वाहन चलाते समय झपकी आई तो कम हो जाएगी रफ्तार और बजने लगेगा अलार्म, जानें- कैसे काम करे उपकरण
यह उपकरण चेहरे और आंखों के भावों को पढ़कर न केवल खतरे के प्रति आगाह करेगा बल्कि वाहन की गति को भी कम करने में सहायक होगा। इस उपकरण का हाल ही में ऑस्ट्रेलिया में नवाचार श्रेणी में पेटेंट कराया गया है।
By Dhyanendra Singh ChauhanEdited By: Updated: Sat, 10 Apr 2021 06:07 PM (IST)
अजय जैन, विदिशा। देश में हर साल करीब साढ़े चार लाख वाहन दुर्घटनाएं होती हैं और इनमें लगभग डेढ़ लाख लोगों की मौत हो जाती है। इन दुर्घटनाओं में एक बड़ा कारण वाहन चालकों का शराब के नशे में होना या ड्राइवर को झपकी आ जाना होता है। इस तरह की दुर्घटनाओं को रोकने के लिए देश के 15 इंजीनियरों ने एक ऐसे उपकरण की डिजाइन तैयार की है। यह उपकरण चेहरे और आंखों के भावों को 'पढ़कर' न केवल खतरे के प्रति आगाह करेगा बल्कि वाहन की गति को भी कम करने में सहायक होगा। इस उपकरण का हाल ही में ऑस्ट्रेलिया में नवाचार श्रेणी में पेटेंट कराया गया है।
इन 15 इंजीनियरों में मध्य प्रदेश के विदिशा स्थित सम्राट अशोक अभियांत्रिकीय संस्थान (SATI) के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. आशीष खेरा भी शामिल हैं। इस टीम का नेतृत्व आर्मी इंस्टीट्यूट बेंगलुर के प्रोफेसर ए. नरसिम्हा वेंकटेश ने किया था। खेरा ने बताया कि करीब दो साल की मेहनत के बाद स्मार्ट फोन से थोड़े बड़े आकार के उपकरण का डिजाइन तैयार कर दिया गया है, इसे फेशियल एक्सप्रेशन डिटेक्शन सिस्टम नाम दिया गया है। इस उपकरण में सेंसर लगा होगा, जो चेहरे और आंखों की गतिविधियों पर नजर रखेगा। उपकरण वाहन के डैशबोर्ड पर लगा होगा। वाहन चलाते समय यदि ड्राइवर की आंखें एक मिनट तक बंद रहीं तो इससे जुड़ा सिस्टम सक्रिय हो जाएगा और वाहन की गति कम करेगा। वहीं, वाहन में लगा अलार्म बजना शुरू हो जाएगा।
खेरा ने बताया कि उनकी टीम में उत्तराखंड, राजस्थान, आंध्र प्रदेश, दिल्ली, ओडिशा सहित अन्य कुछ राज्यों के प्रोफेसर भी शामिल थे। अपने तरह की अनूठी डिजाइन होने के कारण इसका ऑस्ट्रेलिया से पेटेंट कराया गया है। डॉ. खेरा ने बताया कि ऑस्ट्रेलिया में होने वाले पेटेंट की दुनियाभर में प्रतिष्ठा है और वहां जल्दी पेटेंट मिल भी जाता है।
इंटरनेट मीडिया पर हुआ था इंजीनियरों का संपर्क
खेरा बताते हैं कि इस उपकरण की डिजाइन को तैयार करने वाले 15 इंजीनियर इंटरनेट मीडिया की एक साइट पर मिले थे। इसी के बाद सभी इंजीनियरों में उपकरण तैयार करने के लिए इंटरनेट के जरिये ही बातचीत होती रही। खेरा के मुताबिक सबसे पहले ए. नरसिम्हा वेंकटेश ने देश में बढ़ती वाहन दुर्घटनाओं को रोकने के लिए एक उपकरण तैयार करने की बात कही थी। इसी के बाद अलग-अलग शहरों के इंजीनियरों ने जुड़कर उपकरण की डिजाइन तैयार की।