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पेगासस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा, संवेदनशील जानकारी उजागर करने के लिए केंद्र बाध्य नहीं

सोमवार को सरकार की ओर से संक्षिप्त हलफनामा दाखिल किया गया था जिसमें कहा गया था कि पेगासस मामले से सरकार का कोई लेना-देना नहीं है। कहा गया था कि याचिकाकर्ताओं ने अनुमान और आशंकाओं के आधार पर या आधारहीन व अपूर्ण मीडिया रिपोर्ट के आधार पर याचिकाएं दाखिल हुईं।

By Dhyanendra Singh ChauhanEdited By: Updated: Wed, 18 Aug 2021 01:07 AM (IST)
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पेगासस मामले में शीर्ष अदालत ने जारी की नोटिस
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। सुप्रीम कोर्ट ने पेगासस जासूसी कांड की निष्पक्ष जांच की मांग करने वाली याचिकाओं पर मंगलवार को केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर विस्तृत जवाब मांगा। इसके लिए 10 दिन का वक्त दिया गया है। साथ ही स्पष्ट किया कि राष्ट्रीय सुरक्षा अदालत के लिए भी उतनी ही अहम है जितनी सरकार के लिए। उसकी मंशा सुरक्षा ब्योरा जानने की नहीं है, वह सरकार को इसके लिए मजबूर नहीं कर रही है। अदालत सिर्फ इतना चाहती है कि सरकार बताए नागरिकों व प्रख्यात लोगों की जासूसी के लिए पेगासस का प्रयोग हुआ था या नहीं।

सोमवार को सरकार की ओर से संक्षिप्त हलफनामा दाखिल किया गया था जिसमें कहा गया था कि पेगासस मामले से सरकार का कोई लेना-देना नहीं है। कहा गया था कि याचिकाकर्ताओं ने अनुमान और आशंकाओं के आधार पर या आधारहीन व अपूर्ण मीडिया रिपोर्ट के आधार पर याचिकाएं दाखिल की हैं।

इस पर शीर्ष अदालत ने सालिसिटर जनरल तुषषार मेहता से कहा था कि वह सरकार से निर्देश लेकर कोर्ट को सूचित करें कि सरकार इस मामले में विस्तृत हलफनामा दाखिल करना चाहती है या नहीं। मंगलवार को मेहता ने कहा कि सोमवार को दाखिल हलफनामा पर्याप्त है और उसी के आधार पर मामले पर विचार किया जाए। इस पर प्रधान न्यायाधीश एनवी रमना, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस अनिरद्ध बोस की पीठ ने कहा कि क्या सरकार और कुछ दाखिल नहीं करना चाहती।

मेहता ने कहा कि भारत सरकार देश की शीर्ष अदालत के समक्ष है और सरकार ने कहा है कि वह विशेषज्ञों की समिति गठित करेगी जो मामले की जांच करके कोर्ट को रिपोर्ट सौंपेगी। अदालत उसके लिए दिशानिर्देश तय कर सकती है। इस मामले में छिपाने की कोई बात नहीं है, लेकिन इसमें राष्ट्रीय सुरक्षा का मुद्दा शामिल है। यह मामला सार्वजनिक बहस का नहीं है। याचिकाकर्ता चाहते हैं कि सरकार बताए कि पेगासस का प्रयोग हुआ या नहीं, लेकिन राष्ट्रीय सुरक्षा को देखते हुए यह बात सार्वजनिक नहीं की जा सकती। अगर सरकार सार्वजनिक कर देगी कि वह अमुक साफ्टवेयर का प्रयोग करती है तो आतंकी संगठन इसका फायदा उठाएंगे और अपनी कम्युनिकेशन सेटिंग बदल देंगे। इस पर पीठ ने कहा कि वह ऐसी किसी बात को उजागर नहीं करना चाहते जिससे राष्ट्रीय सुरक्षा खतरे में पड़ती हो।