कैंसर को जड़ से मिटाएगी इम्यूनोथेरेपी, बढ़ सकती है इसके मरीजों की उम्र!
इम्यूनोथेरेपी एक तरह का उपचार है जो शरीर के प्रतिरोधी तंत्र (इम्यून सिस्टम) को प्रेरित करता है, उसे बढ़ाता या मजबूत बनाता है।
By Sanjay PokhriyalEdited By: Updated: Mon, 22 Oct 2018 03:42 PM (IST)
नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। जानलेवा स्तन कैंसर से पीड़ित मरीजों की उम्र करीब दस महीने तक बढ़ाई जा सकती है। इसके लिए उन्हें कीमोथेरेपी के साथ इम्यूनोथेरेपी (इस उपचार में कैंसर से लड़ने के लिए प्रतिरोधी तंत्र को कृत्रिम रूप से उत्तेजित किया जाता है) की भी मदद लेनी होगी। इस थेरेपी से ट्रिपल निगेटिव कैंसर के मरीजों में मौत का खतरा करीब 40 फीसद तक कम हो जाता है।
लंदन स्थित सेंट बार्थोलोमेव अस्पताल के शोधकर्ताओं ने इम्यूनोथेरेपी का परीक्षण करने के बाद यह निष्कर्ष निकाला है। आमतौर पर 40 से 50 साल की महिलाएं ट्रिपल निगेटिव कैंसर से ग्रसित होती हैं। इसके इलाज के लिए कीमोथेरेपी इस्तेमाल की जाती है। कई मरीज हालांकि इस उपचार के प्रति प्रतिरोधक क्षमता विकसित कर लेते हैं। फलस्वरूप, उन पर इलाज का कोई असर नहीं होता। यह बीमारी यदि शरीर के अन्य हिस्सों में फैल जाए तो मरीज 12 से 15 महीने ही जी सकता है।इस बीमारी का इलाज ढूंढ़ने के लिए वैज्ञानिकों ने करीब 451 रोगियों पर शोध किया। इन सभी को कीमोथेरेपी के दौरान दो हफ्ते में एक बार इम्यूनोथेरेपी की दवा एटीजोलिजुमाब भी दी गई। यह दवा शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करती है जिससे वह कैंसर की कोशिकाओं का सामना कर पाती है। दोनों उपचार साथ चलाने से मरीजों पर सकारात्मक प्रभाव हुआ। औसतन सभी मरीज दस महीने अधिक जी पाए।
जानें क्या है इम्यूनोथेरेपी
इम्यूनोथेरेपी एक तरह का उपचार है जो शरीर के प्रतिरोधी तंत्र (इम्यून सिस्टम) को प्रेरित करता है, उसे बढ़ाता या मजबूत बनाता है। इम्यूनोथेरेपी का प्रयोग कुछ विशेष प्रकार के कैंसर और इन्फ्लेमेटरी रोगों जैसे रियूमेटायड अर्थराइटिस, क्रोंस डिजीज और मल्टीपल स्क्लेरोसिस रोगों का इलाज करने के लिये किया जाता है। इसे बॉयोलॉजिकल थेरेपी, बॉयोथेरेपी या बॉयोलॉजिकल रिस्पांस मॉडिफायर (बीआरएम) थेरेपी भी कहा जाता है।
कैसे करती है असरसामान्य कोशिकाओं की तुलना में कैंसर सेस की बाहरी सतह पर एक विशिष्ट प्रोटीन होता है जिसे एंटीजन कहते हैं। यह ऐसा प्रोटीन है जो इम्यून सिस्टम द्वारा निर्मित किए जाते हैं। वे कैंसर कोशिकाओं के एंटीजन से जुड़ जाते हैं और उन्हें असामान्य कोशिकाओं के रूप में चिन्हित करते हैं। इम्यूनोथेरेपी में प्रयोग किये जाने वाले केमिकल जिनको प्राय: बॉयोलॉजिकल रिस्पांस मॉडीफायर कहा जाता है क्योंकि वे शरीर के सामान्य प्रतिरोधी तंत्र (इम्यून सिस्टम) को कैंसर के खतरे से निपटने लायक बनाते हैं।
चौथे स्टेज में भी फायदेमंद
चौथे स्टेज तक पहुंचने के बाद कैंसर का उपचार करना असंभव माना जाता था, क्योंकि इस स्टेज पर कैंसर पूरे शरीर में फैल जाता है। लेकिन इम्यूनोथेरेपी के जरिये वैज्ञानिकों ने कैंसर के ट्यूमर से लड़ने के लिए एंटीबॉडीज का आविष्कार कर लिया जो शरीर के भीतर टी सेल्स से लड़ने में कामयाब हुई।सभी कैंसर के लिए प्रभावी
इम्यूनोथेरेपी में प्रयोग की जाने वाली दवायें सभी तरह के कैंसर के लिए फायदेमंद होती हैं। जिसमें ब्लैडर कैंसर, स्तन कैंसर, किडनी कैंसर, लंग कैंसर व प्रोस्टेट कैंसर के साथ-साथ ल्यूकीमिया, मल्टीपल मायलोमा व मैलोनोमा आदि का उपचार शामिल है। इम्यूनोथेरेपी का मुख्य कार्य उन अंगों को लक्ष्य बनाना हेता है जिनमें कैंसर की कोशिकाएं पाई जाती हैं।इम्यूनोथेरेपी से पहले
कैंसर के उपचार के लिए किये जाने वाली इस प्रक्रिया से पहले चिकित्सक कुछ जांच कराने की सलाह भी देते हैं। यदि आपका उपचार इन्टरफेरॉन अल्फा-2ए से होना है तो आपका डॉक्टर आपसे किसी हृदय सम्बन्धी बीमारी या कुछ दवाओं के प्रति एलर्जी के इतिहास के बारे में जानकारी करेगा। उपचार से पहले यकृत की कार्यप्रणाली जांचने और विभिन्न रक्त कोशिकाओं का स्तर जांचने के लिए ब्लड टेस्ट भी कराने की सलाह चिकित्सक दे सकता है।उपचार के दौरान
कैंसर के बढ़ते प्रभाव को रोकने के लिए रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाली कोशिका काम नहीं करती है। इन कोशिकाओं को कैंसर से लड़ने योग्य बनाने के लिए ही कैंसर मरीज से 120 एमएल खून लिया जाता है। जिसे लैब में दवा का रूप दिया जाता है। यह दवा छह बार में शरीर में दी जाती है। 15 से 20 दिनों में एक एमएल की डोज दी जाती है।डेनवैक्स थेरेपीयह एक प्रकार की इम्यूनोथेरेपी है जिसमें शरीर के खून में प्रवाहित होने वाली सफेद रक्त कोशिकाओं को कैंसर प्रतिरोधी सेल- डेन्ड्रिटिक सेल में बदल दिया जाता है और यही कैंसर से लड़ने में मदद करती है। इस थेरेपी का प्रयोग कैंसर के उपचार के दौरान होने वाली दूसरी अन्य थेरेपी जैसे - कीमोथेरेपी आदि के साथ करने में किसी प्रकार का नुकसान नहीं होगा इसलिए इसे प्रारंभिक चरण से शुरू किया जा सकता है।