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चोट से उबारने को IIT गुवाहाटी के शोधकर्ताओं ने की एक खास पट्टी तैयार, ये है बायोडिग्रेडेबल

आइआइटी गुवाहाटी के शोधकर्ताओं ने एक ऐसी खास पट्टी तैयार की है जो पारदर्शी है और जो जल्‍द चोट से उबरने में भी मदद करती है। इतना ही नहीं इसकी एक बड़ी खासियत ये भी है कि ये पर्यावरण को नुकसान नहीं पहुंंचातीहै।

By Kamal VermaEdited By: Published: Wed, 11 Aug 2021 12:50 PM (IST)Updated: Wed, 11 Aug 2021 12:50 PM (IST)
आइआइटी के शोधकर्ताओं ने की है ये खास पट्टी विकसित

नई दिल्ली (पीटीआई)। चोट से उबारने की दिशा में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) गुवाहाटी के शोधकर्ताओं को एक बड़ी कामयाबी मिली है। दरअसल, शोधकर्ताओं ने एक ऐसी पारदर्शी फिल्म (पट्टी) का आविष्कार किया है जो बायोडिग्रेडेबल होने के साथ किफायती भी है।

इसका आविष्कार करने वाले दल के अनुसार, सिंथेटिक पालीमर के एकीकरण पर आधारित इसका मैटेरियल प्रकृति के लिए हानिकारक नहीं है। साथ ही यह मैटेरियल एक नम वातावरण बनाता है, जो शरीर के एंजाइमों के माध्यम से चोट को अपने आप ठीक करने में सक्षम है। प्रयोगशाला स्तर पर इसे तैयार करने की कीमत वर्तमान में मौजूद पट्टियों की तुलना में 50 फीसद कम है। इस आविष्कार से संबंधित निष्कर्षो को इंटरनेशनल जर्नल आफ बायोलाजिकल मैक्रोमोलेक्यूल्स में प्रकाशित किया गया है।

आइआइटी गुवाहाटी में पीएचडी स्कालर अरित्र दास के मुताबिक, सामान्य तौर पर सूती ऊन, लिंट और गाज (जालीदार पट्टी) का प्रयोग चोट को ठीक करने वाली सामग्री में किया जाता है। इन्हें घाव के रिसाव को रोकने और उपचार प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। हालांकि, ऐसी सामग्रियों का एक बड़ा नुकसान यह होता है कि ये सही टिशू (ऊतक) को भी नुकसान पहुंचा सकते हैं। इसी के चलते शोधकर्ताओं ने एक बेहतर विकल्प की तलाश की दिशा में काम किया।

इस तरह किया तैयार : दास के मुताबिक, यह आविष्कार इस क्षेत्र में एक बड़ा प्रभाव डालने की क्षमता रखता है। हमने इसे तैयार करने के लिए एक सिंथेटिक पालीमर, जिसका नाम पालीविनाइल अल्कोहल (पीवीए) है का नेचुरल पालीमर स्टार्च (एसटी) के साथ एकीकरण पर जोर दिया, जिससे किफायती, बायोडिग्रेडेबल, गैर-विषाक्त और पारदर्शी मिश्रित हाइड्रोजेल तैयार हो सका। शोधकर्ताओं के अनुसार, इस उत्पाद में हाइड्रोलाइटिक वातावरण के तहत सूजन हो जाने के बाद भी चोट में बैक्टीरिया को बढ़ने से रोकने की क्षमता है।

स्वस्थ कोशिकाओं और ऊतकों का करता है विकास : आइआइटी, गुवाहाटी के केमिकल इंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर चंदन दास के मुताबिक, यह नया मैटेरियल घायल कोशिकाओं के सुधार के लिए उन्हें उपयुक्त वातावरण प्रदान करने के अलावा, स्वस्थ कोशिकाओं और ऊतकों के विकास में भी मदद करता है। शोधकर्ताओं ने बताया कि इसे प्रयोगशाला में तहत तैयार किया गया है। इसके शुरुआती नतीजे अच्छे आए हैं। हालांकि, अभी इस पर और कार्य करने की जरूरत है।

कई तरह से लाभकारी साबित होगी यह फिल्म

शोधकर्ताओं के मुताबिक, लैब में तैयार की गई यह फिल्म कई तरह से लाभकारी साबित हो सकती है। पहला तो यह कि इसे तैयार मैलिक एसिड का प्रयोग किया गया है, न कि साइटिक एसिड का। इससे घाव तो जल्द ठीक होंगे ही साथ ही इसे तैयार करने में लागत भी कम आएगी।


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