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Illegal Mining: हिमाचल, पंजाब से लेकर झारखंड तक नासूर बना अवैध खनन, कई राज्‍यों में माफिया बेखौफ; स्‍पेशल रिपोर्ट

illegal sand mining सरकार को जितनी आय होती है उससे कई गुना खनन का अवैध कारोबार है। हमले बढ़े हैं। पुलिसिया कार्रवाई बहुत प्रभावी नहीं है। पढ़िए कई खुलासे करती 8 राज्यों में अवैध खनन की पड़ताल पर विशेष रिपोर्ट।

By TilakrajEdited By: Published: Sat, 23 Jul 2022 09:22 AM (IST)Updated: Sat, 23 Jul 2022 09:22 AM (IST)
सरकारी आंकड़ों में 2,450 करोड़ रुपये का खनन कारोबार है जबकि अवैध खनन 1,500 से 1,800 करोड़ रुपये का

नई दिल्ली, आनलाइन डेस्‍क। हरियाणा में बीते दिनों अवैध खनन (illegal mining) रोकने गए डीएसपी की डंपर से रौंदकर हत्या का मामला सामने आया। दरअसल हिमाचल और पंजाब से लेकर उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और बिहार-झारखंड तक अवैध खनन नासूर बन चुका है। सरकार को जितनी आय होती है, उससे कई गुना खनन का अवैध कारोबार है। हमले बढ़े हैं। पुलिसिया कार्रवाई बहुत प्रभावी नहीं है। पढ़िए आठ राज्यों में अवैध खनन की पड़ताल करती विशेष रिपोर्ट।

पंजाब: वैध से दस गुना अधिक अवैध खनन

प्रदेश को खनन के सात क्लस्टरों से 350 करोड़ रुपए की आय है, लेकिन अवैध रूप से यह व्यापार साढ़े सात से दस हजार करोड़ रुपए का है। यह आंकड़ा तेलंगाना के माडल को स्टडी कर पंजाब के पूर्व मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू ने दिया था। आंकड़े में विशाल अंतर के कारण ही पंजाब में नई खनन नीति बनाने की चर्चा भी होती रहती है। माफिया से मिलीभगत के आरोप में सिंचाई विभाग के तीन इंजीनियरों को निलंबित किया गया है। कांग्रेस के पूर्व विधायक जोगिंदरपाल पर भी केस दर्ज किया गया है। अवैध खनन रोकने पर हमले की कई घटनाएं हो चुकी हैं। एक पत्रकार की हत्या भी हो चुकी है।

हिमाचल: खोखली व्यवस्था में 120 करोड़ का चूना

राज्य सरकार को प्रति वर्ष 120 करोड़ के राजस्व का चूना लग रहा है। 232 खनन क्षेत्र नियमों में फंसे हैं, लेकिन यहां अवैध खनन जारी है। इसमें स्थानीय कारोबारियों के साथ पंजाब, हरियाणा व उत्तराखंड के लोग भी शामिल हैं। उद्योग विभाग की भूगर्भ विंग के पास मात्र 90 खनन रक्षक, छह खनन निरीक्षक और 22 उप निरीक्षक हैं। पांवटा साहिब में खनन विंग के गार्ड की मौत का मामला आया था। आरोप है एक चालक ने ट्रक से टक्कर मार दी थी। कुछ वर्ष पहले नालागढ़ में एसडीएम यूनुस पर वाहन चढ़ाने का मामला आया था।

बिहार: दो दर्जन अधिकारी निलंबित

सरकारी आंकड़ों में 2,450 करोड़ रुपये का खनन कारोबार है जबकि अवैध खनन 1,500 से 1,800 करोड़ रुपये का होता है। सर्वाधिक खनन बालू का होता है। सरकारी कर्मियों पर हमले की प्रदेश में हर वर्ष पांच से सात घटनाएं होती हैं। अवैध खनन में मदद के आरोप में एक आइएएस और एक आइपीएस समेत दो दर्जन अधिकारी निलंबित हो चुके हैं।

हरियाणा: अवैध खनन संग एक और खेल, हमले के 250 मामले

सरकारी आंकड़ों में खनन व्यापार एक हजार करोड़ रुपये का है, लेकिन अवैध खनन 25 हजार करोड़ रुपये का माना जाता है। नदियों से रेत व पहाड़ी क्षेत्र मे पत्थर का अवैध खनन होता है। यहां एक और खेल होता है। पट्टा लेने वाली एजेंसियां 25 प्रतिशत राशि देकर कोर्ट चली जाती हैं और सुनवाई पूरी होने तक खनन जारी रखती हैं। फैसला आने तक खनन की अवधि समाप्त हो चुकी होती है और विभागीय अधिकारी बाकी राशि की रिकवरी के लिए कोई कदम नहीं उठाते। इससे करीब 400 करोड़ रुपये का चूना सरकार को लगता है। माफिया द्वारा सरकारी कर्मियों की हत्या के प्रयास के औसतन 250 मामले दर्ज होते हैं। आरोपितों में केवल वाहन चालक या कारिंदे ही होते हैं।

उत्तराखंड: पांच वर्ष में 30 से अधिक हमले

उत्तराखंड में खनन के लिए 2021-22 में 750 करोड़ रुपये का लक्ष्य था। एक अनुमान के अनुसार यहां अवैध खनन का कारोबार 1,000 करोड़ रुपये से अधिक का है। बीते पांच वर्ष में अवैध खनन रोकने गई टीम पर हमले के 30 से अधिक मामले आ चुके हैं। देहरादून में वर्ष 2018 में खनन माफिया ने पीछा करने पर रेंजर की जीप पर टक्कर मार दी। वर्ष 2021 में पीएसी के जवानों पर हमला हुआ। होमगार्ड पर ट्रैक्टर चढ़ाने का प्रयास किया गया। वर्ष 2020 में तहसीलदार पर हमला किया गया। कोतवाल समेत पांच दारोगाओं पर जानलेवा हमला हुआ। मामले न्यायालयों में लंबित हैं।

मध्य प्रदेश: आइपीएस व डिप्टी रेंजर की हत्या

सात हजार करोड़ रुपये से अधिक का सरकारी कारोबार है, लेकिन लगभग ढाई हजार करोड़ रुपये का खनिज चोरी होता है। आठ मार्च 2012 को 2009 बैच के प्रोबेशनरी आइपीएस नरेंद्र कुमार सिंह की ट्रैक्टर से कुचलकर हत्या कर दी गई। मामले में गिरफ्तार व्यक्ति को गैर इरादतन हत्या की सजा मिली। चंबल क्षेत्र में सात सितंबर 2018 को डिप्टी रेंजर सूबेदार सिंह कुशवाह को रेत माफिया ने ट्रैक्टर से कुचलकर मार दिया। यह मामला विचाराधीन है। अधिकांश ड्राइवर ही पकड़े गए हैं। माफिया पकड़ से दूर हैं। जुलाई 2021 में खनन माफिया पर कार्रवाई कर रही रेंजर श्रद्धा पांढरे का तीन महीने में ही विभाग ने तबादला कर दिया था।

उत्तर प्रदेश: जियो टैगिंग के बावजूद अवैध खनन

उत्तर प्रदेश में खनन के लिए इस वित्त वर्ष में 4,860 करोड़ रुपये का राजस्व लक्ष्य है। एक अनुमान के अनुसार यहां अवैध खनन 2,500 करोड़ रुपये से अधिक का है। मुख्यत: बालू, मौरंग, गिट्टी, मिट्टी आदि के खनन के लएि पट्टों का ई-आक्शन किया जाता है। खनन क्षेत्रों की जियो टैगिंग की जाती है। हमले जैसी कोई बड़ी घटना हाल में नहीं हुई है।

झारखंड

वर्ष 2021-22 में राज्य सरकार को खनिजों से राजस्व के रूप में 7,446 करोड़ रुपये प्राप्त हुए थे। माना जाता है कि लगभग 4,500 करोड़ का प्रतिवर्ष अवैध खनन होता है। बंद पड़ी खदानों से कोयले का अवैध खनन होता है। किसी सरकारी कर्मी को कुचलने या हमले जैसी घटनाएं नहीं हुई हैं। रोकथाम के नाम पर खानापूरी ही होती दिखती है। अवैध खनन में मदद के आरोप में करीब दो दर्जन अधिकारियों के खिलाफ छापेमारी हुई है।

हरियाणा और पंजाब की सीमा पर निकटवर्ती जिलों में अवैध खनन।


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