वैश्विक उठापटक और चीन की अर्थव्यवस्था में आई सुस्ती से भारत के लिए लगेगी अवसरों की भरमार
एक्सपर्ट्स कहते हैं कि ली कियांग का भाषण जो नए लक्ष्यों और लक्ष्यों को निर्धारित करते हुए देश के आर्थिक स्वास्थ्य की समीक्षा करता है अपने पूर्ववर्ती के पिछले वर्ष की लगभग कार्बन कॉपी साबित हुआ जो कि लगभग 5% के समान अनुमानित विकास लक्ष्य से भी कम था। हालांकि उन्होंने सैन्य खर्च में 7.2% की वृद्धि अल्ट्रा लॉन्ग-टर्म विशेष बांड में 139 बिलियन डॉलर की घोषणा की।
नई दिल्ली, अनुराग मिश्र। चीन की वार्षिक विधायी बैठक नेशनल पीपुल्स कांग्रेस पर दुनिया भर की निगाह थी। इसके पीछे कई बड़ी वजह थी। बीते कई दशकों तक चीन की अर्थव्यवस्था बहुत अधिक विकास का पर्याय थी। लेकिन तीन साल के सख्त महामारी उपायों का असर पड़ा और गहराते रियल एस्टेट संकट के कारण दर्जनों डेवलपर्स का पतन हो गया। 2021 के चरम के बाद से चीन के शेयर बाजार का मूल्य लगभग 4 ट्रिलियन डॉलर कम हो गया है, विदेशी निवेश देश को छोड़ रहा है और शेष दशक के लिए सकल घरेलू उत्पाद में 1% की कमी आने का खतरा है। चीन के नेताओं द्वारा कार्रवाई में कमी के कारण, विशेषज्ञ चीन की ग्रोथ पर संदेह करने लगे। चीन के गणतंत्र की स्थापना का 75वां साल होने की वजह से भी इस बैठक पर दुनिया के देश टकटकी लगाए हुए थे।