधानमंत्री मिल्टन ओबोटे और अमीन को कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य से युगांडा में हाथी दांत और सोने की तस्करी के सौदे में फंसाया गया था। साल 1966 में युगांडा की संसद ने इस मामले में जांच की मांग की। आगे चलकर ओबोटे ने युगांडा के कबाका (राजा) एडवर्ड मुटेसा द्वितीय को राष्ट्रपति पद से हटाकर एक नया संविधान लागू किया और खुद को कार्यकारी राष्ट्रपति घोषित किया और अमीन को पदोन्नत कर कर्नल और सेना का कमांडर बना दिया। अमीन ने कबाका के महल पर हमले का नेतृत्व किया और मुटेसा को यूनाइटेड किंगडम में निर्वासन के लिए मजबूर किया।

अमीन ने सेना में धीरे-धीरे दक्षिण सूडान की सीमा से लगे कई जनजातियों को भर्ती करना शुरू कर दिया। आख़िरकार अमीन और ओबोटे के बीच दरार पैदा हो गई जिसके बाद 1970 में ओबोटे ने सशस्त्र बलों पर नियंत्रण कर लिया और अमीन को सभी पद से हटाकर युगांडा सेना के कमांडर का पद दे दिया। अमीन ने 25 जनवरी 1971 को एक सैन्य तख्तापलट में सत्ता पर कब्जा कर लिया। सत्ता पर काबिज होते ही अमीन का तानाशाही राज शुरू हो गया।

अमीन कैसे बना तानाशाह?

ईदी अमीन ने जैसे ही राष्ट्रपति के तौर पर सारा नियंत्रण अपने हाथ में ले लिया उसने ओबोटे की गुप्त पुलिस को ख़त्म करने, आर्थिक सुधार करने और देश को जल्द ही नागरिक शासन में वापस लाने का वादा किया लेकिन अमीन सत्ता पाते ही पावर के नशे में चूर हो गया। उसने अपने नागरिकों से वादा किया था उसके ठीक विपरीत उसने काम करना शुरू किया। अक्टूबर 1978 में अमीन ने तंजानिया पर हमले का आदेश दिया।

उसने देश के में रह रहे एशियाई लोगों को निष्कासित करके युगांडा की अर्थव्यवस्था को नष्ट कर दिया, सशस्त्र बलों और अपनी पुलिस और सुरक्षा विवरण के लिए घरेलू खर्च में कटौती की। अपने अधिकांश पड़ोसियों को दुश्मन बना लिया और आतंक का माहौल स्थापित किया। ईदी अमीन ने अपने आठ साल के कार्यकाल में अपने ही देश में ऐसा माहौल बनाया जिसमें 200,000 से अधिक युगांडावासी मौत के घाट उतार दिए गए।

ईदी अमीन ने अपने तानाशाही कानून के तहत देशवासियों को कई यातनाएं दी जिससे वो मौत के शिकार बने। इस तानाशाह ने अधिकांश पीड़ितों को गोली मार दी, लेकिन कई प्रमुख लोगों के सिर काट दिए गए और उनके सिर कथित तौर पर अमीन के आवास में एक फ्रीजर में रख दिए गए। अमीन समय-समय पर उन्हें फ्रीजर से निकालता, अपनी खाने की मेज के चारों ओर रखता और उनके साथ "बातचीत" करता। यह भी बताया जाता है कि वह इंसान के खून पीता और गोश्त खाता। 

कसाई तानाशाह ईदी अमीन के बारे में जानिए प्रमुख बातें-

  • 1972 में, ईदी अमीन ने युगांडा की एशियाई आबादी को निष्कासित कर दिया, जिनकी संख्या 50,000 से  70,000 के बीच थी। 
  • अपने पूरे दमनकारी शासन के दौरान ईदी अमीन को  लगभग 2 लाख से अधिक नागरिकों की मौत के लिए जिम्मेदार माना गया था।
  • सैन्य तानाशाह ईदी अमीन दादा ने आठ वर्षों तक युगांडा पर सख्ती से शासन किया।
  • भले ही ईदी अमीन, जिसे "युगांडा का कसाई" भी कहा जाता है- ने सामूहिक हत्याओं और असाधारण मानवाधिकारों के उल्लंघन को देखा लेकिन कई युगांडावासी आज भी उनकी विरासत को संजोते हैं।
  • ईदी अमीन की कई शादियों से भी मदद मिली, उसके  जीवनसाथी युगांडा के विभिन्न जातीय समूहों से थे। यह आरोप लगाया जाता है कि उनकी छह पत्नियों के अलावा, देशभर में उनकी कम से कम 30 प्रेमिकाएं थीं।
  • अमीन ने अपने शासनकाल के दौरान दहशत फैलाने के लिए देशवासियों की हत्या करना जारी रखा। युगांडा के हज़ारों लोग जातीय, राजनीतिक और वित्तीय आधार पर हिंसक तरीके से मारे जाते रहे।
  • ईदी अमीन के बारे में अफवाहें फैल गईं कि वह अपने रेफ्रिजरेटर में इंसानों के सिर रखता है।
  • कथित तौर पर उसने 4,000 विकलांग लोगों को नील नदी में फेंकने का आदेश दिया ताकि मगरमच्छ उन्हें अपना निवाला बना लें।
  • 16 अगस्त, 2003 को कई अंगों के काम न करने के बाद ईदी अमीन की मृत्यु हो गई। 
  • तीन साल बाद- ईदी अमीन को लेकर 2006 में एक फिल्म बनी जिसका नाम था, 'द लास्ट किंग ऑफ स्कॉटलैंड (ऐसा नाम इसलिए दिया गया क्योंकि अमीन ने स्कॉटलैंड का बेताज राजा होने का दावा किया था) में ऑस्कर विजेता अभिनेता फॉरेस्ट व्हिटेकर ने अमीन का किरदार निभाया। 

नोट-  अगला तानाशाह कौन होगा और क्या होगी उसकी कहानी जानने के लिए पढ़ते रहें दैनिक जागरण।

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