IIT गुवाहाटी के शोधकर्ताओं को मिली उपलब्धि, सौर ऊर्जा संचालित हाइड्रोजन जेनरेटर की नई सामग्री बनाई
आमतौर पर उपयोग होने वाले ‘सौर सेल’ प्रकाश को सीधे विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित करने के लिए जाने जाते हैं। सूर्य के प्रकाश से संचालित ऊर्जा रूपांतरण की एक अन्य प्रणाली है जिसे ‘फोटोइलेक्ट्रोकेमिकल’ (पीईसी) सेल कहा जाता है।
By Neel RajputEdited By: Updated: Tue, 26 Oct 2021 07:59 AM (IST)
नई दिल्ली, आइएसडब्ल्यू। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) गुवाहाटी के शोधकर्ताओं ने ऐसी नई सामग्री विकसित की है, जो सूर्य के प्रकाश का उपयोग करके पानी को हाइड्रोजन और आक्सीजन में विभाजित कर सकती है। शोधकर्ताओं का कहना है कि ये सामग्री वर्तमान में उपयोग की जाने वाली ‘विशिष्ट धातुओं’ की तुलना में बहुत सस्ती हैं, जो सौर-संचालित हाइड्रोजन जेनरेटर में उपयोगी हो सकती हैं।
आमतौर पर उपयोग होने वाले ‘सौर सेल’ प्रकाश को सीधे विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित करने के लिए जाने जाते हैं। सूर्य के प्रकाश से संचालित ऊर्जा रूपांतरण की एक अन्य प्रणाली है, जिसे ‘फोटोइलेक्ट्रोकेमिकल’ (पीईसी) सेल कहा जाता है। पीईसी सेल सरल और सुरक्षित यौगिकों - जैसे पानी को हाइड्रोजन और आक्सीजन में विभाजित करने के लिए सौर ऊर्जा का उपयोग करते हैं। हाइड्रोजन एक उच्च-ऊर्जा ईंधन है, जिसे आवश्यकतानुसार संग्रहीत और उपयोग किया जा सकता है। इसलिए, इन सेल्स को कार्बन मुक्त हाइड्रोजन अर्थव्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है।
आइआइटी गुवाहाटी के रसायन विभाग के प्रोफेसर डा. मोहम्मद कुरैशी ने कहा, ‘पीईसी सेल अभी तक ऊर्जा संकट का व्यावहारिक समाधान नहीं बन सके हैं, क्योंकि इससे कुछ वैज्ञानिक बाधाएं जुड़ी हुई हैं। लेकिन अब शोधकर्ताओं ने प्लैटिनम, इरिडियम और रूथेनियम जैसी विशिष्ट धातुओं के बिना उत्प्रेरक विकसित किए हैं, जो पीईसी सेल में पानी को विभाजित करने में महंगी धातुओं के समान उपयोगी हैं।
प्रोफेसर कुरैशी ने कहा कि हमने एक टर्नरी उत्प्रेरक विकसित किया है, जिसमें कोबाल्ट-टिन स्तरित-डबल हाइड्रोक्साइड (एलडीएच) और बिस्मथ वैनाडेट शामिल हैं, जो ग्रैफेन पुलों के साथ एक पीएन जंक्शन सेमी-कंडक्टर बनाता है। हमने पाया कि एक फोटानोड के रूप में उत्प्रेरक जब इस्तेमाल किया जाता है, तो यह हाइड्रोजन और आक्सीजन का उत्पादन करने के लिए पानी को आसानी से विभाजित कर सकता है। जब प्रकाश पीईसी सेल के एनोड पर पड़ता है, तो ऋणात्मक रूप से आवेशित इलेक्ट्रान और धनात्मक आवेशित छिद्र (एक्सिटॉन) उत्पन्न होते हैं। किसी उत्प्रेरक की अनुपस्थिति में, थर्मोडायनामिक बाधा बहुत अधिक होगी। ऐसे में, पानी को हाइड्रोजन और आक्सीजन में विभाजित नहीं किया जा सकता।
पानी को विभाजित करने के लिए, छिद्रों को इलेक्ट्रानों के साथ पुर्नसयोजन से रोका जाना चाहिए। नई विकसित टर्नरी उत्प्रेरक प्रणाली में, बिस्मथ वैनाडेट सूर्य के प्रकाश की प्रतिक्रिया में इलेक्ट्रानों और छिद्रों को उत्पन्न करता है। ग्रैफेन छिद्रों को वैनाडेट से दूर कर देता है और उन्हें कोबाल्ट-टिन एलडीएच में स्थानांतरित कर देता है, इस प्रकार इलेक्ट्रानों के साथ उनके पुनसर्ंयोजन को रोकता है। इससे छिद्र और इलेक्ट्रान पानी को हाइड्रोजन और आक्सीजन में विभाजित करने के लिए उपलब्ध होते हैं।