इजरायल-ईरान युद्ध हुआ तो इसका क्या होगा भारत पर असर? खाड़ी के हालात पर सरकार की पैनी नजर
इजरायल-ईरान के बीच बढ़ते तनाव के चलते मध्य-पूर्व में बड़ा युद्ध शुरू होने की आशंका बढ़ती जा रही है। युद्ध की स्थिति में इसका प्रतिकूल प्रभाव भारत पर भी पड़ना तय है। इस बीच केंद्र सरकार सभी संभावित परिस्थितियों को लेकर सतर्क है और खाड़ी में हो रही हलचलों पर लगातार पैनी नजर रखे हुए है। इसे लेकर उचित कदम भी सरकार की ओर से उठाए जा रहे हैं।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। ईरान में हमास के राजनीतिक विंग के प्रमुख इस्माइल हानिया की मौत पर भारत ने अभी तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है। हालांकि हानिया की मौत के बाद जिस तरह से ईरान और इजरायल के बीच तनाव बढ़े हैं, उस पर सरकार ना सिर्फ करीबी नजर रखे हुए है, बल्कि खाड़ी के क्षेत्र में हालात बिगड़ने की स्थिति से निपटने के विकल्पों पर भी गहन विमर्श चल रहा है।
पूरे प्रकरण पर विदेश मंत्रालय की तरफ से प्रधानमंत्री कार्यालय को भी लगातार सूचना दी जा रही है। जानकार बताते हैं कि खाड़ी क्षेत्र की स्थिति कई तरह से भारत के रणनीतिक हितों से जुड़े हुए हैं, इसलिए सरकार ज्यादा सतर्कता से आगे बढ़ रही है। ईरान और इजरायल दोनों ही भारत के रणनीतिक हितों के लिए महत्वपूर्ण है और इनके साथ भारत लगातार अपने संपर्कों को साधने में जुटा है। ऐसे में अगले कुछ दिनों के घटनाक्रम को देखते हुए ही भारत की तरफ से प्रतिक्रिया जताई जाएगी।
लेबनान में भारतीय नागरिकों को चेतावनी
उधर, लेबनान में रहने वाले अपने नागरिकों को भारत सरकार की तरफ से फिर से चेतावनी दी गई है कि वह लेबनान से बाहर निकलें। यह पिछले चार दिनों में जारी की गई तीसरी चेतावनी है। इस बार इसमें कहा गया है कि सभी भारतीयों को कड़ाई से सुझाव दिया जाता है कि कि वह लेबनान छोड़ दें। जो भारतीय किसी न किसी वजह से वहां रह गये हैं, वह कहीं बाहर नहीं निकलें, सतर्क रहें और बेरूत स्थित भारतीय दूतावास के संपर्क में रहें।
एयर इंडिया ने रद्द की इजरायल की उड़ानें
भारत ने इस तरह की पहली चेतावनी 29 जुलाई को जारी की थी। इसके बाद 01 अगस्त को एक और सलाह जारी की गई थी। इस बीच एयर इंडिया ने इजरायल की राजधानी तेल अवीव के लिए अपनी सारी उड़ानों को 08 अगस्त, 2024 तक के लिए रद्द कर दिया है। सभी यात्रियों को एक बार अपनी यात्रा को फिर से निर्धारित करने की छूट दी जाएगी।
इससे साफ पता चलता है कि इजरायल-लेबनान-ईरान को लेकर जारी तनाव के और बिगड़ने की संभावना है, लेकिन इन तीनों देशों में अभी बहुत ज्यादा भारतीय नहीं है। भारत की असली समस्या इन देशों के बीच युद्ध होने से समूचे खाड़ी क्षेत्र पर होने वाले असर को लेकर है।
कच्चे तेल की कीमतों पर असर
अंतरराष्ट्रीय बाजार में पिछले कुछ दिनों में कच्चे तेल की कीमतों में कमी देखने को मिली है, लेकिन अगर ईरान व इजरायल के बीच जंग होती है तो इसका सीधा असर कच्चे तेल पर पड़ेगा। आज की तारीख में भारत अपनी जरूरत का 85 फीसदी कच्चा तेल आयात करता है और कुल खपत का 60 फीसद खाड़ी के देश सऊदी अरब, कुवैत, ईराक आदि से लेता है। ऐसे में भारत की आपूर्ति पर भी असर पड़ने की आशंका जताई जा रही है।
खाड़ी देशों में रहने वाले भारतीयों की सुरक्षा की चिंता
वर्ष 2021 के आंकड़ों के मुताबिक खाड़ी के क्षेत्र में 89 लाख भारतीय थे, जिनकी संख्या अब 1.1 करोड़ से ज्यादा होने की संभावना है। पूर्व में भी देखा गया है कि जब खाड़ी क्षेत्र में तनाव होता है तो वहां के विभिन्न देशों में रहने वाले भारतीयों का पलायन शुरू हो जाता है। कुछ भारतीय संभावित खतरे को देखते हुए स्वदेश लौट जाते हैं, जबकि जिन कंपनियों पर असर होता है, उनमें कार्यरत भारतीयों को लौटना पड़ता है। खाड़ी देश में रहने वाले भारतीयों ने वर्ष 2023 में अपने घर तकरीबन 60 अरब डॉलर की विदेशी मुद्रा भेजी थी। यह भारतीय इकोनमी को मजबूत करता है।
बढ़ते कारोबार पर असर
खाड़ी क्षेत्र की स्थिति का सीधा असर इन देशों के साथ होने वाले द्विपक्षीय कारोबार पर भी होता है। पिछले वर्ष यूएई भारत का द्विपक्षीय कारोबार ही 86 अरब डॉलर का रहा था। जबकि सऊदी अरब के साथ 53 अरब डॉलर का कारोबार होता है। खाड़ी देशों के साथ भारत का द्विपक्षीय कारोबार वर्ष 2022-23 में 185 अरब डॉलर का रहा था।