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भारत में बड़ी संख्या में नशाखोरी करने वाले 65 प्रतिशत लोगों की उम्र 18 वर्ष से भी कम

भारत के एनसीबी यानी नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो को एक और गंभीर विषय पर ध्यान देने की आवश्यकता है। भारत में मध्य और उत्तर अफ्रीका खासकर नाइजीरिया से आए हुए युवाओं की गतिविधियों पर अत्यधिक ध्यान देने की जरूरत।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Updated: Wed, 03 Nov 2021 01:05 PM (IST)
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भारत में बड़ी संख्या में ये युवा नशे के अवैध कारोबार में शामिल हैं।
अनिल झा। फिल्म अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की संदिग्ध हत्या का मामला फिलहाल अदालत में है। इस मामले से जुड़ी एक अभिनेत्री को मीडिया ने एक धड़े ने काफी कुछ कहा। इसमें नशे का भी जिक्र हुआ। हालांकि हत्या या आत्महत्या का कारण अदालत का फैसला आने तक स्पष्ट नहीं होगा। लेकिन नशे की गिरफ्त में फिल्मीस्तान की कहानी उजागर हो रही है। सबूत के साथ वह सबके सामने भी आ रही है।

भारत में पिछले तीन वर्षो से नशे का कारोबार पांच गुना तेजी से बढ़ रहा है। मुंबई या मायानगरी में यह उससे भी कहीं ज्यादा तेज गति से बढ़ रहा है। भारतीय प्रबंधन संस्थान रोहतक की तरफ से कराए गए एक सर्वे में पता चला है कि मादक पदार्थो का लगभग 84 प्रतिशत हिस्सा पाकिस्तान की तरफ से आता है। पाकिस्तान की सीमा से सटे राजस्थान और पंजाब के साथ ही मुंबई उसका सबसे पहला लक्ष्य होता है।

भारतीय प्रबंधन संस्थान रोहतक द्वारा कराए गए इस सर्वे में हैरान कर देने वाली बात है कि लगभग 78 प्रतिशत लोग ड्रग का प्रयोग करते करते इसके काले कारोबार में आ गए। नशीली दवाएं बेचने के आरोप में जेल में बंद लोगों से जब संस्थान ने इस सर्वे के तहत संबंधित जानकारी ली तो जो जवाब सामने आए वे हैरान करने वाले हैं। इस कारोबार में शामिल रहे अधिकांश लोगों ने बताया कि अपने काले कारोबार के लिए उन्हें कालेज, यूनिवर्सिटी और स्कूल जैसी जगहें सबसे उपयुक्त लगीं। ऐसे में हमारे लिए यह एक गंभीर समस्या बन चुकी है कि अवैध ड्रग बेचने वाले हमारे तमाम शिक्षा संस्थानों में घुसपैठ कर रहे हैं।

इस संदर्भ में चाइल्ड लाइन इंडिया फाउंडेशन की एक रिपोर्ट अत्यधिक डरावनी है। इस फाउंडेशन का एक सर्वे बताता है कि देश में नशाखोरी करने वाले 65 प्रतिशत लोगों की उम्र 18 वर्ष से भी कम है। साथ ही, संस्था का यह भी कहना है कि इसमें युवाओं की हिस्सेदारी निरंतर बढ़ती जा रही है। इस फाउंडेशन द्वारा किए गए सर्वे में पाया गया है कि फिल्में और साहित्य युवाओं के मन-मस्तिष्क पर अत्यधिक प्रभाव छोड़ते हैं। जब नायक और नायिका अजब गजब करतब फिल्मों में करते हैं तो एक सामान्य युवा भी उससे प्रेरित होता है, चाहे उसमें नशे का कारनामा ही क्यों न दिखाया जाए। फिल्मी पर्दे पर नायक बने कलाकारों ने नशे के मायने को बदल कर रख दिया है। भारत में सिनेमा बदला है, थिएटर बहुत प्रगति कर गए हैं। नेटफ्लिक्स जैसे कई ओटीटी प्लेटफार्म हमारे घरों में दस्तक दे चुके हैं, जिनमें अमेरिका और यूरोप की तरह मादक पदार्थो से संबंधित कंटेंट को खुलेआम दर्शाया जाता है।

प्रश्न मात्र भारत के फिल्म जगत के अत्यधिक नशेड़ी हो जाने का नहीं है। स्थिति यहां तक पहुंच गई है कि अच्छे खासे करियर वाले युवा भी बहुत जल्दी अमीर बनने की चाह में नशे के कारोबार में लग जाते हैं। पंजाब इसका बहुत बड़ा केंद्र बन चुका है। इसी प्रकार से मुंबई फिल्म उद्योग में संगठित रूप से नशे का गिरोह सक्रिय है जो इस कारोबार को बेहद संजीदगी से बढ़ावा देने में जुटा रहता है। शाह रुख खान के बेटे की इस मामले में गिरफ्तारी होने के बाद मुंबई में इससे जुड़ी अनेक तथ्य सामने आ रहे हैं।

भारत के एनसीबी यानी नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो को स्थानीय पुलिस की मदद से उसे इन युवाओं पर निगाह रखनी चाहिए कि वे भारत में किस तरह के कारोबार में संलिप्त हैं। दरअसल यह माना जा रहा है कि भारत में बड़ी संख्या में ये युवा नशे के अवैध कारोबार में शामिल हैं। लिहाजा इन सभी की सख्त निगरानी की जरूरत है।

[पूर्व सदस्य, दिल्ली विधानसभा]